पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बिजली करंट से हुई संविदा विद्युत कर्मी ब्रजेश राठौर की दर्दनाक मौत के बाद कन्नौज दौरा किया। उन्होंने मृतक के परिवार से मुलाकात कर गहरी संवेदना व्यक्त की, साथ ही सरकार से पार्टियों की तरफ से 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने, परिवार को नौकरी देने और अन्याय के खिलाफ मजबूत कार्यवाई की मांग की।
1. घटना का ब्यौरा
कन्नौज के पुंगरा (ठठिया) गांव में एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें संविदा बिजली कर्मचारी ब्रजेश राठौर करंट की चपेट में आकर घायल हो गए। इलाज के दौरान उनकी अस्पताल में मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद परिजनों ने शव को बिजली उपकेंद्र पर रखकर प्रदर्शन किया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया ।
2. अखिलेश यादव का कन्नौज आगमन और शोक संवेदना
6 सितम्बर 2025 को, अखिलेश यादव कन्नौज के ठठिया क्षेत्र पहुंचे और मृतक के घर जाकर संवेदना प्रगट की। उन्होंने परिवार से बंद कमरे में चर्चा की और दुख व्यक्त किया ।
उन्होंने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा:
“सरकार ने संविदा कर्मी की जान पर अन्याय किया है, और पुलिस ने परिवार के साथ मारपीट और झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं।”
3. आर्थिक सहायता और नौकरी की मांग
अखिलेश यादव ने तुरंत 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता परिवार को प्रदान की और सरकार से नौकरी देने की मांग की—ब्रजेश राठौर के परिवार की उचित मदद सुनिश्चित करने हेतु ।
साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर सपा की सरकार बनी, तो परिवार को पूर्ण सहायता और संरक्षण मिलेगा।
4. सरकार और पुलिस पर कड़ा प्रहार
अखिलेश ने कड़ी आलोचना की कि सरकार ने पुलिस को ऐसा बना दिया है कि लोग वर्दी देखकर डरकर छिपने लगे हैं। उन्होंने कहा:
“यह सोती हुई सरकार गरीबों को न्याय नहीं दे सकती।”
“पीड़ितों और अज्ञात पर दर्ज मुकदमे वापस किए जाएं।”
यह बयान स्पष्ट रूप से सत्ता के रवैये पर लोकतांत्रिक और संवेदनात्मक प्रश्न उठा रहा है।
5. विपक्षी मोर्चा का आधार
इस घटना और इसके बाद के बयानों ने सपा को राजनीतिक अवसर प्रदान किया। पार्टी ने इस मुद्दे को विधानसभा सत्र में उठाने की तैयारी की है और मृतक परिवार को न्याय दिलाने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है ।
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6. स्थानीय प्रतिक्रिया और प्रशासन
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं का कहना है:
“हमारे नेता जब मैदान में उतरते हैं, तो नागरिकों को भरोसा मिलता है कि उनका दर्द कोई समझता है।”
“पीड़ितों की लड़ाई सिर्फ रिपोर्टों तक सीमित नहीं, बल्कि न्याय तक होती है।”
प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि जांच निष्पक्ष हो और पुलिस अगर लापरवाही में शामिल पाई गई, तो कार्यवाई हो।
7. broader context: बिजली कर्मियों की सुरक्षा
कई अन्य मामलों में भी बिजली कर्मियों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही सामने आई है:
- मिर्जापुर में एक संविदा कर्मी की सुरक्षा किट न होने की वजह से मृत्यु ।
- रानी चौहान गांव में कांवरियों की मौत पर भी प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठते रहे ।
इस घटना के उजागर होते ही विद्युत कर्मियों की सुरक्षा की व्यवस्था सुधारने की जरूरत और स्पष्ट हो गई है।
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8. निष्कर्ष: न्याय, समर्पण और संवेदना का संगम
News Time Nation Lucknow यह देखता है कि इस तरह की घटनाएँ सिर्फ एक घटना नहीं होती, बल्कि लोकतंत्र का संवेदनशील परीक्षण होती हैं। अखिलेश यादव का दौरा सियासी बयान नहीं, बल्कि पीड़ितों के साथ एक संवेदनात्मक जुड़ाव था जो न्याय की मांग को जन-जन तक पहुंचाता है।
अब यह उम्मीद की जा रही है कि:
- सरकार मामले की निष्पक्ष जाँच करिए।
- जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई हो।
- लाइनमैन और संविदा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।