सुल्तानपुर संवाददाता :- अंकुश यादव
सुल्तानपुर स्थायी लोक अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक दुकानदार शिवम शुक्ल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए टाटा एआईजी बीमा कंपनी को शेष 2.91 लाख रुपये मय ब्याज और मानसिक व शारीरिक कष्ट व वाद व्यय के लिए 20 हजार रुपये एक माह के भीतर अदा करने का आदेश दिया। अदालत के चेयरमैन राधेश्याम यादव और सदस्य मृदुला राय व रमेश चंद्र यादव ने इस मामले में न्यायिक निर्णय सुनाया। यह निर्णय छोटे व्यापारियों के बीमा अधिकारों और न्याय प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण मिसाल माना जा रहा है। परिवादी शिवम शुक्ल, जो जयसिंहपुर तहसील के भोजापुर गांव के निवासी हैं, बरौंसा बाजार में अपनी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल्स की दुकान चलाते हैं। उनके अनुसार, 27 जनवरी 2023 को उन्होंने अपनी दुकान के स्टॉक के अनुसार 12 लाख रुपये का बीमा टाटा एआईजी कंपनी से कराया।

आरोप के मुताबिक, 13 अगस्त 2023 को उनकी दुकान से करीब 3.50 लाख रुपये के सामान की चोरी हुई। उन्होंने चोरी का मुकदमा दर्ज कराया और बीमा कंपनी से नुकसान की भरपाई की मांग की।
बीमा कंपनी ने इस दौरान केवल 57,974 रुपये का नुकसान मान्यता दी और वही रकम अदा की। शेष राशि देने से इनकार करने पर शिवम शुक्ल ने स्थायी लोक अदालत में वाद दायर किया।अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी दस्तावेज, चोरी के मुकदमे की जानकारी और बीमा पॉलिसी के प्रावधानों की जांच की। अदालत ने पाया कि बीमा कंपनी ने अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया और नुकसान की वास्तविक राशि का भुगतान करने में विफल रही। स्थायी लोक अदालत ने फैसला सुनाते हुए टाटा एआईजी बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वे एक माह के भीतर 2.91 लाख रुपये का शेष भुगतान करें। इसके अतिरिक्त, मानसिक और शारीरिक कष्ट व वाद व्यय के लिए 20 हजार रुपये भी अदा करने होंगे।चेयरमैन राधेश्याम यादव ने कहा कि यह फैसला व्यापारियों और छोटे व्यवसायियों के हित में लिया गया है। उन्होंने बताया कि बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने ग्राहकों के हित की रक्षा करें और किसी भी प्रकार की अनदेखी को गंभीरता से न लें।

सदस्य मृदुला राय और रमेश चंद्र यादव ने कहा कि यह निर्णय छोटे व्यापारियों के लिए न्याय का प्रतीक है और इसके माध्यम से बीमा कंपनियों को ग्राहकों के अधिकारों का सम्मान करना अनिवार्य होगा।परिवादी शिवम शुक्ल ने बताया कि अदालत के इस फैसले से उन्हें न्याय मिला है और अब उनकी आर्थिक परेशानियों का समाधान हो सकेगा। उन्होंने स्थायी लोक अदालत के चेयरमैन और सदस्यों को उनकी निष्पक्ष और संवेदनशील कार्रवाई के लिए धन्यवाद दिया।
विशेषज्ञों के अनुसार, बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी होती है कि वे अपने पॉलिसीधारकों को वास्तविक नुकसान की भरपाई समय पर करें। अदालत द्वारा दिए गए इस आदेश से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि यदि कोई बीमा कंपनी अपने दायित्वों का पालन नहीं करती, तो उपभोक्ता कानूनी मार्ग से न्याय पा सकते हैं।

स्थायी लोक अदालत का यह फैसला अन्य व्यापारियों और छोटे व्यवसायियों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगा। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बीमा कंपनियों की लापरवाही पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है और ग्राहकों को उनका हक़ मिलेगा। इस निर्णय के बाद, स्थानीय व्यापारी और समाज के लोग यह मान रहे हैं कि न्याय की प्रक्रिया प्रभावी और पारदर्शी है। यह मामला यह भी दिखाता है कि अदालतें छोटे व्यवसायियों के अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम हैं और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान कर सकती हैं।
अदालत द्वारा जारी आदेश के अनुसार, टाटा एआईजी बीमा कंपनी को तय समय में भुगतान करना अनिवार्य होगा। अगर कंपनी आदेश का पालन नहीं करती है, तो अदालत कठोर कार्रवाई कर सकती है।