सुलतानपुर डीएम कार्यालय में युवक से अभद्रता; “क्या मैं तुम्हारे बाप का नौकर हूँ” वाले बयान से खड़ा हुआ विवाद

प्रस्तावना

प्रशासनिक कार्यालयों में जिन नागरिकों को अपनी सरकारी सेवा के लिए जाना पड़ता है, उनका सम्मान और अधिकार दोनों ही सरकार की विश्वसनीयता का आधार हैं। हाल ही में सुलतानपुर के जिलाधिकारी कार्यालय में IGRS विभाग से जुड़े एक मामले ने यह प्रश्न उठा दिया है कि क्या सरकारी कर्मचारियों का रवैया दायित्वों और नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी से छूट सकता है।

यह रिपोर्ट उस घटना की है जिसमें एक युवक ने आरोप लगाया कि IGRS विभाग के कर्मचारी ने उसके आवेदन की लंबित स्थिति और उसके आग्रह पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया।


घटना का विवरण

  • आवेदक: अंकित विश्वकर्मा, निवासी जयसिंहपुर गाडौली, वर्तमान में लखनऊ में नौकरी करता है।
  • आवेदन: मार्च महीने में सम्बन्ध प्रमाण पत्र के लिए IGRS विभाग में आवेदन किया गया था।
  • लंबित स्थिति: कई महीने बीत जाने के बावजूद प्रमाण पत्र न बनना।
  • मंगलवार दोपहर लगभग 1 बजे: अंकित कार्यालय आया, जहाँ विभाग के कर्मचारी अनूप गुप्ता से अपने आवेदन के प्रगति के बारे में जानकारी लेना चाहता था।
  • कर्मचारी की प्रतिक्रिया:
    • पहले कहा गया कि “5 बजे आना।”
    • पुनः विनती करने पर अनूप गुप्ता ने आरोप है कि उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए कहा: “क्या मैं तुम्हारे बाप का नौकर हूँ?”
    • इसके बाद युवक को कार्यालय से बाहर भेजा गया।
  • अन्य लोग: कार्यालय में मौजूद अन्य लोग सकते में रहे।
  • प्रमाण पत्र जारी करना: शाम करीब 6 बजे, मामला बढ़ने के बाद, आखिरकार सम्बन्ध प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।

IGRS विभाग और उसकी भूमिका

IGRS (Integrated Grievance Redressal System), उत्तर प्रदेश सरकार के स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग से जुड़ा एक विभाग है जिसमें नागरिक संपत्ति, रजिस्ट्रेशन, सम्बंध प्रमाण पत्र, आवेदन शिकायत आदि मामलों के निस्तारण की व्यवस्था होती है।

आमतौर पर मोबाईल / ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन किए जाते हैं और विभाग को आवेदन की स्थिति की जानकारी नागरिकों को देना होती है। कभी‑कभी लंबित मामलों की संख्या और शिकायतों के निस्तारण पर जिला प्रशासन समीक्षा बैठकों में नाराज़गी जताता है।


प्रशासनिक और कानूनी पहलू

  • संबंधित कानून: कोई कानून स्पष्ट रूप से यह निर्धारित नहीं करता कि कर्मचारी को नागरिक को अपमानजनक भाषा न बोलनी चाहिए, लेकिन नागरिक अधिकारों, आदर्श आचरण नियमों, प्रशासनिक मर्यादा तथा लोक सेवा कानून की आधारभूत अपेक्षाएँ ऐसी घटनाओं में लागू होती हैं।
  • जिला प्रशासन की जिम्मेदारी: जिलाधिकारी कार्यालय, संबंधित विभाग, और उच्च अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे व्यवहार की जांच हो और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई हो।
  • शिकायत दर्ज करना: प्रभावित व्यक्ति उच्च‑अधिकारियों / जिला मुहैया शिकायत विभाग / मानव अधिकार आयोग आदि को शिकायत कर सकते हैं।

स्थानीय प्रतिक्रिया और प्रभाव

  • युवक की प्रतिक्रिया: अंकित विश्वकर्मा ने बताया कि उसकी नौकरी की वजह से सिर्फ एक दिन की छुट्टी पर आया था, इसलिए काम जल्दी निपटने की मांग थी। लेकिन कर्मचारी ने समय दिया और बाद में अभद्र भाषा का प्रयोग किया।
  • स्थानीय लोगों की राय: कई नागरिकों ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में इस तरह की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जहां जनता को अपमान सहना पड़ता है।
  • प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल: आवेदन लंबित होने की स्थिति, लंबी प्रतीक्षा, अनौपचारिक तरीके से कार्य टालना आदि पर प्रश्न उठ रहे हैं।

संदर्भ और समान उदाहरण

  • सुलतानपुर में IGRS विभाग से संबंधित शिकायतों तथा लंबित मामलों की समीक्षा बैठकों में डीएम द्वारा 2104 लंबित प्रकरणों को तुरंत निस्तारण निर्देश दिए जा चुके हैं।
  • प्रदेश में IGRS पोर्टल पर शिकायतों के गलत / अधूरे रिपोर्ट लगने की शिकायतें‑उदाहरण मिलते रहे हैं, जहाँ अधिकारी मौके पर न जाकर ही इंटरनेट रिपोर्ट को “पूरा हुआ” दिखा देते हैं।

सुझाव और सुधार की दिशा

  1. कार्मिक प्रशिक्षण और जवाबदेही
    सभी IGRS विभाग और स्टाम्प एवं पंजीकरण कार्यालय के कर्मचारियों के लिए नागरिक सेवा, शिष्टाचार व शिकायत‑निवारण प्रक्रिया पर प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए।
  2. शिकायत प्रणाली का पारदर्शी ट्रैकिंग
    आवेदन की स्थिति का ऑनलाइन ट्रैकिंग हो, ग्राहक (आवेदक) को सतत सूचना मिले कि आवेदन किस स्थिति में है और कितने समय की देरी हो रही है।
  3. अपमानजनक भाषा और व्यवहार के लिए नियम
    विभागीय निर्देश जारी हो कि कोई भी कर्मचारी सार्वजनिक कार्यालय में किसी भी नागरिक के साथ अपमानजनक भाषा नUSE करे; उल्लंघन पर विभागीय कार्रवाई हो।
  4. समयसीमा निर्धारण
    सम्बंध प्रमाण पत्र जैसे सुविधाएँ देने के मामलों के लिए निर्धारित समयसीमा हो—उदाहरण के लिए आवेदन से 7‑14 दिन या माह‑अधीन समय में जारी करना होगा।
  5. उच्चाधिकारियों की निगरानी
    जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट स्तर पर इस तरह की शिकायतों की समीक्षा हो; शिकायतकर्ता द्वारा अप्रत्याशित व्यवहार की रिपोर्ट की स्थिति जांची जाए।
  6. जन जागरूकता
    नागरिकों को यह जानकारी हो कि उनके आवेदन की स्थिति ऑनलाइन कैसे देखें, शिकायत कैसे करें, अधिकारी का नाम, शिकायत प번호 आदि सब नोट करें।

निष्कर्ष

News Time Nation Sultanpur की रिपोर्ट के अनुसार, सुलतानपुर डीएम कार्यालय में युवक के साथ हुए इस तरह के अपमानजनक व्यवहार ने प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सरकारी सेवा का मूल उद्देश्य नागरिकों को न्याय, सुविधा और सम्मान देना है। जब ये मूल्य टूटते हैं, तो सरकारी व्यवस्था पर विश्वास कम होता है।

Khursheed Khan Raju

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