अमेठी: हारीपुर, दुर्गापुर और रामगंज में झोलाछाप डॉक्टर कर रहे स्वास्थ्य से खिलवाड़ | News Time Nation Amethi

| संवाददाता, मो. तौफ़ीक़ |

स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं, लेकिन जब इलाज के नाम पर झोलाछाप डॉक्टर आम नागरिकों की जान से खिलवाड़ करें, तो सवाल उठना लाज़मी है। अमेठी जनपद के हारीपुर बाजार, दुर्गापुर बाजार और रामगंज क्षेत्र में ऐसा ही हो रहा है, जहां बिना डिग्री और प्रशिक्षण के लोग खुद को डॉक्टर कहकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

मेडिकल स्टोरों पर ही इलाज, इंजेक्शन और दवाइयों की खुली बिक्री हो रही है। इन गांवों और कस्बों में योग्य MBBS डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण गरीब और अनजान जनता मजबूरी में इन्हीं झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज करवाने को विवश है।


हारीपुर बाजार: मौर्य मेडिकल स्टोर बना अघोषित “क्लिनिक”

हारीपुर बाजार में स्थित मौर्य मेडिकल स्टोर सुबह से लेकर शाम तक दर्जनों मरीजों का “इलाज” कर रहा है। यहां ना कोई डॉक्टर की डिग्री, ना लाइसेंस और ना ही चिकित्सा के मानक नियमों का पालन किया जा रहा है। फिर भी बुखार, पेट दर्द, खांसी, सिर दर्द से लेकर इंजेक्शन तक दिया जा रहा है – और वह भी बिना किसी जाँच के।

स्थानीय लोगों ने News Time Nation Amethi को बताया कि:

“यहां पास में कोई MBBS डॉक्टर नहीं है। सरकारी अस्पताल तो है लेकिन या तो डॉक्टर नहीं रहते या समय पर इलाज नहीं होता। ऐसे में हमें मौर्य मेडिकल जैसे मेडिकल स्टोरों का सहारा लेना पड़ता है।”


Screenshot 441

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। …

दुर्गापुर बाजार: दवाओं का धंधा या मौत का सौदा?

दुर्गापुर बाजार में भी ऐसी ही स्थिति है। यहां के कई मेडिकल स्टोरों पर झोलाछाप डॉक्टर दिनभर मरीज देखते हैं। इनमें से कई ने तो अपने मेडिकल स्टोर के अंदर ही इलाज के लिए बिस्तर और पर्दे लगा रखे हैं। कुछेक ने “डॉ.” शब्द भी अपने नाम के आगे जोड़ रखा है, ताकि भोली-भाली जनता भ्रमित हो जाए।

एक स्थानीय समाजसेवी ने बताया:

“ये मेडिकल स्टोर अब मिनी हॉस्पिटल बन चुके हैं। बिना लाइसेंस के इलाज, बिना पर्ची के इंजेक्शन और बच्चों को एंटीबायोटिक तक दिया जाता है।”


रामगंज क्षेत्र: नियमों की धज्जियाँ उड़ती दिखीं

रामगंज में तो स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां मेडिकल स्टोरों पर खुलकर एलोपैथिक दवाइयों का उपयोग हो रहा है। एक स्टोर संचालक ने गोपनीय कैमरे में स्वीकार किया कि उन्हें इलाज की कोई मेडिकल डिग्री नहीं है। बावजूद इसके, वे कई वर्षों से मरीजों को देख रहे हैं।

यह सीधा-सीधा National Medical Commission (NMC) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन है, जिसमें बिना रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस के इलाज करना अपराध की श्रेणी में आता है।


क्यों बन रहे हैं झोलाछाप डॉक्टरों के ग्राहक?

  1. सरकारी अस्पतालों की बदहाली:
    ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की भारी कमी है। दवाइयों और उपकरणों की अनुपलब्धता मरीजों को मजबूर करती है कि वे झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाएं।
  2. शिक्षा और जागरूकता की कमी:
    अधिकांश ग्रामीण आबादी यह तक नहीं जानती कि मेडिकल स्टोर पर इलाज कराना कानूनन अपराध है। वे झोलाछाप डॉक्टर को असली डॉक्टर समझ बैठते हैं।
  3. कम खर्च, तुरंत इलाज:
    मेडिकल स्टोर वाले बिना फीस लिए इलाज करते हैं और मरीज को दवा दे देते हैं। गरीब तबके के लिए यह एक सुविधाजनक विकल्प लगता है।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?

News Time Nation Amethi ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से बातचीत की। लखनऊ के एक वरिष्ठ फिजीशियन ने बताया:

“झोलाछाप डॉक्टर केवल लक्षणों को दबाने वाली दवाइयाँ देते हैं। इससे बीमारी अंदर ही अंदर बढ़ती रहती है। गलत दवा, डोज की अधिकता, या एलर्जी से जान तक जा सकती है।”


कानूनी स्थिति: झोलाछाप डॉक्टरों पर क्या है कानून?

  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के अनुसार, बिना योग्य लाइसेंस के कोई भी व्यक्ति दवा नहीं बेच सकता या इलाज नहीं कर सकता।
  • इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत बिना रजिस्ट्रेशन के डॉक्टर कहलाना और मरीजों का इलाज करना गैरकानूनी है।
  • दोषी पाए जाने पर 1 से 3 साल की सजा और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

Screenshot 440 1

प्रशासन क्या कर रहा है?

अब तक इन बाजारों में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाई नहीं हुई है। occasional रूप से ड्रग इंस्पेक्टर या सीएमओ टीम दौरा करती है, लेकिन कुछ चेतावनी देकर लौट जाती है। यह लापरवाही सीधे आम जनता के जीवन से खिलवाड़ है।

News Time Nation Amethi प्रशासन से अपील करता है कि इन मामलों को गंभीरता से लिया जाए और सख्त कार्यवाई की जाए।

हमारे यूट्यूब चैनल को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। …


समाधान क्या हो सकता है?

  1. प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना:
    हर गांव/क्षेत्र में MBBS डॉक्टरों की तैनाती और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
  2. जन-जागरूकता अभियान:
    ग्रामीण जनता को यह जानकारी देना आवश्यक है कि झोलाछाप डॉक्टर खतरनाक हो सकते हैं।
  3. कड़ी निगरानी और छापेमारी:
    जिला प्रशासन को समय-समय पर मेडिकल स्टोरों की जांच करनी चाहिए। दोषी पाए जाने पर लाइसेंस रद्द कर कानूनी कार्यवाही की जाए।
  4. पोर्टेबल हेल्थ यूनिट्स और मोबाइल क्लिनिक:
    जिलों में घूमने वाले हेल्थ वैन/मोबाइल मेडिकल यूनिट्स से लोगों को सही इलाज उपलब्ध कराया जा सकता है।

लोगों की मांग

  • स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन नियमित रूप से झोलाछाप डॉक्टरों पर निगरानी रखे।
  • सरकार को ऐसे क्षेत्रों में आयुष्मान भारत हेल्थ कार्ड जैसी सुविधाओं का प्रचार-प्रसार भी बढ़ाना चाहिए, ताकि गरीब तबका सरकारी इलाज की ओर मुड़े।

निष्कर्ष

हारीपुर, दुर्गापुर और रामगंज जैसे क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों का बढ़ता बोलबाला चिंता का विषय है। यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि जन-स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा भी है।

जब तक शासन और प्रशासन मिलकर कड़े कदम नहीं उठाते, तब तक झोलाछाप डॉक्टर गरीब और अनजान जनता की जान से खेलते रहेंगे।

Khursheed Khan Raju

I am a passionate blogger. Having 10 years of dedicated blogging experience, Khurshid Khan Raju has been curating insightful content sourced from trusted platforms and websites.

Leave a Comment