सुल्तानपुर संवाददाता :- अंकुश यादव
सुल्तानपुर में स्पेशल जज पाक्सो एक्ट नीरज श्रीवास्तव की अदालत ने किशोरी के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में आरोपी मोहित को दोषी ठहराते हुए 10 वर्ष का कठोर कारावास और 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामला 2018 का है, जिसकी विवेचना और सुनवाई के बाद अदालत ने मंगलवार को सजा के बिंदु पर अंतिम फैसला सुनाया।
सुल्तानपुर जिले में वर्ष 2018 में नाबालिग किशोरी के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में लंबी सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपना निर्णय सुना दिया है। स्पेशल जज पाक्सो एक्ट नीरज श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी मोहित को दोषी मानते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास और 15 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। यह फैसला पीड़िता और उसके परिवार के लिए एक लंबे संघर्ष के बाद न्यायिक राहत लेकर आया है।

मामला लम्भुआ कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है, जहां पीड़िता की मां ने पुलिस को तहरीर देते हुए बताया था कि 10 सितंबर 2018 को उनकी नाबालिग बेटी अचानक घर से गायब हो गई थी। परिवार ने प्रारंभिक तौर पर उसे इधर–उधर तलाश किया, लेकिन जब किशोरी नहीं मिली तो संदेह गहराने लगा। करीब पखवाड़े भर बाद, पीड़िता की मां ने स्थानीय कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई कि गांव के ही निवासी मोहित ने उनकी बेटी को बहलाकर उसका अपहरण कर लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
पुलिस जांच और चार्जशीट
शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की।
- पीड़िता को बरामद किया गया।
- मेडिकल परीक्षण कराया गया।
- बयान दर्ज किए गए।
जांच के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर पुलिस ने आरोपी मोहित के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट की गंभीर धाराएं लगाईं। पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस ने चार्जशीट विशेष न्यायालय में दाखिल कर दी।

स्पेशल कोर्ट में शुरू हुआ ट्रायल
मामला पाक्सो एक्ट से संबंधित होने के कारण इसे स्पेशल जज की अदालत में भेजा गया। यहां सुनवाई लम्बे समय तक चली।विशेष लोक अभियोजक सीएल द्विवेदी ने अदालत में पीड़िता के बयान, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों के आधार पर ठोस पैरवी की। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि—
- आरोपी ने नाबालिग को बहलाकर अपहरण किया।
- उसके साथ शारीरिक शोषण किया।
- पीड़िता के बयान कानूनन विश्वसनीय और सुसंगत हैं।
अभियोजन ने आरोपी को कठोर सजा से दंडित करने की मांग की, ताकि समाज में अपराधियों के लिए कड़ा संदेश जाए।

अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें
ट्रायल के दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों ने अपने-अपने तर्क रखे।
- बचाव पक्ष ने आरोपी की बेगुनाही का दावा किया और कहा कि उसे झूठा फंसाया गया है।
- अभियोजन ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि पीड़िता का बयान और मेडिकल रिपोर्ट में कोई विरोधाभास नहीं है, जो घटना की पुष्टि करता है।
कई गवाहों के बयान, साक्ष्यों और दस्तावेजों की जांच के बाद अदालत ने सोमवार को मोहित को अपराधों में दोषी करार दिया और उसे जेल भेजने का आदेश दिया था। दोष सिद्ध होने के बाद मंगलवार को अदालत ने सजा के बिंदु पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया। अदालत के आदेश के अनुसार—
- आरोपी मोहित को 10 वर्ष का कठोर कारावास दिया जाता है।
- साथ ही 15,000 रुपये का अर्थदंड लगाया गया है।
अर्थदंड न भरने की स्थिति में आरोपी को अतिरिक्त अवधि की सजा भुगतनी होगी। हालांकि आदेश में विस्तृत टिप्पणियाँ सामने नहीं आईं, लेकिन न्यायालय का मानना था कि—
- नाबालिग के साथ ऐसा अपराध अत्यंत गंभीर है,
- आरोपी ने विश्वास और कानून दोनों का उल्लंघन किया,
- समाज में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कठोर दंड आवश्यक है।

पीड़िता के लिए न्याय की दिशा में महत्त्वपूर्ण फैसला
यह फैसला पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्यायिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। वर्षों की कानूनी लड़ाई और मानसिक कष्ट के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के निर्णय न केवल पीड़ित पक्ष को न्याय देते हैं, बल्कि समाज में यह संदेश भी स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं कि नाबालिगों के खिलाफ अपराध करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।