बिछड़ी मां को चाहिए सहारा… कहां है मेरा परिवार? | औरैया से भावुक रिपोर्ट जिनके सर पर ममता की दुआएं हैं

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 | संवाददाता . कपिल पोरवाल |

क्या कभी यह गीत उन बच्चों ने नहीं सुना होगा जो आज अपनी बूढ़ी मां को बेसहारा छोड़ चुके हैं? क्या अब वो मां, जो कभी बच्चों की नींद के लिए खुद जागी, उनके लिए बेमतलब हो गई है? क्या वो बच्चे अब अपनी मां को खुशकिस्मती नहीं, बल्कि बोझ समझने लगे हैं?

“मां”, वो शब्द जिसमें पूरी दुनिया समाई होती है। वो रिश्ता जो बिना किसी स्वार्थ के हर दर्द सहता है। लेकिन जब वही मां अकेली हो जाए, जब उसकी पहचान तक मिट जाए… तब कैसा लगता होगा उसे?

ऐसी ही एक हृदयविदारक कहानी है औरैया (Auraiya) की एक वृद्ध महिला की, जो आज एक वृद्धाश्रम में रह रही हैं, अकेली, गुमसुम और बस इंतज़ार में — अपने उस परिवार के जो उन्हें छोड़कर चला गया।

वृद्ध मां की ममता भरी आंखें अब सिर्फ इंतज़ार करती हैं

15 अगस्त 2025 की सुबह, जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की खुशियों में डूबा था, तब औरैया जिले के दिबियापुर में एक वृद्ध मां लावारिस हालत में मिलीं। ना कुछ बोल पा रही थीं, ना कुछ खा रही थीं। आंखों में सिर्फ आंसू और मन में अपनों के लौट आने की उम्मीद।

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स्थानीय थाना प्रभारी मोहम्मद नईम अहमद ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए उन्हें तुरंत माधव हैप्पी ओल्ड एज होम, आनेपुर, औरैया भेजा। जहां उन्हें अब भोजन, देखभाल और दवाई तो मिल रही हैं, लेकिन जो चीज़ उन्हें सबसे ज़्यादा चाहिए — वो है “परिवार” — वो अब भी कहीं नहीं है।

औरैया का ओल्ड एज होम बना अस्थाई सहारा, पर क्या ये हमेशा का ठिकाना होगा?

Madhav Happy Old Age Home, Auraiya अब इस वृद्ध मां का नया ठिकाना बन चुका है। यहां के स्टाफ ने उन्हें अपनी मां की तरह सेवा दी, उनके घावों पर मरहम लगाया, लेकिन जो घाव दिल में है… उसका इलाज किसी दवा से नहीं हो सकता।

औरैया के इस वृद्धाश्रम के संचालकों का कहना है कि वे लगातार प्रयास कर रहे हैं कि इस महिला के परिजनों तक खबर पहुंचे, लेकिन अब तक कोई संपर्क नहीं हुआ है।

आज भी जब कोई दरवाजा खुलता है, तो ये मां उसी ओर उम्मीद से देखती हैं… शायद उनका बेटा आया हो, या बेटी की आवाज़ सुनाई दे। लेकिन फिर दरवाजा बंद हो जाता है और उनकी आंखों में फिर वही इंतज़ार भर आता है।

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औरैया प्रशासन और न्यूज़ टाइम नेशन की कोशिश

न्यूज़ टाइम नेशन, औरैया की यह रिपोर्ट सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि एक संवेदनशील अपील है। शायद कोई इस खबर को पढ़े, देखे, सुने और उस मां को पहचान ले।

यदि आप Auraiya या आसपास के किसी क्षेत्र से हैं, और इस महिला को पहचानते हैं, या आपके परिवार में कोई इस स्थिति में है — तो कृपया माधव हैप्पी ओल्ड एज होम पहुंचें और उन्हें उनका परिवार लौटाएं।

इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल समाज को आईना दिखाना नहीं, बल्कि एक मां को उसकी खोई हुई दुनिया लौटाना है।

जब परिवार ही भूल जाए तो मां कहां जाए?

समाज में यह स्थिति अब आम होती जा रही है। औरैया, एक ऐसा जिला जो अपनी संस्कृति, परंपरा और पारिवारिक मूल्यों के लिए जाना जाता है, वहां भी अब वृद्ध माताएं बेसहारा हो रही हैं।

कभी यही मां अपने बच्चों की भूख से पहले खुद भूखी रहती थीं, लेकिन आज जब खुद उन्हें सहारा चाहिए, तो कोई पास नहीं।

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“बुजुर्गों की सेवा करना ही सच्ची पूजा है” — ये वाक्य अब केवल किताबों तक सीमित रह गए हैं?

ओल्ड एज होम ने जताई चिंता

Auraiya के माधव हैप्पी ओल्ड एज होम ने एक गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर इस वृद्ध महिला की तबीयत बिगड़ती है, या कोई अनहोनी होती है, तो इसकी ज़िम्मेदारी आश्रम की नहीं होगी।

यह वक्त है कि हम इस पर सोचें — क्या समाज का यह रूप उचित है? जहां मां जैसी मूरत अकेली छोड़ दी जाए?

Auraiya: संवेदनाओं का केंद्र, लेकिन अब बदलते सामाजिक ढांचे का गवाह

Auraiya, उत्तर प्रदेश का एक शांत लेकिन संवेदनशील जिला, जहां पहले परिवारों की जड़ें गहरी थीं, अब वहां भी आधुनिकता के साथ-साथ संवेदनहीनता भी बढ़ रही है।

कहीं ये वृद्ध मां हमारे लिए एक चेतावनी तो नहीं?

सोशल मीडिया पर उठी भावनाओं की लहर

इस खबर के सामने आने के बाद Auraiya के लोगों में गुस्सा, दुख और सहानुभूति का सैलाब है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं —

कैसे कोई मां को इस हाल में छोड़ सकता है?

क्या अब परिवार सिर्फ रिश्तों की खानापूर्ति रह गया है?

FindHerFamily #AuraiyaOldAgeHome #RespectMothers जैसे हैशटैग वायरल हो चुके हैं।

आप क्या कर सकते हैं?

अगर आप इस खबर को पढ़ रहे हैं और कहीं न कहीं यह आपके दिल को छू गई है, तो कृपया:

✅ इस खबर को शेयर करें — ताकि मां अपने परिवार से मिल सके।
✅ अपने आसपास देखें — क्या कोई और वृद्ध बेसहारा है?
✅ Auraiya के इस ओल्ड एज होम को सपोर्ट करें — आर्थिक, भावनात्मक या समय देकर।
✅ सबसे जरूरी — अपने बुजुर्गों का सम्मान करें, उन्हें समय दें।

निष्कर्ष: मां को खोकर कोई भी खुश नहीं रह सकता

हम सबके जीवन में मां का स्थान सबसे ऊपर है। वो हमारे पहले शब्द, पहला स्पर्श, पहला आशीर्वाद होती हैं।
तो क्यों, जब वे बुज़ुर्ग हो जाएं, हम उन्हें बोझ समझने लगते हैं?

यह रिपोर्ट एक आईना है — Auraiya की एक वृद्ध मां की कहानी के जरिए पूरे समाज को दिखाने की कोशिश की गई है कि अब भी वक्त है — परिवार को बचाने का, रिश्तों को संभालने का।

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

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