संवाददाता , योगेश यादव
📍 स्थान: महुली गांव, बल्दीराय तहसील, Sultanpur
👵 पीड़िता: कमला देवी, पुत्री स्व. राज बहादुर
👨💼 आरोपी: संदीप कुमार, पुत्र कृष्ण मूर्ति
🏢 शिकायत पत्र भेजा गया: जिलाधिकारी कुमार हर्ष एवं पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह को
⚠️ मामले की शुरुआत: दिव्यांग महिला की पुश्तैनी जमीन हड़पी गई
Sultanpur जनपद के बल्दीराय तहसील क्षेत्र से एक बेहद ही संजीदगी से भरा मामला सामने आया है, जहाँ एक वृद्ध दिव्यांग महिला कमला देवी की जमीन धोखे से हड़प ली गई।
कमला देवी ने बताया कि उन्हें न तो जमीन के बैनामे की जानकारी दी गई, और न ही कोई कीमत, दस्तावेज, या भुगतान उनके संज्ञान में लाया गया। यह पूरी प्रक्रिया फर्जी और षड्यंत्र के तहत की गई।
🧾 बिना जानकारी, बिना पैसे — कर दिया गया बैनामा
पीड़िता के अनुसार:
- जमीन का रकबा: 0.5690 हेक्टेयर
- स्थान: महुली, थाना बल्दीराय
- आरोप: संदीप कुमार ने दस्तावेज़ लेखक और रजिस्ट्री कार्यालय की मिलीभगत से फर्जी बैनामा करा लिया।
- पीड़िता को न तो कोई रकम मिली, न कोई कानूनी सूचना।
🔎 क्या कहती है पीड़िता?
“मैं दिव्यांग हूं। चलने-फिरने से लाचार हूं। मेरी जमीन हड़पना आसान समझा गया। लेकिन ये सिर्फ जमीन नहीं, मेरी आखिरी पूंजी है।”
कमला देवी का कहना है कि इस फर्जीवाड़े में रजिस्ट्रेशन कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। उन्होंने जानबूझकर जालसाजों की मदद की, जो प्रशासनिक व्यवस्था की निष्क्रियता को उजागर करता है।
💡 बल्दीराय: जमीन घोटालों का नया गढ़?
Sultanpur जिले का बल्दीराय तहसील क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से भूमि विवादों का अड्डा बनता जा रहा है। कई बार फर्जी दस्तावेजों, मृतक नामों पर हो रहे बैनामों और महिलाओं की संपत्तियों पर अवैध कब्जे के मामले सामने आ चुके हैं।
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📤 DM और SP से लगाई न्याय की गुहार
कमला देवी ने जिलाधिकारी कुमार हर्ष और पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह को प्रार्थना पत्र सौंपते हुए मांग की है कि:
- पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
- दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
- उन्हें उनकी पुश्तैनी जमीन वापस दिलाई जाए।
👁️🗨️ क्यों अहम है यह मामला?
- पीड़िता एक दिव्यांग महिला हैं, जिनके साथ धोखा हुआ है।
- फर्जी बैनामे में सरकारी कार्यालयों की मिलीभगत के आरोप हैं।
- यह केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि व्यवस्थागत भ्रष्टाचार का मामला है।
- Sultanpur जैसे संवेदनशील जिलों में कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगता है।
🧑⚖️ कानून क्या कहता है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (दस्तावेज़ों की फर्जीवाड़ा) के तहत यह एक गंभीर आपराधिक मामला है। यदि इस पर समय रहते कार्रवाई न हुई, तो:
- न केवल पीड़िता की संपत्ति चली जाएगी,
- बल्कि सरकारी तंत्र की निष्क्रियता और पक्षपात भी उजागर होगा।
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💬 स्थानीय लोगों की राय
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि:
“कमला देवी की स्थिति का फायदा उठाकर दबंगों ने ये काम किया है। अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो कल किसी और की जमीन ऐसे ही चली जाएगी।”
🏢 रजिस्ट्री कार्यालय पर भी संदेह
रिपोर्ट्स के मुताबिक, फर्जी बैनामे की यह प्रक्रिया दस्तावेज़ लेखक और रजिस्ट्री कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से की गई। यह जांच का एक प्रमुख बिंदु है।
Sultanpur प्रशासन को चाहिए कि रजिस्ट्री कार्यालय की कार्यप्रणाली की भी जांच हो।
📷 मीडिया और सोशल मीडिया पर मामला वायरल
अब यह मामला स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। लोग सवाल कर रहे हैं:
- क्या अब दिव्यांगों की संपत्ति भी सुरक्षित नहीं?
- जमीन हड़पने वालों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है क्या?
- DM-SP कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे?
✊ जनता की मांगें
- पीड़िता को त्वरित न्याय दिया जाए
- आरोपी संदीप कुमार और सहयोगियों पर FIR दर्ज हो
- रजिस्ट्री ऑफिस की जांच हो
- फर्जी बैनामा रद्द कर के भूमि वापस दिलाई जाए
📌 निष्कर्ष: Sultanpur में क्या दिव्यांगों को भी नहीं मिल रहा न्याय?
यह घटना Sultanpur के प्रशासन और न्याय व्यवस्था के लिए एक कसौटी है।
कमला देवी जैसी दिव्यांग, असहाय महिला को यदि धोखा दिया जा सकता है, और प्रशासन चुप्पी साधे रहे — तो यह सामाजिक न्याय के मुंह पर तमाचा है।
यह समय है कि Sultanpur का प्रशासन ईमानदारी और संवेदनशीलता से कार्रवाई करे और समाज में यह संदेश दे कि कानून सबके लिए बराबर है।