तंज़ानिया में एक ऐसा शख्स है, जिसका नाम सुनते ही लोग हैरानी और भय का मिश्रित अनुभव करते हैं। इस्माइल अज़ीज़ी ने छह बार मौत को धोखा दिया है और हर बार ऐसे ज़िंदा लौटे कि लोग सोचने लगे कि शायद वह सच में अमर हैं। उनके जीवन की ये घटनाएँ न केवल चौंकाने वाली हैं, बल्कि इंसान की जिंदा रहने की अद्भुत क्षमता का प्रतीक भी हैं।

इस्माइल अज़ीज़ी का पहला सामना मौत से तब हुआ जब वह काम के दौरान गंभीर चोटें खा बैठे। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और उन्हें सीधे मुर्दाघर भेज दिया। सभी को लगा कि अब उनकी कहानी खत्म हो गई, लेकिन असंभव सा लगने वाला दृश्य हुआ—उनका शरीर अचानक हिला और वह मुर्दाघर से बाहर चल पड़े। इस घटना ने डॉक्टरों और स्टाफ को भी हैरान कर दिया। दूसरी बार इस्माइल को मलेरिया हो गया। बीमारी इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों ने फिर से उनकी मौत घोषित कर दी। उनके परिवार ने उन्हें ताबूत में रख दिया, लेकिन जैसे ही दफ़नाने का समय आया, उन्होंने अपनी आँखें खोलीं और लोगों को चौंका दिया। इस घटना ने आसपास के लोगों में डर और शोक दोनों पैदा कर दिए।
तीसरी बार मौत का सामना एक भयानक कार दुर्घटना में हुआ। इस्माइल गहरी कोमा में चले गए और उनके लिए आधिकारिक तौर पर मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने फिर से होश में आकर साबित किया कि मौत उन्हें अपने साथ नहीं ले जा सकती। चौथी घटना और भी डरावनी थी। इस्माइल को एक ज़हरीले साँप ने काट लिया। उनके शरीर को तीन दिनों तक मुर्दाघर में रखा गया, लेकिन जब परिवार ने उन्हें लेने का प्रयास किया, तो उन्होंने एक बार फिर जीवन की ओर लौटकर सभी को चौंका दिया।
पाँचवीं बार इस्माइल शौचालय के एक गहरे गड्ढे में गिर पड़े और दम घुटने से उनकी मौत हो गई। लेकिन मृत्यु के बाद भी वह जीवित लौट आए, जैसे मौत उन्हें स्वीकार नहीं कर पा रही थी।
छठी और सबसे भयावह घटना तब हुई जब उनके पड़ोसियों ने उनके घर में आग लगा दी। लोग सोच रहे थे कि अब उनकी कहानी का अंत हो जाएगा। लेकिन जब आग की लपटें शांत हुईं, तो इस्माइल बाहर निकले—हालांकि उनके कपड़े जलकर राख हो चुके थे, लेकिन वह जीवित थे। इस घटना के बाद उन्होंने समाज से दूरी बनाना शुरू कर दी।
आज इस्माइल अज़ीज़ी एक छोटे से खेत में अकेले रहते हैं। वह अपना खाना खुद पकाते हैं और पूरी तन्हाई में दिन बिताते हैं। लेकिन उनकी इंसानियत और सौम्यता में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने लोगों को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया:
“हमेशा ईश्वर को पहले रखो, अमन से जियो, और किसी को दुख मत पहुँचाओ। कुछ चीज़ें इंसानों के बस में नहीं होतीं, उनका मालिक सिर्फ़ अल्लाह है।”

इस्माइल की कहानी ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है। कई लोग इसे सुनकर इसे अफवाह समझते हैं, लेकिन इंटरनेट पर “इस्माइल अज़ीज़ी तंज़ानिया” सर्च करने पर इसकी पुष्टि की जा सकती है। इस अद्भुत और असाधारण कहानी ने यह साबित कर दिया है कि मानव जीवन की रहस्यमयता और अनोखी परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता वाकई अद्भुत होती है। इस्माइल अज़ीज़ी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि साहस, धैर्य और आशा का प्रतीक बन गए हैं। उनके जीवन की ये घटनाएँ न केवल अद्भुत हैं, बल्कि हमें यह सिखाती हैं कि इंसान कठिन परिस्थितियों में भी आशा और ईमानदारी बनाए रख सकता है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि मृत्यु केवल एक अंत नहीं, बल्कि कभी-कभी एक नए जीवन की शुरुआत भी हो सकती है।