News Time Nation Basti: बस्ती में मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक का कथित फर्जी एनकाउंटर, परिवार ने पुलिस पर उठाए सवाल

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| संवाददाता, धर्मेंद्र द्विवेदी |

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के सोनहा थाना क्षेत्र के अमरौली सुमाली गांव से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। एक मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक जलालुद्दीन के एनकाउंटर पर सवाल खड़े हो गए हैं। परिजनों ने इस कार्रवाई को फर्जी एनकाउंटर बताते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि जलालुद्दीन को बिना किसी ठोस आधार के रात में उठाया गया, और अगली सुबह एनकाउंटर की सूचना दे दी गई।


📍 घटना की शुरुआत: बकरी चराने गया था जलालुद्दीन

घटना की शुरुआत उस समय हुई जब जलालुद्दीन, जो कि मानसिक रूप से बीमार बताया जा रहा है, गांव में बकरी चराने गया था। इस दौरान गांव के ही दो व्यक्तियों ने मारपीट की। जब जलालुद्दीन का भाई आशी मोहम्मद उलाहना देने गया, तो उसे भी गाली-गलौज कर भगा दिया गया।


🚨 पुलिस की कार्यवाही: रात में उठा ले गई पुलिस

परिजनों का कहना है कि पुलिस ने एक पक्षीय कार्यवाही करते हुए रात में जलालुद्दीन को थाने ले जाकर थाने में बैठा लिया। जब परिजन रात 12 बजे तक थाने के बाहर उसका इंतजार करते रहे, तो उन्हें सिपाहियों द्वारा गालियां देकर भगा दिया गया।

अगली सुबह जब उन्हें सूचना मिली कि जलालुद्दीन का एनकाउंटर कर दिया गया है, तो परिवार के होश उड़ गए।


🩸 एनकाउंटर या हत्या?

पुलिस का दावा है कि जलालुद्दीन को 9 साल की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के प्रयास के मामले में पकड़ा गया था और जवाबी कार्रवाई में उसे गोली मारी गई। पुलिस के अनुसार, जलालुद्दीन के पास अवैध असलहा भी बरामद हुआ।

लेकिन परिवार का सवाल है — “एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के पास असलहा कहां से आया?”
भाई आशी मोहम्मद ने बताया कि जलालुद्दीन बचपन से मानसिक रूप से अस्वस्थ है, और उसे इस प्रकार की आपराधिक साजिश के लायक समझना अपने आप में गलत है।


📄 शिकायत और आरोप: फर्जी एनकाउंटर का दावा

आशी मोहम्मद ने पुलिस अधीक्षक, बस्ती को प्रार्थना पत्र देकर फर्जी एनकाउंटर की जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि:

  • पुलिस ने एकतरफा कार्यवाही की।
  • जलालुद्दीन को बकरी चराने से उठाकर ले जाया गया।
  • परिवार को सूचना नहीं दी गई।
  • थाने पर मौजूद परिजनों को गाली देकर भगा दिया गया।
  • पुलिस ने एक साजिश के तहत फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया।

🧠 मानसिक स्थिति पर जोर

परिजनों के अनुसार, जलालुद्दीन का इलाज पहले भी चल चुका है और वह बचपन से ही मानसिक रूप से विक्षिप्त है। उनका कहना है कि एक मानसिक रोगी से इस प्रकार की संघीन वारदात और मुठभेड़ की उम्मीद करना अवास्तविक है।

News Time Nation Basti को मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में कोई भी मानसिक स्वास्थ्य जांच या मेडिकल रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।


🔎 क्या पुलिस की जांच निष्पक्ष होगी?

इस पूरे मामले में अब सवाल उठता है कि क्या जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी? अगर यह फर्जी एनकाउंटर है तो यह केवल जलालुद्दीन नहीं, बल्कि विधान, मानवाधिकार और न्याय व्यवस्था पर भी एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।

परिजनों ने मांग की है कि:

  • एनकाउंटर की जांच CBCID या SIT से कराई जाए।
  • मानसिक स्वास्थ्य की स्वतंत्र मेडिकल जांच हो।
  • थाने में लगे CCTV फुटेज को सार्वजनिक किया जाए।
  • दोषी पुलिस कर्मियों पर FIR दर्ज हो।

News Time Nation Basti

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📌 सोनहा थाना क्षेत्र में पहले भी विवाद

News Time Nation Basti की रिपोर्टिंग के अनुसार, सोनहा थाना क्षेत्र में पहले भी पुलिस की एकतरफा कार्रवाई और असंवेदनशीलता की शिकायतें मिलती रही हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि गरीब, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्गों के साथ पुलिस व्यवहार में पक्षपात बरतती है।


📢 विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

घटना की खबर फैलते ही विपक्षी दलों ने भी इस पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी और बसपा के स्थानीय नेताओं ने घटना को “मानवाधिकारों का उल्लंघन” करार दिया है और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।


📷 ग्राउंड रिपोर्ट: गांव में डर का माहौल

News Time Nation Basti की टीम जब अमरौली सुमाली पहुंची, तो वहां डर और खामोशी का माहौल देखा गया। ग्रामीण मीडिया से बात करने से कतरा रहे थे। कुछ लोगों ने ऑफ रिकॉर्ड बताया कि “पुलिस का डर इतना है कि सच बोलने से भी डरते हैं।

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🧾 निष्कर्ष: इंसाफ या अन्याय?

यह मामला केवल एक एनकाउंटर का नहीं है, बल्कि कानून और मानवाधिकारों की परीक्षा भी है। अगर जलालुद्दीन दोषी था तो उसे न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा मिलनी चाहिए थी, न कि गोली। और अगर वह सच में मानसिक रूप से विक्षिप्त था, तो यह एनकाउंटर एक संवेदनहीन और असंविधानिक कार्यवाही मानी जाएगी।

अब देखना यह है कि जांच एजेंसियां क्या सच्चाई सामने लाती हैं, और क्या परिजनों को न्याय मिल पाएगा?

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

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