| संवाददाता, धर्मेंद्र द्विवेदी |
उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के साऊघाट विकासखंड में एक चिंताजनक घटना सामने आई है, जहाँ देवरिया माफी स्थित कैलाश एकेडमी स्कूल की दो छात्राओं – साक्षी पटेल और सोनम की तबीयत अचानक खराब हो गई। विद्यालय प्रबंधन द्वारा तुरंत प्राथमिक उपचार के लिए उन्हें नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) ओड़वारा भेजा गया, लेकिन वहां डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण समय पर इलाज नहीं मिल सका, जिससे दोनों छात्राओं की हालत और भी बिगड़ गई।
कब और कैसे हुई घटना?
यह घटना सुबह लगभग 9:30 बजे की है जब दोनों छात्राएं स्कूल में थीं और उनकी तबीयत बिगड़ गई। स्कूल के अध्यापक व अध्यापिकाएं तुरंत उन्हें लेकर ओड़वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचे। लेकिन वहाँ न तो डॉक्टर उपलब्ध थे और न ही किसी ने समय रहते कोई प्राथमिक चिकित्सा दी।
स्कूल प्रबंधन की सक्रियता
कैलाश एकेडमी के प्रबंधक गिरिजेश चौधरी ने बताया कि उन्होंने बच्चियों को तत्काल स्वास्थ्य केंद्र भेजा था। लेकिन डॉक्टर के नहीं मिलने से उन्हें मजबूरन बस्ती जिला अस्पताल ले जाना पड़ा। इस बीच बच्चियों की हालत और खराब हो गई।
स्वास्थ्य विभाग पर उठते सवाल
यह घटना केवल एक लापरवाही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की बात करती है, लेकिन ground reality कुछ और ही है। ऐसी घटनाएं न केवल आम नागरिकों का विश्वास डगमगाती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत बेहद कमजोर है।
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ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में आज भी कई ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) हैं जहाँ:
- डॉक्टर समय पर नहीं आते,
- दवाइयाँ अनुपलब्ध रहती हैं,
- सफाई और संसाधनों की कमी है,
- मरीजों को इलाज के लिए शहरों की ओर भागना पड़ता है।
यह मामला news time nation BASTI में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है
इस तरह की घटनाएं न केवल खबर बनती हैं, बल्कि जनता के स्वास्थ्य अधिकारों पर सीधा आघात करती हैं।
डॉक्टरों की गैरहाजिरी: लापरवाही या सिस्टम फेल?
कई बार स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की अनुपस्थिति को रोजमर्रा की बात मान लिया जाता है। लेकिन जब यह लापरवाही बच्चों के जीवन से खेलने लगे, तो यह गंभीर अपराध बन जाता है।
इस केस में:
- डॉक्टर की समय पर मौजूदगी होती, तो दोनों छात्राओं को प्राथमिक इलाज मिल सकता था।
- वीडियो सबूत ने इस घटना की सच्चाई को और पुख्ता किया है।
- PHC ओड़वारा की यह स्थिति प्रशासन की जवाबदेही पर बड़ा सवाल है।
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“news time nation BASTI” में यह खबर क्यों है महत्वपूर्ण?
इस खबर का महत्व कई कारणों से है:
- यह ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक तस्वीर पेश करती है।
- यह जनता के बुनियादी अधिकार — जैसे स्वास्थ्य और सुरक्षा — से जुड़ी है।
- यह प्रशासन की कार्यशैली और जवाबदेही पर प्रश्न उठाती है।
- “news time nation BASTI” जैसे समाचार मंचों के लिए यह एक लोकल लेकिन प्रभावशाली मुद्दा है।
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समाधान क्या हो सकते हैं?
- डॉक्टरों की उपस्थिति अनिवार्य हो — बायोमैट्रिक या GPS उपस्थिति प्रणाली लागू की जाए।
- वीडियो निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र विकसित हो, ताकि मौके की सत्यता प्रमाणित की जा सके।
- जन शिकायत तंत्र सशक्त बनाया जाए, ताकि ग्रामीण लोग अपनी बात कह सकें।
- CMO द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया जाए।
- दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाई, जिससे ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।
निष्कर्ष
बस्ती जिले के ओड़वारा पीएचसी की यह घटना केवल दो छात्राओं की स्वास्थ्य खराबी की नहीं है, बल्कि यह एक व्यवस्थागत विफलता का प्रमाण है। यह दर्शाता है कि कैसे जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही आम लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को न केवल इसका संज्ञान लेना चाहिए, बल्कि सख्त और प्रभावी कार्यवाई भी करनी चाहिए।