लखनऊ। भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से ध्रुवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित “अटल जन्मशताब्दी समारोह 2025” के द्वितीय दिवस पर मंगलवार को लखनऊ में सेमिनार, पैनल चर्चा और काव्यांजलि का भव्य आयोजन किया गया।कार्यक्रम का आयोजन श्री शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, गोसाईगंज, लखनऊ में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

अटल जी के नेतृत्व और विचारों पर हुई पैनल चर्चा
प्रमुख आकर्षण पैनल चर्चा रही, जिसका विषय था अटल जी का नेतृत्व, शासन दृष्टि एवं युवाओं के लिए प्रेरणा | इस सत्र में वक्ताओं ने अटल जी के राजनीतिक जीवन, उनके नेतृत्व कौशल, लोकतांत्रिक दृष्टि और राष्ट्रनिर्माण के प्रति उनके योगदान पर विस्तृत विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि अटल जी न केवल महान नेता थे, बल्कि ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने संवाद, सहमति और राष्ट्रीय हित को हमेशा सर्वोपरि रखा।छात्रों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने बताया कि अटल जी का जीवन युवाओं के लिए साहस, संस्कार और संकल्प की प्रेरणा है।
मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि रहे उपस्थित
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे—
- निर्मेश सिंह (Vice Chairman, श्री शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स)
- सुश्री ज्योति सिंह (Director)
- विवेक मिश्रा (Dean)
- ध्रुवी चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष नेहा श्रीवास्तव
- ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष पियूष चंदन
- राजीव बाजपेयी, पार्षद, नगर निगम लखनऊ
- दीपक सोनकर ‘शैलू’, मंडल अध्यक्ष, भाजपा लखनऊ
- आनंद पांडेय, पूर्व मंडल अध्यक्ष, भाजपा

कार्यक्रम में आये हुए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर सभी के लिए जलपान की व्यवस्था की गई। आयोजकों ने कहा कि यह समारोह अटल जी की विचारधारा, आदर्श और साहित्य को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का एक सार्थक प्रयास है।
काव्यांजलि सत्र: कवियों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के साहित्यिक सत्र में देश के प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से अटल जी को स्मरण किया। मंच पर उपस्थित रहे—
- अनुप प्रतापगढ़ी
- वंदना विशेष
- शश्वत सिंह ‘दर्पण’
- अंकुर पाठक
इन कवियों ने देशभक्ति, मानवता और अटल जी के व्यक्तित्व पर आधारित अपनी ओजस्वी एवं हृदयस्पर्शी कविताओं से सभागार को भावुक कर दिया। श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से कवियों का स्वागत किया।