रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन के तुरंत बाद पानी पीना पाचन अग्नि को कमजोर कर सकता है, जिससे भोजन के पचने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। कमजोर पाचन समय के साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए आयुर्वेद उचित समय पर पानी पीने और सही खान-पान की आदतों पर ज़ोर देता है।
आयुर्वेद केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं बल्कि एक जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। इसमें पाचन को संपूर्ण स्वास्थ्य की नींव माना गया है। आयुर्वेद में कहा गया है कि हमारे शरीर की पाचन शक्ति—जिसे अग्नि कहा जाता है—स्वस्थ और संतुलित जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर यह अग्नि कमजोर पड़ जाए तो भोजन सही तरह से नहीं पचता और इससे कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

भोजन के तुरंत बाद पानी क्यों नहीं पीना चाहिए?
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन करते समय पाचन अग्नि अपने उच्च स्तर पर होती है। यह अग्नि भोजन को तोड़ने, परिवर्तित करने और उससे पोषण तत्व निकालने का कार्य करती है। लेकिन अगर भोजन के ठीक बाद ठंडा या अधिक मात्रा में पानी पी लिया जाए, तो यह अग्नि मंद पड़ सकती है। अग्नि के कमजोर होने के ये मुख्य प्रभाव बताए गए हैं :
- पाचन प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है
- भोजन लंबे समय तक पेट में ठहर सकता है
- भोजन का किण्वन (Fermentation) शुरू हो सकता है
- गैस, एसिडिटी और भारीपन महसूस हो सकता है
- शरीर में ‘आम’ (टॉक्सिन) बनने की संभावना बढ़ती है
आयुर्वेद मानता है कि शरीर में बनने वाला आम कई रोगों की जड़ हो सकता है। इसलिए भोजन के बाद ऐसी कोई भी आदतें, जो पाचन शक्ति को प्रभावित करें, लंबे समय में स्वास्थ्य समस्याओं की शुरुआत बन सकती हैं।

भोजन के बाद पानी कब और कैसे पीएं?
आयुर्वेद पूरी तरह यह नहीं कहता कि भोजन के बाद पानी बिल्कुल नहीं पीना चाहिए। बल्कि, यह सही समय और सही मात्रा पर ध्यान देता है।
- भोजन करते समय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गुनगुना पानी पीना उचित माना जाता है।
- भोजन पूरा होने के 30 से 45 मिनट बाद पानी पीना सबसे अच्छा समय है।
- बहुत ठंडा पानी भोजन के बाद बिल्कुल नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह अग्नि को तुरंत शांत कर देता है।
हालाँकि आयुर्वेदिक सिद्धांतों का आधार पारंपरिक ज्ञान है, कुछ आधुनिक अध्ययन भी बताते हैं कि बहुत अधिक पानी पेट की एसिडिटी को पतला कर सकता है, जिससे पाचन धीमा पड़ सकता है। यह सिद्धांत आयुर्वेदिक दृष्टिकोण के काफी करीब है कि भोजन के बाद अधिक पानी पाचन को प्रभावित करता है।

स्वस्थ पाचन के लिए कुछ आयुर्वेदिक सुझाव
- भोजन हमेशा शांत और आरामदायक माहौल में करें
- भोजन को अच्छी तरह चबाएं
- भोजन के तुरंत बाद न लेटें
- हल्की वॉक (100–200 कदम) पाचन में मदद करती है
- गुनगुना पानी या हर्बल पेय पाचन को संतुलित रखते हैं
आयुर्वेद पाचन अग्नि को स्वास्थ्य का केंद्र मानता है और भोजन के तुरंत बाद पानी पीने को पाचन को कमजोर करने वाली आदत बताता है। उचित समय पर, संतुलित मात्रा में और सही तापमान का पानी पीने से पाचन बेहतर रहता है और दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है। सही आदतें अपनाकर पाचन को मजबूत रखना ही आयुर्वेदिक जीवनशैली का मुख्य उद्देश्य है।