बलरामपुर जिले में मध्यान्ह भोजन योजना के तहत करोड़ों रुपये के कथित गबन का गंभीर मामला सामने आया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) की तहरीर पर 44 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिनमें एमडीएम सेल के जिला समन्वयक, कई प्रधानाध्यापक, मदरसों के प्रबंधक और ग्राम प्रधान शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में पिछले पाँच–छह वर्षों में कन्वर्ज़न कास्ट में कथित रूप से 11 करोड़ रुपये से अधिक के गबन की पुष्टि हुई है।
बलरामपुर जिले में मध्यान्ह भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) के संचालन में बड़े स्तर की अनियमितताओं का मामला प्रकाश में आया है। जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के एमडीएम सेल में कथित रूप से वर्षों से चल रहा गबन अब विस्तृत जांच के बाद खुलकर सामने आने लगा है। BSA शुभम शुक्ला द्वारा नगर कोतवाली में दी गई तहरीर के आधार पर 44 लोगों को नामजद करते हुए FIR दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पाँच से छह वर्षों की अवधि में कन्वर्ज़न कास्ट (Conversion Cost) से जुड़े अभिलेखों में धोखाधड़ी कर कुल 11 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का दुरुपयोग किया गया।

जांच के दौरान सबसे प्रमुख नाम के रूप में एमडीएम सेल के जिला समन्वयक फिरोज अहमद खान का नाम सामने आया है। वह वर्ष 2008 से इस पद पर कार्यरत हैं और लगभग 17 वर्षों से एमडीएम की व्यवस्था संभाल रहे थे। प्रशासन का कहना है कि वह कई स्कूलों में छात्रों की संख्या के विपरीत अत्यधिक धनराशि जारी करवाते थे और कथित रूप से प्रधानाध्यापकों, समिति अध्यक्षों तथा कुछ ग्राम प्रधानों के साथ मिलकर धन का गबन करते थे।
कूटरचित अभिलेखों का उपयोग
बीएसए के अनुसार, विभिन्न विद्यालयों से लगातार शिकायतें सामने आ रही थीं कि एमडीएम के लिए जारी की जाने वाली कन्वर्ज़न कास्ट पूरी नहीं मिल रही। जब एमडीएम सेल से आवश्यक अभिलेख और प्री-पेमेंट एडवाइस (PPA) रिकॉर्ड मांगा गया, तो उसमें गंभीर विसंगतियाँ पाई गईं।
जांच में यह भी सामने आया कि—
- कई अभिलेख कूटरचित थे
- वास्तविक भेजी गई धनराशि को कम दिखाया गया
- विद्यालयों को जारी राशि और अभिलेखों में दर्शाई गई राशि में भारी अंतर पाया गया
इस आधार पर प्रशासन ने धोखाधड़ी की पुष्टि मानी।

तीन मदरसे और पाँच परिषद विद्यालय संदेह के घेरे में
जांच में पाया गया कि तीन मदरसों और पाँच परिषदीय विद्यालयों में घोषित छात्रों की संख्या वास्तविक संख्या से काफी अधिक दिखाई गई थी। आरोप है कि इसी बढ़ी हुई संख्या के आधार पर अधिक धनराशि स्वीकृत कराई गई और उसका दुरुपयोग हुआ। इस प्रक्रिया में संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और ग्राम प्रधान भी संलिप्त पाए गए।
44 नामजद, कई और पर आ सकती है कार्रवाई
एफआईआर में 44 लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जिसमें
- जिला समन्वयक
- मदरसों के प्रबंधक
- प्रधानाध्यापक
- ग्राम प्रधान
शामिल हैं। पुलिस ने कुछ नामजद व्यक्तियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
प्रशासन ने संकेत दिया है कि जांच आगे बढ़ने पर और भी सफेदपोश एवं संबंधित अधिकारी इसमें शामिल पाए जा सकते हैं। इससे गबन की कुल राशि में वृद्धि संभव है।

अधिकारियों का कहना है कि एमडीएम जैसी महत्वपूर्ण योजना, जो करोड़ों बच्चों के पोषण और शिक्षा से जुड़ी है, उसमें इस तरह की अनियमितताओं को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वित्त एवं लेखा अधिकारियों के साथ मिलकर एक विस्तृत पुनःसत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई है।
प्रशासन ने सभी विद्यालयों से पिछले वर्षों के एमडीएम रिकॉर्ड, उपस्थिति रजिस्टर, स्टॉक रजिस्टर और कन्वर्ज़न कास्ट एडवाइस दोबारा उपलब्ध कराने को कहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस, शिक्षा विभाग एवं लेखा टीम की संयुक्त जांच आगे भी जारी रहेगी। जांच टीम इस बात की पड़ताल कर रही है कि गबन की धनराशि किस तरह और किन खातों में ट्रांसफर की गई।