जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को सौंपा ज्ञापन, हजारों शिक्षकों ने भरी हुंकार – “शिक्षक एकता जिंदाबाद, काला कानून वापस लो”
सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर मंगलवार को सुल्तानपुर में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्यता के विरोध में विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया। सुबह से ही जिलेभर से जुटे हजारों शिक्षकों का हुजूम तिकोनिया पार्क में एकत्र हुआ और वहां से जुलूस के रूप में नारे लगाते हुए कलेक्ट्रेट तक पहुंचा।
शिक्षकों ने “शिक्षक संघर्ष जिंदाबाद, शिक्षक एकता जिंदाबाद, काला कानून वापस लो, हमारी मांगे पूरी हो चाहे जो मजबूरी हो” जैसे नारे लगाकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। जिलाधिकारी की ओर से अपर एसडीएम शिव प्रसाद ने ज्ञापन लिया और उसे आगे भेजने का आश्वासन दिया।
संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा के नेतृत्व में हुए इस कार्यक्रम में जनपदीय प्रवक्ता निजाम खान ने कहा कि संघ का इतिहास संघर्षों से भरा रहा है और अब भी शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
मांडलिक मंत्री दिलीप कुमार पांडेय ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए शिक्षकों की मांगों का समाधान करना चाहिए। वहीं वरिष्ठ उपाध्यक्ष वीरेंद्र नारायण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि शिक्षक समुदाय की पीड़ा को समझा जाए और राहत देने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी हों।
जिला मंत्री डॉ. हृषिकेष भानु सिंह ने सरकार से आग्रह किया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए। उन्होंने कहा कि 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी लागू करना नाइंसाफी है।
संयुक्त मंत्री प्रशांत पांडेय ने चेतावनी दी कि अगर ज्ञापन के माध्यम से सार्थक परिणाम नहीं निकला तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
इस दौरान जिला उपाध्यक्ष रामबहादुर मिश्र ने कहा कि यदि FLN प्रशिक्षण और अन्य कार्यक्रम न होते तो आज पूरा सुल्तानपुर बंद हो जाता।
धरने में महिला शिक्षक भी बड़ी संख्या में मौजूद रहीं। जनपदीय उपाध्यक्ष प्रियंका पांडेय, प्रतिमा सिंह, रंजना, शैलजा, कविता समेत अनेक महिला शिक्षिकाओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
धरना-प्रदर्शन में जिलेभर के शिक्षकों ने एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाया और कहा कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस फैसला नहीं होगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।