रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
सर्दियों में बढ़ते खर्राटे अक्सर नींद में होने वाली सामान्य समस्या माना जाता है, लेकिन यह सिर्फ शोर नहीं बल्कि गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा कर सकते हैं। खासकर सर्दियों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है। लगातार खराटे लेने वाले व्यक्ति को नींद के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की कमी, ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव और हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा हो सकता है।

ठंड बढ़ते ही लोगों के खर्राटे सिर्फ नींद में खलल नहीं डालते, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन सकते हैं। सर्दियों के मौसम में हवा में प्रदूषण और नमी की मात्रा अधिक होती है, जिससे नाक और गले की नलियों में सूजन हो सकती है। इसके कारण सोते समय खर्राटे तेज और लगातार होते हैं।
केजीएमयू में रोजाना 50 से 60 मरीज ओपीडी और इमरजेंसी में खर्राटों की शिकायत लेकर आते हैं। जबकि सामान्य दिनों में यह संख्या केवल 5 से 10 तक होती है। ईएनटी और रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में सबसे ज्यादा मरीज आ रहे हैं। डॉ. चौद वर्मा के अनुसार, जब खराटे रोजाना और तेज आवाज में आने लगें तो यह दिल और मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

खर्राटे नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, जिससे दिनभर थकान, ध्यान की कमी और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं सामने आती हैं। डॉ. वीरेंद्र वर्मा बताते हैं कि सर्दियों में हवा में मौजूद प्रदूषण के महीन कण नाक और गले में सूजन और संक्रमण पैदा करते हैं। इससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और खर्राटे तेज हो जाते हैं।
खर्राटों की आवाज 40 से लेकर 120 डेसीबल तक हो सकती है। यह न केवल आस-पास के लोगों को परेशान करता है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालता है। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के संतोष कुमार के अनुसार, सर्दियों में खर्राटे से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। 90 प्रतिशत मरीजों को परिवार के सदस्यों की शिकायत पर ही ओपीडी में लाया जाता है।

महिलाओं में यह समस्या अक्सर अलग तरह से सामने आती है। डॉ. वीरेंद्र वर्मा के अनुसार, महिलाओं में हार्मोनल और अनुवांशिक कारणों से यह समस्या माइग्रेन या सामान्य सिरदर्द के रूप में समझी जाती है और नजरअंदाज कर दी जाती है। महिलाओं को सुबह सिर में भारीपन, दर्द और थकान जैसी समस्याएं महसूस होती हैं।
सर्दियों में शरीर पर अतिरिक्त तनाव भी बढ़ जाता है। नींद पूरी नहीं होने के कारण दिन के दौरान थकान और ध्यान की कमी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर निदान और सही उपचार से खर्राटों के कारण होने वाले गंभीर स्वास्थ्य जोखिम को कम किया जा सकता है।

यदि आप या आपके परिवार में कोई व्यक्ति लगातार और तेज आवाज में खर्राटे ले रहा है, तो ENT या रेस्पिरेटरी विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहद जरूरी है। समय पर उपचार से न केवल नींद की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, बल्कि दिल, मस्तिष्क और ऑक्सीजन स्तर पर पड़ने वाले जोखिम को भी कम किया जा सकता है।