| संवाददाता, मो. तौफ़ीक़ |
उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद में किसानों की लगातार बढ़ती समस्याओं को लेकर भारतीय किसान संघ ने एक बृहद अभियान चलाया। जिले के सभी 13 ब्लॉकों में एकसाथ प्रदर्शन कर किसानों की समस्याओं पर आवाज़ बुलंद की गई। इस क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन खंड विकास अधिकारियों (BDO) के माध्यम से सौंपा गया।
भारतीय किसान संघ के इस कदम को किसान आंदोलन की दिशा में एक अहम पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसे किसानों ने “सरकार तक सीधी आवाज़ पहुंचाने का प्रयास” बताया।
ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य
ज्ञापन में किसानों ने विस्तारपूर्वक अपनी वास्तविक और ज़मीनी समस्याओं को रेखांकित किया है। उनके अनुसार खेती से जुड़े विभिन्न पहलू जैसे कि खाद, बीज, सिंचाई, बिजली और छुट्टा पशुओं की समस्या अब असहनीय हो चुकी हैं।
“किसान अब भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठा है कि उसकी पीड़ा सुनी जाएगी,” – ओम प्रकाश मिश्र, जिला मंत्री, भारतीय किसान संघ
किसानों की प्रमुख समस्याएं जो ज्ञापन में उठाई गईं
1. खाद-बीज में मिलावट और उपलब्धता की कमी
- किसान संघ ने आरोप लगाया कि बाजार में मिलने वाला खाद और बीज गुणवत्ताहीन है।
- नकली बीज और रसायनों से फसलें नष्ट हो रही हैं, जिससे उत्पादन गिर रहा है।
2. छुट्टा पशुओं का आतंक
- छुट्टा गाय, बैल और सांड फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
- कई किसानों ने अपनी रबी और खरीफ दोनों फसलों में भारी नुकसान झेला है।
3. सिंचाई व्यवस्था की बदहाली
- नहरें और नलकूप लंबे समय से खराब पड़े हैं।
- किसानों को निजी पंपिंग सेट का सहारा लेना पड़ता है, जिससे खर्च बढ़ता है।
4. बिजली कटौती
- रबी सीजन में बिजली की अनुपलब्धता के कारण समय पर सिंचाई नहीं हो पा रही है।
- किसान दिन के समय बिजली देने की मांग कर रहे हैं ताकि वे सुरक्षित ढंग से काम कर सकें।
5. मनरेगा से नालियों की सफाई की मांग
- किसानों का मानना है कि अगर मनरेगा के तहत नालियों और नहरों की नियमित सफाई कराई जाए, तो सिंचाई व्यवस्था बेहतर हो सकती है।
हमारे यूट्यूब चैनल को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। …
मांगों का संक्षेप विवरण
क्रम | मांग | विवरण |
---|---|---|
1 | गुणवत्तापूर्ण खाद और बीज | समय पर, उचित मूल्य पर उपलब्धता |
2 | छुट्टा पशु प्रबंधन | गोशालाओं की संख्या बढ़ाई जाए |
3 | सिंचाई के संसाधन | नहरों और नलकूपों की मरम्मत |
4 | बिजली आपूर्ति | दिन में 8-10 घंटे निर्बाध बिजली |
5 | मनरेगा से सफाई | सिंचाई नालियों की सफाई मनरेगा से कराई जाए |
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। …
13 ब्लॉकों में एकसमान प्रदर्शन
इस अभूतपूर्व प्रयास में अमेठी के 13 विकासखंड—जैसे जगदीशपुर, मुसाफिरखाना, तिलोई, बहादुरपुर, संग्रामपुर, भादर, शाहगढ़, अमेठी नगर क्षेत्र इत्यादि—के किसानों ने एकजुट होकर ज्ञापन सौंपा।
हर ब्लॉक में स्थानीय किसान संघ के कार्यकर्ताओं ने खंड विकास अधिकारियों (BDO) को ज्ञापन सौंपा और सरकार तक भेजने का अनुरोध किया।
भारतीय किसान संघ की भूमिका
भारतीय किसान संघ, एक गैर-राजनीतिक किसान संगठन, इस अभियान का संचालन कर रहा था। संगठन का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से प्रशासन के समक्ष रखना है।
मौजूद प्रमुख पदाधिकारी:
- ओम प्रकाश मिश्र (जिला मंत्री)
- रविंद्र प्रताप पाठक
- राणा प्रताप सिंह
- राजेंद्र सिंह
- बृजेश मिश्रा
- रवि सिंह
- संतोष कुमार
इन सभी पदाधिकारियों की अगुआई में विभिन्न ब्लॉकों में किसानों को एकत्रित किया गया और संयमित ढंग से ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रशासनिक रुख
अब तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार खंड विकास अधिकारियों ने सभी ज्ञापनों को संकलित कर जिलाधिकारी अमेठी को प्रेषित कर दिया है।
“हमारी भूमिका केवल ज्ञापन को शासन तक पहुंचाने की है, सरकार ही इस पर निर्णय लेगी,” — एक बीडीओ (नाम न छापने की शर्त पर)
News Time Nation Amethi विश्लेषण: क्या यह किसानों की आवाज़ सरकार तक पहुंचेगी?
इस ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया को देखें तो यह साफ ज़ाहिर होता है कि किसान अब शांतिपूर्ण परंतु संगठित दबाव की रणनीति अपना रहे हैं। news time nation Amethi द्वारा किए गए सामाजिक अध्ययन में निम्न निष्कर्ष सामने आए:
- 60% किसानों ने माना कि उन्हें सरकार से अपेक्षा है लेकिन व्यवस्था तक आवाज़ पहुंचने में देरी होती है।
- 30% किसान मानते हैं कि “छुट्टा जानवर” आज की सबसे बड़ी कृषि समस्या है।
- लगभग 80% किसानों को समय पर खाद और बिजली न मिल पाने की शिकायत है।
क्या होगा आगे?
यदि सरकार मांगें मानती है:
- किसान राहत महसूस करेंगे।
- उत्पादन और आय में सुधार संभव।
यदि मांगें अनसुनी रह जाती हैं:
- किसान आंदोलन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
- विपक्षी दल इसे मुद्दा बना सकते हैं।
निष्कर्ष
news time nation Amethi के इस विशेष रिपोर्ट से स्पष्ट है कि किसान अब केवल आंदोलन नहीं, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से अपनी बात कहने लगे हैं। ज्ञापन सौंपने जैसी शालीन विधियों से जहां एक ओर किसान अपनी बात रख रहे हैं, वहीं सरकार पर भी यह दबाव बन रहा है कि वो इन आवाज़ों को गंभीरता से सुने।