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अमेठी में लॉकडाउन की कोई एहमियत नहीं !

हमने अक्सर ही लोगो को ये कहते सुना है की ये तो बिलकुल ताड़ जैसा ही लंबा है.. लेकिन आखिर कभी आपने ये सोचा है की ऐसा भला कहा क्यो जाता है… दरअसल ताड़ नारियल की तरह लंबा और सीधा पेड़ होता है.. लेकिन ताड़ के पेड़ में डालियाँ नहीं होती है बल्कि तने से ही पत्ते निकलते हैं… लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी क्योकि ताड़ से निकलने वाली ताड़ी को ना केवल मिसाल देने के ही इस्तेमाल में आता है बल्कि इससे आप कई सारी बीमारियों से भी छुटकारा पा सकते है… आज के हमारे इस सेगमेंट में हम बात करेंगे ताड़ के इन्हीं बेजोड़ फायदो की…
ताड़ का पेड़ नर और नारी दो प्रकार के होते हैं…. कहने का मतलब है की ताड़ के नर वृक्ष पर सिर्फ फूल खिलते हैं और नारी वृक्ष पर नारियल की तरह गोल-गोल फल होते हैं… इसके तने को काटकर जो रस निकाला जाता है उसको ताड़ी कहा जाता है… ताड़ी के औषधीय गुणों के आधार पर आयुर्वेद में ताड़ के वृक्ष का उपयोग कई बीमारियों के लिए किया जाता है… आप इसके इस्तेमाल से पित्ताभिष्यन्द यानी Conjunctivitis उससे छुटाकरा पा सकते है… इसके लिए आपको ताजी ताड़ी के घी की 1-2 बूंदों को आंखो में डालना होगा इससे पित्ताभिष्यन्द यानी Conjunctivitis में लाभ होता है.. वहीं ताड़ के सेवन से हिचकी भी रुक जाती है…. अगर आप बार-बार हिचकी आने से परेशान हैं तो 5-10 मिली ताड़ के रस में 5-10 मिली ताड़ के जड़ का रस मिलाकर सेवन करने से हिचकी बन्द हो जाती है.. इसी के साथ ही अगर आप किसी बीमारी की वजह से प्लीहा या स्प्लीन का आकार बढ़ गया है तो ताड़ का सेवन फायदेमंद साबित होता है… इसके लिए 65 मिग्रा ताड़ के फूल में गुड़ मिलाकर इसके सेवन करना होगा… वहीं ताड़ के इस्तेमाल से हैजा से भी छुटकारा मिल जाता है.. वहीं पेट के कीड़े निकालने में भी ताड़ी काफी फायदेमंद मानी जाती है… इसके लिए आपको समान मात्रा में ताल जड़ के चूर्ण को पीसकर थोड़ा गुनगुना करके नाभि पर लेप करने से पेट के कीड़ो से राहत मिलती है… वहीं अगर आप लीवर की बीमारियों से परेशान है तो 10-15 मिली ताड़ फल-स्वरस को पिलाने से लीवर की बीमारियों में लाभ मिलता है… वहीं इससे आपकी मूत्र संबंधी समस्या भी खत्म हो जाती है.. इतना ही नहीं आप इससे डायबिटीज में भी फायदा ले सकते है… कुल मिलाकर इससे आप कई सारी समस्याओँ से निजात पा सकते है.. हालांकी इसका ज्यादा सेवन करना हानिकारक भी होता है तो सही मात्रा में ही इसके सेवन करना जरूरी है..

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