
| संवाददाता, धर्मेंद्र द्विवेदी |
News Time Nation BASTI – अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय व उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या, हाल ही में बस्ती पहुंचे और लोक मोर्चा कार्यकर्ता सम्मेलन में भाजपा पर तीखे हमले किए। उनका कहना था कि वे न ब्राह्मण-विरोधी हैं और न ही रामचरितमानस-विरोधी; यह भाजपा की सोची समझी साजिश है।
1. सम्मेलन में मुख्य बिंदु: धर्म, साहित्य और सम्मान
स्वामी प्रसाद मौर्या ने सम्मेलन के दौरान स्पष्ट किया कि वे सभी धर्मों और सभी जातियों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि वो रामचरितमानस के उन चौपाइयों के पक्ष में नहीं हैं जिनमें एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं का अपमान किया गया हो। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ये विचार उन्होंने पहले भी व्यक्त किए थे, आज फिर कर रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे।
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2. चुनाव आयोग को लेकर तीखी आलोचना
उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह भाजपा का एजेंट बन चुका है और उसका असली चेहरा अब बेनकाब हो चुका है। मौर्या ने 2014 और वर्तमान के बीच तुलना करते हुए कहा कि पहले बिहार में लाखों वाजिब वोट बढ़ चुके थे, लेकिन अब लाखों वोट काटे जा रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा कि वो अपनी अक्षमता छिपाने के लिए झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाती है। उन्होंने निर्वाचन आयोग से “वोट काटने के इस महापाप को तुरंत रोकने” की मांग की।
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3. नकल रोकने वालों को जेल भेजने और आरक्षण में छेड़छाड़ के आरोप
स्वामी प्रसाद मौर्या ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार नकल करवाती भी है और नकल रोकने के विरोध करने वालों को जेल भी भेजती है। इसके साथ ही, सरकार आरक्षण प्रणाली में छेड़छाड़ कर अभ्यर्थियों के अधिकारों को भी निगल रही है।
4. अन्य हालिया घटनाक्रम और राजनीतिक घटनाएँ
हमला और प्रतिक्रिया
बता दें कि अगस्त 2025 में स्वामी प्रसाद मौर्या पर दो अलग‑अलग घटनाओं में हमला भी हुआ:
पहले के आरोप और पार्टी छोड़ना
पार्टी से अलगाव और नई पार्टी की घोषणा
5. विश्लेषण: स्वामी प्रसाद मौर्या की राजनीतिक स्थिति और संदेश
पहलू | विवरण |
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वाद‑विवाद और धर्म‑साहित्य समीक्षा | उन्होंने रामचरितमानस के उन अंशों की आलोचना की जो उनके अनुसार पिछड़ा वर्ग और महिलाओं का अपमान करते हैं; यह जनता और विवाद दोनों को आकर्षित कर रहा है। |
निर्वाचन प्रक्रिया पर सवाल | चुनाव आयोग पर भाजपा का एजेंट होने और वोट कटने की घटनाओं के आरोप ने लोकतंत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। |
सुरक्षा और राजनीतिक तनाव | उन पर दो अलग‑अलग हमले—रायबरेली व फतेहपुर—ने राजनीतिक ताने-बाने में सुरक्षा और असहिष्णुता की स्थिति को उजागर किया। |
नई पार्टी और गठबंधन संभावनाएँ | RSSP के गठन और INDIA ब्लॉक के प्रति उनकी झुकाव ने विपक्ष के संभावित गठबंधन पर नई संभावनाएं खोल दी हैं, खासकर 2027 के चुनावों के संदर्भ में। |
निष्कर्ष
News Time Nation BASTI के पाठकों के लिए यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक प्रमुख ओबीसी चेहरे — स्वामी प्रसाद मौर्या — की राजनीतिक यात्रा, उनके हाल के बयानों और हमलों की घटनाओं का व्यापक विवरण है। बस्ती और उत्तर प्रदेश का राजनीतिक भविष्य किस दिशा में जाएगा, इसका संकेत इन्हीं आंदोलनों, बयानों और जुड़ावों में ढूंढा जा सकता है।
अगर आप चाहें, तो मैं इसे संपादकीय कॉलम, अलग सेक्शन्स जैसे “विश्लेषण”, “ऑपिनियन”, या “राजनीतिक इतिहास” के रूप में और भी विस्तार से तैयार कर सकता हूँ।