कुलियों की आवाज़ को मिल रहा राष्ट्रीय समर्थन, सर्वे रिपोर्ट पहुंचेगी रेल मंत्री तक
रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का सामान उठाने वाले मेहनती कुलियों की दशा और दिशा को लेकर शुरू हुआ राष्ट्रीय कुली मोर्चा का सर्वे अभियान अब एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का रूप ले चुका है। कुलियों के रोजगार, अधिकार और सामाजिक सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को लेकर जारी यह सर्वे अभियान देश के कोने‑कोने में कुलियों और आम जनता से विकराल समर्थन प्राप्त कर रहा है।
सर्वे की राष्ट्रीय पहुँच
राष्ट्रीय कुली मोर्चा द्वारा शुरू किया गया यह सर्वे अभियान पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा, मिजोरम, असम से लेकर उत्तर भारत के जम्मू-कश्मीर, और दक्षिण के केरल, साथ ही महाराष्ट्र के भुसावल व मुंबई सेंट्रल जैसे बड़े स्टेशनों तक पहुँच चुका है।
हर स्टेशन पर कुली स्वेच्छा से सर्वे फॉर्म भर रहे हैं। इन फॉर्म्स में:
- वर्तमान आय और काम की स्थिति
- सामाजिक सुरक्षा का स्तर
- स्टेशन पर डिजिटल और बैटरी चालित व्यवस्थाओं के असर
- भविष्य की आवश्यकताओं पर विचार
जैसे मुद्दों को संकलित किया जा रहा है।
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राष्ट्रीय बैठक में लिया गया बड़ा निर्णय
राष्ट्रीय कुली मोर्चा की वर्चुअल बैठक कल संपन्न हुई, जिसमें देशभर से कुली प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि:
- सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपी जाएगी।
- यह रिपोर्ट सांसदों और प्रमुख राजनीतिक दलों को भी भेजी जाएगी ताकि वे इस मसले को संसद और नीतिगत विमर्श में उठा सकें।
- अभियान को ज्यादा आक्रामक और संगठित बनाने की योजना पर सहमति बनी।
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राम सुरेश यादव: कुली मोर्चा की राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर का बयान
राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर राम सुरेश यादव ने बताया कि मोर्चा के प्रयासों के कारण अब रेल मंत्रालय ने भी देशभर के कुलियों की स्थिति की जांच का आदेश दिया है, लेकिन इसका जमीन पर क्रियान्वयन फिलहाल शून्य है।
उन्होंने कहा:
“कुलियों के काम को लगातार खत्म किया जा रहा है—माई कुली ऐप, ट्रॉली सेवा और बैटरी वाहन व्यवस्था के जरिए। यह कुलियों के रोज़गार पर सीधा प्रहार है।”
राम सुरेश यादव ने यह भी कहा कि यदि सरकार स्टेशन पर सामान ढोने का कार्य निजीकरण के माध्यम से समाप्त कर रही है, तो उसे कुलियों को रेलवे में स्थायी नौकरी देने की नीति स्पष्ट करनी चाहिए।
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कुलियों की प्रमुख मांगें
- रेलवे में स्थायी भर्ती
- सामाजिक सुरक्षा योजना (बीमा, पेंशन, चिकित्सा)
- कुली पहचान पत्र और अधिकारों की वैधानिक मान्यता
- निजीकरण के खिलाफ सुरक्षात्मक नीति
- ट्रॉली और बैटरी वाहन जैसे विकल्पों पर पुनर्विचार
बैठक में उपस्थित प्रमुख प्रतिनिधि
बैठक का संचालन चंदेश्वर मुखिया ने किया। इसमें देशभर से शामिल प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और सुझाव दिए:
- शेख रहमतुल्लाह
- अनिल सांवले
- कलीम मकरानी
- राम महावर
- राज कपूर
- राम बाबू बिलाला
- चंद्रू चालवाड़ी
- अमजद भाई
- गुफरान अहमद
- अदनान अहमद
- मनीष
- अरुण कुमार यादव
- राहुल कुमार
- अनील मंडल
- शिवराम
- अरविन्द कुमार
- भारत भूषण शर्मा
- अरुण कुमार महतो
- कन्हैया ग्वाला
- सूरज मेश्राम
- भुवन यादव
- मूलचंद वर्मा
- राजू टीकम
- जितेंद्र डांगी
- मोहम्मद हाशिम
- चंद्रपाल
News Time Nation Lucknow की विशेष रिपोर्टिंग के अनुसार, यह बैठक देश में संगठित श्रमिक आंदोलनों के लिए प्रेरणादायक मॉडल बन रही है।
माई कुली ऐप और निजीकरण की चिंता
कई कुलियों ने चिंता जताई कि:
- “माई कुली ऐप” के जरिए सीधा बुकिंग होने से स्टेशन पर मौजूद कुलियों को मौका नहीं मिल पाता।
- ट्रॉली प्रथा और बैटरी चालित वाहन से कुलियों का पारंपरिक काम छिन रहा है।
- निजी कंपनियों को यह काम सौंपा जा रहा है, जो कुलियों के लिए रोज़गार संकट बनता जा रहा है।
जमीनी सच्चाई और सरकारी उदासीनता
कुलियों की ओर से यह भी बताया गया कि:
- कई स्टेशनों पर अबतक रेलवे का कोई प्रतिनिधि हालात की समीक्षा के लिए नहीं पहुंचा।
- सर्वे के प्रति कुलियों की उत्सुकता और जागरूकता तो है, लेकिन सरकार का रवैया ढीला और असंवेदनशील दिखाई दे रहा है।
कुलियों का ऐतिहासिक योगदान
रेलवे के इतिहास में कुलियों की भूमिका:
- यात्रियों के सामान की सुरक्षा
- प्लेटफॉर्म्स पर यात्री मार्गदर्शन
- ट्रेनों के सही समय पर लोडिंग-अनलोडिंग
आज तकनीकी बदलावों और निजीकरण के चलते उनके अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं।