ग्राम सभा वर्रा के शौचालयों की बदहाल हालत; ग्रामीणों ने लगाया भारी भ्रष्टाचार का आरोप

संवाददाता , योगेश यादव

प्रस्तावना

अमेठी जनपद के जामो विकास खंड अंतर्गत ग्राम सभा वर्रा के ग्रामीणों ने घोषणा की है कि वहाँ निर्मित सामुदायिक शौचालय उस सुविधा के लिए पूरी तरह अनुपयुक्त हो गए हैं जो सरकार ने जनता को उपलब्ध कराने का वादा किया था। News Time Nation अमेठी की टीम ने गाँव का दौरा किया—ग्रामीणों की बातों और दृश्य प्रमाणों के आधार पर एक त्रिज के पहलुओं पर उजागर हो रही है कि किस तरह सरकारी योजनाएँ “कागज़ों पर पूरी” दिखाती हैं लेकिन ज़मीन पर फेल साबित होती हैं।


गाँव की स्थिति

ग्राम सभा वर्रा एक छोटा लेकिन जीवंत गाँव है जहाँ अधिकांश लोग कृषि और मजदूरी से जीवन-यापन करते हैं। वर्षों से सरकार की स्वच्छता योजनाएँ लागू हुई हैं, लेकिन ग्रामवासियों के अनुसार इन योजनाओं के लाभों का अधिकांश हिस्सा सिर्फ नाम ही रहा है।


शिकायतें और आरोप

ग्रामीणों ने निम्नलिखित गंभीर शिकायतें और आरोप लगाए हैं:

  1. सामुदायिक शौचालय जर्जर अवस्था में
    • शौचालय भवन की दीवारें टूटी-फूटी हैं, सीलिंग में दरार है।
    • पानी की व्यवस्था नहीं है—न कोई नल, न पानी टंकी।
    • बिजली की व्यवस्था भी नहीं है—रात में अँधेरे में जाना मुश्किल।
    • टॉयलेट सीट या सीट चश्मा नहीं है, दरवाज़े, ताले, प्राइवेसी की बाधाएँ बनी हुई हैं।
  2. व्यक्तिगत शौचालय निर्माण अधूरा
    • कई घरों में सिर्फ बेस तैयार किया गया, दीवार अधूरी छोड़ी गई, दरवाज़ा नहीं लगा।
    • अधिकारियों की ओर से अधूरे काम को पूरा दिखाने के लिए दस्तावेजों पर मोहर लगाई गई।
  3. रास्तों की समस्या और पहुंच
    • सामुदायिक शौचालय तक पहुंचने वाला रास्ता घास-फूस और काटीली झाड़ियों से भरा हुआ है।
    • बारिश के मौसम में रास्ते गीले हो जाते हैं, कीड़े-मकौड़ों की समस्या बढ़ जाती है।
  4. सफाई और देखभाल की कमी
    • देखभाल करने वाला कर्मचारी (केयरटेकर) नियुक्त नहीं है या कभी नहीं आता।
    • सफाई नहीं होने के कारण बदबू, बीमारी के कारण स्थानीय लोग परेशान हैं।
  5. भ्रष्टाचार और सरकारी धन का दुरुपयोग
    • ग्राम प्रधान और सचिव पर मिलीभगत से सरकारी धन का इस्तेमाल अधूरे कामों के लिए किया गया।
    • कई लाभार्थियों को बताया गया कि शौचालय तैयार है जबकि वस्तुतः काम अधूरा है।
    • ग्रामीणों का आरोप है कि फंड सिर्फ कागज़ों पर फ्लो दिखाया गया।

सम्बन्धित अन्य रिपोर्टें—परिस्थिति अमेठी की

ग्राम सभा वर्रा की स्थिति अकेली नहीं है। अमेठी के अन्य ब्लॉकों व ग्राम पंचायतों से भी मिलती-जुलती शिकायतें सामने आई हैं:

  • फलपुर (तिलोई) में कई सामुदायिक शौचालय बने लेकिन “ताला बंद” होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
  • अमेठी की कई ग्राम पंचायतों में स्वच्छता व्यवस्था इतनी बदहाल है कि 85 गाँवों में सिर्फ 56 सफाईकर्मी मौजूद हैं, और कई सफाई कर्मी दफ्तरों में तैनात हैं।
  • “Many toilets exist only on paper in this Amethi village” शीर्षक की रिपोर्ट में गाँववासियों ने बताया कि योजना के तहत होने वाली शौचालय निर्माण योजनाएँ सिर्फ आंकड़ों में पूरी दिखाए जाते हैं, लेकिन अधिकांश घरों में काम अधूरा है या निर्माण नहीं हुआ है।

सरकारी प्रतिक्रियाएँ और जवाबदेही

ग्रामीणों के आरोपों के बाद कुछ अधिकारियों द्वारा निम्नलिखित प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं:

  • खंड विकास अधिकारी (K.V.O. / B.D.O.) को शिकायतें मिली हैं और उन्होंने कहा है कि मामले की जांच करायी जाएगी।
  • कुछ सामुदायिक शौचालयों के बारे में खंड स्तर पर अधिकारियों को जानकारी नहीं थी।
  • ग्राम प्रधान और सचिव से जवाब मांगा जाएगा कि किस तरह कार्य अधूरे छोड़े गए, किन गांववासियों को योजनाओं का लाभ नहीं मिला।

विश्लेषण: क्यों हो रही है असफलता?

यहाँ कुछ कारक हैं जो इस तरह की परिस्थितियाँ उत्पन्न कर रहे हैं:

  1. निगरानी की कमी
    सरकार योजनाएँ तो बनाती है, लेकिन उनका फॉलो-अप और सतत निरीक्षण कम ही होता है। निर्माण के बाद उपयोगिता, सुरक्षा, रखरखाव आदि का परीक्षण नहीं किया जाता।
  2. स्थानीय स्तर पर प्रणालीगत भ्रष्टाचार
    ग्राम प्रधान, सचिव और विकास अधिकारी के बीच आपसी मिलीभगत से धन का सही उपयोग नहीं हो पा रहा।
  3. अधूरी निर्माण और गुणवत्ता की गिरावट
    सामग्री की गुणवत्ता कम हो सकती है, ठेकेदारों / कामगारों की मेहनत अधूरी या घटिया हो सकती है।
  4. स्थानीय जनसमूह की भागीदारी न होना
    जब गाँववासी योजनाओं से जुड़े नहीं होते, उनसे राय या शिकायतों को नहीं स्वीकारा जाता, तब समाधान नहीं निकलता।
  5. जल, बिजली एवं आधारभूत सुविधाओं का अभाव
    शौचालय तो बनाये गए, लेकिन पानी, बिजली, साफ-सफाई जैसे बुनियादी सुविधाएँ लागू नहीं हुईं।

क्या कहता है कानून और सरकारी नीति?

  • स्वच्छ भारत मिशन (Grameen) / SBM‑G की गाइडलाइन कहती है कि हर घर में टॉयलेट हो और सामुदायिक शौचालयों की सौ‑सफाई व उपयोगिता सुनिश्चित की जाए।
  • प्रत्येक नागरिक को सार्वजनिक वित्त का उपयोग पारदर्शी रूप से होने की उम्मीद है, और अगर धन का गबन हुआ है, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई हो सकती है।

ग्रामीणों की माँगे और प्रस्तावित कदम

ग्रामीणों ने निम्नलिखित कदम उठाने की माँग की है:

  1. स्वतंत्र जांच आयोग बने, जिसमें जिलाधिकारी, BDO, पंचायत प्रतिनिधि और ग्राम वासियों की भागीदारी हो।
  2. मानक परीक्षण: निर्माण की सामग्री, कार्य की गुणवत्ता व उपयोगिता जाँची जाएं।
  3. नियमित रखरखाव और देखभाल हेतु केयरटेकर नियुक्त किया जाए।
  4. पानी और बिजली की व्यवस्था तुरन्त हो
  5. प्राप्त शिकायतों, अनुत्तरित درخواستों की सूची सार्वजनिक रूप से公布 की जाए
  6. उत्तरदायित्व तय किया जाए: ग्राम प्रधान, सचिव व विकास अधिकारी जो जिम्मेदार हैं, उनसे जवाब मांगा जाए।

क्षेत्रीय और सामाजिक प्रभाव

  • खुले में शौच के चलने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ जैसे दस्त, त्वचा रोग, कीट संक्रमण आदि बढ़ने की संभावना है।
  • महिलाओं और बुजुर्गों के लिए असाधारण असुविधाएँ—रात में अँधेरे या प्राइवेसी की कमी की वजह से शर्मिंदगी होती है।
  • पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वच्छता अभियान पर असर पड़ेगा—सरकार की मंशा और योजनाओं की साख प्रभावित होगी।

निष्कर्ष

ग्राम सभा वर्रा की स्थिति एक उदाहरण है कि कैसे सरकारी योजनाएँ व्यवस्था में कमी, भ्रष्टाचार, और निगरानी की नसildi से पूरी तरह अपने उद्देश्य से भटक जाती हैं। News Time Nation अमेठी यह अपेक्षा करता है कि सरकारी एजेंसियाँ इस बात की गहन जांच करें, दोषियों के खिलाफ कार्यवाई हो और गाँव वालों को वो सुविधा मिले जिसे वे वर्षों से इंतज़ार कर रहे हैं।

Khursheed Khan Raju

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