मेरठ संवाददाता :- शाहिद मंसूरी
मेरठ में SDM सदर कोर्ट परिसर मंगलवार को उस समय तनावपूर्ण माहौल बन गया जब एक किसान जमीन विवाद से परेशान होकर SDM के पैरों में गिर पड़ा और न्याय की गुहार लगाते हुए रोने लगा। किसान ने लेखपाल पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया और आत्महत्या की धमकी दी। मौके पर पहुंचे वरिष्ठ अधिकारियों ने किसान को भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष होगी और उसे न्याय मिलेगा।

मेरठ में मंगलवार का दिन प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भावनात्मक और तनावपूर्ण रहा, जब सरूरपुर क्षेत्र के गांव कालीना के किसान राजीव ने SDM सदर कोर्ट के बाहर अचानक हंगामा कर दिया। राजीव जमीन विवाद और रिश्वतखोरी से परेशान था। उसका आरोप था कि उसके जमीन बंटवारे से जुड़े मामले में तैनात लेखपाल सुरेंद्र कुमार ने उससे दस हजार रुपये रिश्वत मांगी है। इसी परेशानी और नाराजगी में वह अचानक SDM डॉ. दीक्षा जोशी के पैरों में गिर पड़ा और जोर-जोर से रोने लगा।

किसान बार-बार कह रहा था कि उसके मामले में न्याय नहीं मिल रहा और अगर उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उसका अगला ठिकाना श्मशान ही होगा। SDM ने उसे पानी पिलाकर शांत कराने की कोशिश की और उसका पक्ष सुना, लेकिन राजीव बार-बार अपनी बात पर अड़ा रहा कि वह अब और अन्याय सहन नहीं कर सकता।
किसान ने बताया कि उसके पिता ने वर्ष 2020 में पैतृक जमीन विवाद को लेकर एक मुकदमा दायर किया था, जिसमें तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन बाद में विपक्षी पक्ष की अपील पर वह फैसला निरस्त कर दिया गया। इसके बाद से मामला SDM सदर कोर्ट में लंबित है। मंगलवार को लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की, जिसे कोर्ट ने नियमानुसार स्वीकार कर लिया। राजीव का दावा था कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत है और इसे लेने के बदले उससे रिश्वत की मांग की गई थी। रिपोर्ट स्वीकार होते ही वह भड़क गया और कोर्ट परिसर में ही धरने पर बैठ गया।

SDM दीक्षा जोशी जब उसे समझाने पहुंचीं तो राजीव ने उनके पैर पकड़ लिए। वह जोर-जोर से रोता रहा और लगातार कहता रहा कि उसे न्याय नहीं मिला तो वह अपनी जान दे देगा। SDM ने उसे समझाया कि कोर्ट बिना दोनों पक्षों को सुने कोई निर्णय नहीं दे सकती और पूरा मामला प्रक्रिया के अनुसार ही आगे बढ़ेगा। इसके बावजूद किसान अदालत से तुरंत फैसला चाहता था।स्थिति गंभीर होती देख कुछ देर बाद ADM सिटी बृजेश सिंह और फिर ADM एफआर सूर्यकांत त्रिपाठी भी मौके पर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने किसान को समझाया और उसे भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष होगी और किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि उसकी शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की पूरी जांच की जाएगी। इसके बाद किसान कुछ हद तक शांत हुआ और धरना खत्म किया।
SDM डॉ. दीक्षा जोशी ने मीडिया से कहा कि किसान तत्काल निर्णय की मांग कर रहा था, जबकि प्रशासनिक प्रक्रिया में दोनों पक्षों को सुनना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि किसान को समझा दिया गया है कि उसे न्याय अवश्य मिलेगा क्योंकि कोर्ट प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से चलती है।

पूरी घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन विवाद, रिश्वतखोरी और धीमी न्यायिक प्रक्रिया की समस्याओं को उजागर कर दिया है। किसान राजीव की भावनात्मक टूटन इस बात का संकेत है कि आम आदमी आज भी न्याय पाने के लिए कितनी कठिनाइयों से गुजरता है। प्रशासन की ओर से आश्वासन तो दिया गया है, लेकिन किसान इस बात को लेकर अब भी चिंतित है कि कई सालों से चल रही उसकी लड़ाई कहीं भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए।