
| संवाददाता, अली जावेद |
जालौन ज़िले की एक साधारण सी जनसुनवाई शुक्रवार को तब असाधारण बन गई जब उमरार खेड़ा गांव के रहने वाले 21 वर्षीय दिव्यांग युवक जीतू ने ज़िला अधिकारी के सामने प्रार्थना पत्र देकर पढ़ने की इच्छा जताई।
जीतू की लंबाई सिर्फ साढ़े तीन फुट है। शारीरिक अक्षमता, पारिवारिक कठिनाइयों और आर्थिक अभावों के बावजूद, उसने अपने सपनों को जिलाधिकारी के समक्ष रखा, जिससे सुनने वालों की आंखें नम हो गईं।
News Time Nation Jalaun इस पूरी घटना का विश्लेषण, भावनात्मक पहलू और प्रशासनिक संवेदनशीलता आपके सामने रख रहा है।
जीतू की ज़िंदगी की कहानी: संघर्ष, उम्मीद और आत्मबल
उमरार खेड़ा निवासी जीतू पुत्र जनक सिंह के जीवन की कहानी कोई सामान्य नहीं है। बचपन से ही वह शारीरिक रूप से दिव्यांग रहा। उसकी लंबाई औसतन व्यक्तियों से आधी है — मात्र 3.5 फुट।
इतना ही नहीं, जीतू के परिवार की परिस्थितियां भी अत्यंत कठिन हैं:
- उसकी मां पैरालिसिस से ग्रसित हैं, जो चल-फिर नहीं सकतीं।
- उसके पिता एक सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट के शिकार हुए और आजीविका के लिए पूरी तरह असमर्थ हैं।
- आर्थिक रूप से परिवार बिल्कुल टूट चुका है।
इन सबके बावजूद जीतू के भीतर शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा कभी बुझी नहीं। उसने बताया कि उसने हाल ही में एक अखबार में पढ़ा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से जिलाधिकारी ने जानवी नाम की बच्ची की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली थी। उसी खबर ने उसे प्रेरित किया।
News Time Nation Jalaun के सामने जीतू के शब्द:
“मैं भी पढ़ना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि मेरे भी सपने पूरे हों। मैं कुछ बनकर दिखाऊं… अपने पैरों पर खड़ा हो सकूं।”
जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय का संवेदनशील निर्णय
News Time Nation Jalaun की रिपोर्ट के अनुसार, जब डीएम राजेश कुमार पाण्डेय के सामने यह मामला आया, तो उन्होंने सिर्फ एक अधिकारी की तरह नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और अभिभावक की तरह प्रतिक्रिया दी।
✅ जिलाधिकारी ने तुरंत संबंधित अधिकारियों को बुलाया:
- मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO)
- बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA)
- समाज कल्याण अधिकारी
तीनों अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि जीतू के पढ़ाई, चिकित्सा और जीवन-निर्वाह की व्यवस्था तत्काल की जाए।
पढ़ाई की राह अब आसान: जिलाधिकारी के फैसलों की झलक
📘 कॉपी-किताबें, बैग और यूनिफॉर्म की व्यवस्था
जिलाधिकारी ने तुरंत मौके पर ही जीतू को शिक्षा सामग्री दिलवाई। किताबें, यूनिफॉर्म, स्कूल बैग — सब कुछ हाथों हाथ उपलब्ध कराया गया।
🏫 विद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया शुरू
बीएसए को निर्देश दिया गया कि जीतू की शारीरिक परिस्थिति और उम्र को ध्यान में रखकर उपयुक्त संस्थान में उसका नामांकन किया जाए।
💊 चिकित्सा सहायता की व्यवस्था
CMO को कहा गया कि परिवार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जांच की जाए और मुफ्त इलाज की व्यवस्था हो।
💰 सरकारी योजनाओं से लाभ
डीएम ने उप जिलाधिकारी को आदेश दिया कि परिवार की आर्थिक स्थिति की जांच कर उसे राशन, पेंशन, दिव्यांग सहायता और आवास योजना जैसी योजनाओं का लाभ दिया जाए।
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News Time Nation Jalaun की ग्राउंड रिपोर्ट: भावुक हो उठा पूरा परिसर
इस प्रकरण को देख जनसुनवाई स्थल पर मौजूद हर व्यक्ति भावुक हो गया। आमतौर पर शिकायतों और बहसों से भरे रहने वाला यह मंच, उस समय संवेदनशीलता और करुणा की मिसाल बन गया।
जीतू की आंखों में उम्मीद की चमक और डीएम की तत्परता ने दिखा दिया कि अगर प्रशासन चाहे तो किसी भी जिंदगी को रोशन किया जा सकता है।
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मुख्यमंत्री के संकल्प का अमल: कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे
जिलाधिकारी ने साफ शब्दों में कहा:
“मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी बच्चा, चाहे वो किसी भी परिस्थिति में हो, शिक्षा से वंचित न रहे। हम उसी भावना के तहत काम कर रहे हैं।”
News Time Nation Jalaun का मानना है कि यह मामला सरकार की नीतियों के जमीन पर प्रभाव को दर्शाने वाला उदाहरण है।
जीतू की उम्मीद: अब वह भी कह सकेगा – मैं पढ़ रहा हूं
इस फैसले से जीतू के जीवन में नई रोशनी आई है। जहां पहले वह अंधकार और असहायता में डूबा हुआ था, अब उसके पास कलम, किताब और आत्मबल है।
News Time Nation Jalaun को जीतू ने मुस्कराते हुए कहा:
“अब मैं स्कूल जाऊंगा। पढ़ाई करूंगा। मैं भी कुछ बनूंगा।”
यह सिर्फ एक केस नहीं, एक संदेश है
News Time Nation Jalaun यह मानता है कि यह सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और मानवीय संदेश है:
- दिव्यांगता कोई रुकावट नहीं है अगर व्यवस्था मदद करे।
- प्रशासन संवेदनशील हो तो हर इंसान की जिंदगी बदल सकती है।
- समाज को भी आगे आकर ऐसे व्यक्तियों की मदद करनी चाहिए।
प्रशासनिक दायित्व का सही उदाहरण
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय जैसे अधिकारी ही प्रशासनिक सेवा की असली पहचान हैं। उन्होंने सिर्फ एक आदेश नहीं दिया, बल्कि एक जिंदगी को दिशा दी।
News Time Nation Jalaun की राय
यह घटना प्रशासन, समाज और मीडिया — तीनों के बीच की सकारात्मक साझेदारी का प्रमाण है। News Time Nation Jalaun का उद्देश्य सिर्फ खबर देना नहीं, बल्कि ऐसी प्रेरक कहानियों को समाज के सामने लाना भी है, जो हमें सोचने पर मजबूर करें कि हर किसी की मदद की जा सकती है — अगर हम सच में चाहें।
निष्कर्ष: हार नहीं मानी, अब पढ़ाई ही जीतू की जीत है
उमरार खेड़ा का 21 वर्षीय दिव्यांग जीतू अब सिर्फ एक नाम नहीं, वह संघर्ष और उम्मीद की मिसाल बन चुका है। उसकी शारीरिक बाधा, पारिवारिक परेशानियां, आर्थिक तंगी — किसी ने भी उसकी जिजीविषा को नहीं तोड़ा।
News Time Nation Jalaun यह संदेश देना चाहता है:
“हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो, यदि उसके अंदर सीखने और आगे बढ़ने की इच्छा हो — तो उसे रोक पाना नामुमकिन है।”