News Time Nation Agra की इस विशेष रिपोर्ट में हम बात कर रहे हैं एक ऐसी घटना की, जो न सिर्फ मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाती है, बल्कि यूपी पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल भी खड़ा करती है।
आगरा के खंदोली क्षेत्र में, पुलिस द्वारा एक वृद्ध व्यक्ति को मुंह बांधकर, हाथ-पैर रस्सियों से कसकर, गाड़ी की डिग्गी में फेंककर ले जाने का वीडियो सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
घटना की पूरी जानकारी: क्या हुआ था खंदोली में?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह घटना बुधवार दोपहर की है, जब खंदोली क्षेत्र में कुछ पुलिसकर्मी एक वृद्ध व्यक्ति को सड़क किनारे से उठाकर बोलेरो वाहन की डिग्गी में ठूंसते हुए देखे गए।
मौके पर मौजूद लोगों ने इसका वीडियो बनाया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि वृद्ध व्यक्ति के हाथ-पैर बंधे हुए हैं, और मुंह पर कपड़ा लपेटा गया है, जिससे वह कुछ बोल नहीं पा रहा।
वीडियो वायरल होते ही मचा बवाल
वीडियो के वायरल होते ही पूरे राज्य में राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
लोगों का कहना है कि यह कोई सामान्य गिरफ्तारी नहीं बल्कि “अपहरण” (किडनैपिंग) जैसी हरकत है।
ऐसी घटनाएं यूपी की गिरती कानून-व्यवस्था और अत्याचारकारी पुलिस संस्कृति की ओर इशारा करती हैं।
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पुलिस की सफाई: क्या कहा प्रशासन ने?
News Time Nation Agra ने जब संबंधित थाना प्रभारी से बात की, तो उनका कहना था:
“यह व्यक्ति एक पुराने आपराधिक मामले में वांछित था। उसे पकड़ने के लिए हमने बल प्रयोग किया, लेकिन किसी तरह की अमानवीयता नहीं बरती।”
हालांकि, वीडियो फुटेज में स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि उसे यातनापूर्ण तरीके से वाहन में डाला गया।
यदि वह दोषी था भी, तो भी कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
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कौन है यह वृद्ध व्यक्ति?
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह वृद्ध व्यक्ति रामकेश शर्मा (काल्पनिक नाम) है, जो खंदोली के ही एक मोहल्ले में रहते हैं।
उनका किसी गंभीर अपराध से कोई लेना-देना नहीं है, और वे पेंशन पर जीवन यापन कर रहे हैं।
परिजनों का कहना है कि:
“हमारे पिताजी को पुलिस ने घर से जबरन उठाया और बिना कोई कारण बताए, उन्हें गाड़ी की डिग्गी में डालकर ले गई।”
News Time Nation Agra
News Time Nation Agra की जांच: क्या सामने आया?
हमारी टीम जब खंदोली पहुंची, तो लोगों में गहरा आक्रोश देखने को मिला। गांव वालों ने आरोप लगाया कि:
- पुलिस अक्सर बिना वारंट के छापे मारती है।
- रात के अंधेरे में लोगों को धमकाया जाता है।
- “सरकारी आदेश” के नाम पर गैरकानूनी हरकतें हो रही हैं।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा:
“अगर यही लोकतंत्र है, तो इससे बेहतर तो आपातकाल था। आज पुलिस जनता की रक्षक नहीं, शोषक बन चुकी है।”
मानवाधिकार उल्लंघन: क्या है कानूनी स्थिति?
भारतीय संविधान और मानवाधिकार कानून के तहत:
- किसी भी आरोपी को मर्यादित और गरिमामयी तरीके से हिरासत में लिया जाना चाहिए।
- हाथ-पैर बांधना, मुंह बंद करना और डिग्गी में ठूंसना सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
- ऐसे मामलों में संबंधित पुलिसकर्मियों पर सस्पेंशन और गिरफ्तारी तक हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: कौन क्या बोला?
यह मामला सामने आने के बाद कई राजनीतिक नेताओं और दलों ने योगी सरकार की आलोचना की है।
विपक्ष का हमला:
- समाजवादी पार्टी: “यह भाजपा सरकार की तानाशाही का प्रतीक है। बुजुर्गों तक को नहीं छोड़ा जा रहा।”
- कांग्रेस: “क्या यूपी पुलिस अब किडनैपर बन चुकी है?”
सरकार की स्थिति:
सरकार की तरफ से अभी कोई ठोस बयान नहीं आया है। कुछ अधिकारी इसे “विवादास्पद लेकिन कार्यवाई योग्य” घटना बता रहे हैं।
क्या कहता है जनता का मूड? – News Time Nation Agra पोल
प्रश्न | उत्तर (% में) |
---|---|
क्या यह किडनैपिंग है? | 78% |
क्या योगी सरकार जिम्मेदार है? | 65% |
क्या आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाई होनी चाहिए? | 91% |
(यह सर्वे News Time Nation Agra द्वारा ऑनलाइन किया गया है।)
समाज पर असर: डर का माहौल
जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो जनता किस पर भरोसा करे?
इस घटना के बाद खंदोली और आस-पास के गांवों में डर का माहौल है।
लोग कह रहे हैं:
“अब तो दिन में भी घर से बाहर निकलने से डर लगता है।”
News Time Nation Agra की अपील: अब चुप मत रहिए!
हमारा कर्तव्य है कि हम अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं।
अगर आज आपने आवाज नहीं उठाई, तो कल यह आपके साथ भी हो सकता है।
क्या करें?
- सोशल मीडिया पर इस खबर को शेयर करें।
- मानवाधिकार आयोग को शिकायत भेजें।
- अपने जनप्रतिनिधियों से जवाब मांगें।
अंतिम निष्कर्ष: किस ओर जा रही है यूपी की पुलिस व्यवस्था?
News Time Nation Agra मानता है कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है।
- कभी फौजियों की पिटाई होती है,
- कभी छात्रों पर लाठीचार्ज होता है,
- और अब बुजुर्गों को डिग्गी में ठूंसकर ले जाया जाता है।
यह सब दर्शाता है कि यूपी में शासन नहीं, शक्ति प्रदर्शन हो रहा है।