लखनऊ साइबर क्राइम पुलिस ने मेडिकल एडमिशन के नाम पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह का सरगना NEET UG को पास कराने के लिए 1 करोड़ और NEET PG के लिए 4 करोड़ रुपये तक वसूलता था। फर्जी कंसल्टेंसी, बनावटी वेबसाइट और 150 से ज्यादा स्टाफ की मदद से यह गिरोह कई राज्यों में सक्रिय था। पुलिस ने सरगना और उसके एक साथी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।
देश भर में मेडिकल एडमिशन की भारी प्रतिस्पर्धा के बीच लखनऊ साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे गिरोह पर बड़ी कार्रवाई की है, जिसने NEET UG और PG में पास कराने के नाम पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की। यह गैंग पिछले कई सालों से फर्जी कंसल्टेंसी और बनावटी कॉलेजों के नाम का इस्तेमाल कर अभ्यर्थियों व उनके परिवारों को निशाना बनाता था।

1 करोड़ से 4 करोड़ तक का ‘पास कराने’ का रेट
गिरोह का सरगना अभिनव शर्मा, जो कई फर्जी नामों — प्रेम प्रकाश विद्यार्थी, राजीव सिंह, सर्वेश शुक्ला — का इस्तेमाल करता था, NEET UG में पास कराने के लिए 1 करोड़ और NEET PG के लिए 4 करोड़ रुपये तक वसूलता था। पुलिस के अनुसार, आरोपी माता–पिता को भरोसा दिलाते थे कि उनका बच्चा परीक्षा में पास करा दिया जाएगा और नामी मेडिकल कॉलेज में दाखिला सुनिश्चित होगा।

फर्जी कंसल्टेंसी और वेबसाइट के जरिए ठगी
अभिनव शर्मा ने Study Pathway Consultancy के नाम से लखनऊ के गोमतीनगर, विराजखंड में कठौता झील के पास एक भव्य पेंटहाउस ऑफिस किराए पर ले रखा था।
इस ऑफिस में 150 से अधिक स्टाफ तैनात थे, जो काउंसलिंग, दस्तावेज़ सत्यापन, स्कोरिंग और एडमिशन के झूठे भरोसे दिलाकर अभ्यर्थियों को फंसाते थे।
इसके अलावा, गिरोह ने Hind Medical College नाम से एक फर्जी वेबसाइट और एडमिशन पोर्टल भी बना रखा था। वेबसाइट इतनी पेशेवर थी कि लोग इसे असली समझ बैठते थे।

चार राज्यों में सक्रिय था नेटवर्क
यह गिरोह उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और गुजरात सहित कई राज्यों में सक्रिय था। पिछले 15 सालों से कई नामों और फर्जी पहचान पत्रों के माध्यम से ठगी को अंजाम दिया जा रहा था। इन सभी राज्यों में सरगना के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं, और जहां-जहां शिकायतें मिलती थीं, यह पहचान बदलकर नए तरीके से गिरोह खड़ा कर लेता था।
पुलिस उपायुक्त (अपराध) कमलेश दीक्षित ने बताया कि गिरोह का सरगना अभिनव शर्मा निवासी औरंगाबाद, बिहार को गिरफ्तार किया गया है। उसका साथी संतोष कुमार, निवासी समस्तीपुर (बिहार), भी पकड़ा गया है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है।

गूगल सर्च ने खोली सच्चाई
कई अभ्यर्थी और अभिभावक इस गिरोह के झांसे में गूगल सर्च के जरिए आए। आजमगढ़ निवासी विजय बहादुर ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें अपने भांजे का मेडिकल में दाखिला कराना था। इंटरनेट सर्च करने पर उन्हें ncy.com नाम की वेबसाइट मिली, जिस पर [email protected] ईमेल और मोबाइल नंबर दिए गए थे। लोग जब संपर्क करते थे, तो कंसल्टेंसी के कर्मचारी उन्हें इंटरव्यू, स्कोर सुधार, और एडमिशन की झूठी प्रक्रिया में उलझाकर मोटी रकम वसूल लेते थे। जांच में पता चला है कि गिरोह ऑनलाइन पेमेंट, नकली एग्रीमेंट और फर्जी कॉल रिकॉर्डिंग के जरिए लोगों को विश्वास दिलाता था। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि—
- रकम किस-किस बैंक खाते और वॉलेट में जाती थी
- कितने छात्र और परिवार ठगे गए
- गिरोह के अन्य सदस्य कौन हैं
- फर्जी वेबसाइट और डॉक्यूमेंट बनाने वाले तकनीकी सहयोगी कौन हैं
पुलिस का कहना है कि बहुत जल्द इस पूरे नेटवर्क के और बड़े खुलासे सामने आएंगे।