बिहार के सुपौल जिले से गिरफ्तार 21 वर्षीय हर्षित कुमार देश के अब तक के सबसे बड़े सिम बॉक्स साइबर ठगी नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की जांच में खुलासा हुआ कि हर्षित चीन, नेपाल, बांग्लादेश, वियतनाम और थाईलैंड तक फैले इंटरनेशनल सिंडिकेट से जुड़ा था और साइबर ठगी की ट्रेनिंग लेने चीन भी गया था। नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन सामने आने के बाद EOU ने पूरे मामले की जांच CBI को सौंपने का निर्णय लिया है। यह मामला अब भारत में साइबर फ्रॉड के सबसे गंभीर मामलों में से एक माना जा रहा है।
बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) द्वारा सुपौल से गिरफ्तार किए गए 21 वर्षीय हर्षित कुमार का मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा साइबर ठगी नेटवर्क बनकर सामने आया है। यह सिर्फ एक युवक द्वारा किए गए साइबर अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले एक विशाल रैकेट का खुलासा है, जिसके तार चीन सहित कई देशों से जुड़े पाए गए हैं।
यह मामला इतना बड़ा है कि अब CBI इस पूरे नेटवर्क की जांच संभालेगी। EOU ने आधिकारिक रूप से CBI को रिपोर्ट भेज दी है और मामले के सभी दस्तावेज तथा बरामद तकनीकी उपकरण उनके सुपुर्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

चीन में ली थी साइबर ठगी की ट्रेनिंग
EOU के एडीजी नैयर हसनैन खान ने बताया कि हर्षित साइबर ठगी की ट्रेनिंग लेने के लिए चीन तक गया था। जांच में यह तथ्य सामने आया कि वह वहां स्थानीय हैकरों के संपर्क में आया और सिम बॉक्स, इंटरनेट प्रोटोकॉल तथा कॉल रूटिंग जैसी तकनीक सीखकर भारत लौटा।
ये ही तकनीक बाद में भारत में बड़े पैमाने पर ठगी के लिए इस्तेमाल हुई।
चीन से संपर्क के अलावा उसके नेपाल, बांग्लादेश, वियतनाम और थाईलैंड में भी संपर्क पाए गए हैं। वह इन देशों में यात्रा कर चुका था, और वहीं से पूरे नेटवर्क को संचालित किया जाता था।
इंटरनेशनल सिंडिकेट का सदस्य था हर्षित
जांच में सामने आया कि हर्षित भारत में केवल एक ऑपरेटर की तरह काम कर रहा था, जबकि पूरी कमांड विदेशों में स्थित बड़े साइबर ठगों के पास थी।
- विदेशों से निर्देश आते थे
- भारत में कॉल रूटिंग की जाती थी
- फर्जी कॉल सेंटर जैसे मॉडल पर काम होता था
- कॉलर्स भारत में बैंक, बीमा, KYC अपडेट और इनकम टैक्स विभाग के नाम पर लोगों से ठगी करते थे
EOU ने इसे भारत में अब तक मिले सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सिम बॉक्स नेटवर्क में से एक बताया है।

चीन से मिले उपकरणों ने खोला राज
छापेमारी के दौरान EOU ने हर्षित के पास से जो सामान बरामद किया, वह चौंकाने वाला था—
- मेड इन चाइना SIM BOX
- 231 सिम कार्ड
- 294 नए सिम
- 800 उपयोग किए हुए सिम
- 8 सिम बॉक्स एक साथ चलाने के उपकरण
- हाई-टेक राउटर और सर्वर
तकनीकी जांच में पता चला कि ये सभी उपकरण सीधे चीन से मंगाए गए थे।
48 घंटे में 51,000 कॉल — रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े
जांच के दौरान मिलान में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि ➤ सिर्फ 48 घंटे में 149 नंबरों से 51,000 कॉल किए गए!इन कॉल्स का समय: 30 जून से 2 जुलाई 2025 | ये सभी कॉल्स साइबर फ्रॉड से जुड़े थे, जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी, ओटीपी हैकिंग, बैंकिंग जानकारी चुराने और KYC फ्रॉड में किया जाता था। इसके अलावा – 21 जून से 23 जून के बीच वैशाली से जारी 50 मोबाइल नंबरों से भी 10,000+ कॉल किए गए थे।

कैसे पकड़ा गया ये नेटवर्क?
यह केस 21 जुलाई को सामने आया, जब EOU ने अचानक एक छापेमारी में हर्षित को गिरफ्तार किया। उसके पास से मिले उपकरणों ने स्पष्ट कर दिया कि यह कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि एक इंटरनेशनल मॉड्यूल का हिस्सा था। नेटवर्क की कार्यप्रणाली इतनी जटिल थी कि EOU को केस CBI के हवाले करना पड़ा। जांच में यह भी पता चला है कि हर्षित ने ठगी के पैसों को कम से कम 10 देशों में निवेश किया। इनमें शामिल हैं—
- चीन
- नेपाल
- बांग्लादेश
- वियतनाम
- थाईलैंड
- दुबई
- इंडोनेशिया
आदि।

यह निवेश क्रिप्टो, विदेशी बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट्स के जरिए किया गया। EOU ने पूरे मामले को CBI को सौंपने का प्रस्ताव भेज दिया है और CBI बहुत जल्द इसे अपने हाथ में ले लेगी।
अब जांच—
- अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
- विदेशी हैकर
- सिम बॉक्स सप्लायर
- भारत में मौजूद ऑपरेटर्स
- बैंकिंग ठगी के लिंक पर केंद्रित होगी।
यह केस भारत में साइबर अपराध के नए और खतरनाक स्वरूप को उजागर करता है।