संवाददाता , योगेश यादव
सुल्तानपुर जिले के बल्दीराय तहसील में एक अहम घटनाक्रम के तहत ग्राम रोजगार सेवक संघ बल्दीराय इकाई ने सोमवार को उपजिलाधिकारी प्रवीण कुमार को एक ज्ञापन सौंपते हुए क्रॉप सर्वे कार्य करने से साफ इंकार कर दिया। यह मुद्दा अब तूल पकड़ रहा है और News Time Nation Sultanpur की इस विशेष रिपोर्ट में हम इसके हर पहलू पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं।
क्या है क्रॉप सर्वे?
क्रॉप सर्वे (Crop Survey) एक ऐसा सरकारी कार्य है जिसके माध्यम से फसल की स्थिति, किस्म, रकबा, और क्षति की जानकारी एकत्र की जाती है। यह डेटा किसानों को मुआवजा देने, फसल बीमा योजना लागू करने और कृषि नीतियाँ तैयार करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। राज्य सरकारें समय-समय पर यह सर्वे कराती हैं और इसके लिए स्थानीय स्तर के कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी जाती है।
News Time Nation Sultanpur को मिली जानकारी के अनुसार, रोजगार सेवकों की आपत्तियाँ क्या हैं?
ग्राम रोजगार सेवक संघ ने जिन बिंदुओं पर क्रॉप सर्वे का कार्य करने से इनकार किया, वे इस प्रकार हैं:
1. खतरनाक फील्ड कंडीशन्स
संघ के अध्यक्ष शक्ति मिश्रा ने बताया कि:
“खेतों में पानी भरा होना, बड़ी-बड़ी झाड़ियाँ, झटका मशीनें और कटीली तारों के कारण फील्ड पर जाना जान जोखिम में डालने जैसा होता है। प्रशासन यह जोखिम नजरअंदाज कर रहा है।”
ये परिस्थितियाँ न केवल जानलेवा हो सकती हैं, बल्कि कई बार दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं। यह समस्या केवल सुल्तानपुर तक सीमित नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी यही हालात हैं।
2. मूल कार्यों में बाधा
रोजगार सेवक अरविंद सिंह बबलू ने कहा:
“हमारा मूल कार्य मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) की योजनाओं का संचालन व मॉनिटरिंग है। लेकिन क्रॉप सर्वे के चलते हम मनरेगा से जुड़ी जिम्मेदारियाँ नहीं निभा पा रहे, जिससे परियोजनाओं की प्रगति प्रभावित हो रही है।”
News Time Nation Sultanpur के फील्ड संवाददाताओं ने भी पाया कि कई गांवों में मनरेगा कार्यों की गति धीमी हो गई है क्योंकि रोजगार सेवक सर्वे में व्यस्त हैं।
3. भुगतान में देरी
एक बड़ा आरोप यह है कि पिछले दो वर्षों से क्रॉप सर्वे का भुगतान लंबित है। संघ का कहना है कि कई बार वे अपने खर्चे पर फील्ड विजिट करते हैं, लेकिन महीनों तक भुगतान नहीं होता।
“हम बिना संसाधनों के, अपने पैसे से सर्वे करते हैं और दो-दो साल तक भुगतान नहीं होता – यह नाइंसाफी है,” – कोषाध्यक्ष जयप्रकाश
यह स्थिति कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ रही है और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही है।
ज्ञापन में क्या मांगें की गईं?
News Time Nation Sultanpur को प्राप्त ज्ञापन की प्रमुख मांगें:
- ग्राम रोजगार सेवकों को क्रॉप सर्वे जैसे जोखिमपूर्ण और अतिरिक्त कार्यों से मुक्त किया जाए।
- उन्हें केवल मनरेगा और पंचायत राज से जुड़े कार्यों में ही लगाया जाए।
- बीते वर्षों के लंबित भुगतान को तत्काल प्रभाव से जारी किया जाए।
- भविष्य में यदि अन्य कार्यों में लगाया जाए तो पहले उचित प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएं।
ज्ञापन देने वालों में कौन-कौन थे?
ज्ञापन सौंपने में प्रमुख रूप से शामिल थे:
- शक्ति मिश्रा (अध्यक्ष)
- सूर्यदेव सिंह (उपाध्यक्ष)
- जयप्रकाश (कोषाध्यक्ष)
- अरविंद सिंह बबलू
- शोभित राम
- अशोक पांडेय
- राम सुभवन
- मनोज कुमार
- अवधेश कुमार
- ललित यादव
- हरि राम
- संतोष कुमार
इन सभी ने मिलकर यह स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, वे क्रॉप सर्वे में भाग नहीं लेंगे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
News Time Nation Sultanpur ने जब इस विषय पर बल्दीराय के उपजिलाधिकारी प्रवीण कुमार से बात की, तो उन्होंने कहा:
“ज्ञापन प्राप्त हुआ है। इसमें उठाए गए मुद्दों की जांच की जा रही है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी कर्मचारी को असुरक्षित परिस्थितियों में कार्य करने के लिए मजबूर न किया जाए।”
हालांकि अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्यवाही सामने नहीं आई है।
राज्य स्तर पर क्या हो सकता है असर?
अगर ग्राम रोजगार सेवकों की मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो यह आंदोलन जिला से निकलकर राज्य स्तर पर पहुंच सकता है। पहले भी कई बार ग्राम रोजगार सेवकों ने राज्यव्यापी हड़ताल का रास्ता अपनाया है।
News Time Nation Sultanpur की राज्य ब्यूरो रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ में स्थित ग्राम रोजगार सेवक संघ के केंद्रीय पदाधिकारी इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही राज्य स्तर पर निर्णय ले सकते हैं।
समाधान की संभावनाएँ
इस विवाद के समाधान के लिए निम्नलिखित कदम प्रशासन द्वारा उठाए जा सकते हैं:
- सर्वे कार्य को कृषि विभाग या लेखपालों को स्थानांतरित किया जाए।
- यदि रोजगार सेवकों को लगाया जाए तो उनके लिए विशेष ट्रेनिंग और सुरक्षा किट अनिवार्य किया जाए।
- भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जाए।
- कार्य विभाजन स्पष्ट किया जाए ताकि कोई कर्मचारी अपने मूल कार्यों से वंचित न हो।
निष्कर्ष: एक नई प्रशासनिक चुनौती
ग्राम रोजगार सेवकों का यह कदम केवल प्रशासन के लिए एक चेतावनी नहीं, बल्कि पूरे तंत्र के पुनरावलोकन की आवश्यकता को दर्शाता है। जब जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को ही उचित सम्मान और सुरक्षा नहीं मिलती, तो नीतियाँ कागज़ों में ही रह जाती हैं।
News Time Nation Sultanpur इस मुद्दे पर आगे भी अपनी विशेष रिपोर्टिंग के माध्यम से जनता और प्रशासन के बीच संवाद का पुल बना रहेगा।