जौनपुर संवाददाता :- पुष्पेंद्र सिंह
जौनपुर में सुबह शास्त्री ब्रिज पर प्रतिबंधित चाइनीज़ मांझे ने एक शिक्षक की जान ले ली। बाइक से घर लौटते समय तेज धार वाले मांझे ने संदीप तिवारी की गर्दन काट दी, जिससे उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि प्रतिबंध के बावजूद यह घातक मांझा शहर में कैसे बिक रहा है।

जौनपुर। शहर में गुरुवार सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया जिसने पूरे जिले को झकझोर दिया। कोतवाली थाना क्षेत्र के शास्त्री ब्रिज (नया पुल) पर प्रतिबंधित चाइनीज़ मांझे ने 40 वर्षीय प्राइवेट शिक्षक संदीप तिवारी की जान ले ली। तेज धार से लैस यह जानलेवा मांझा उनकी गर्दन में ऐसे लिपटा कि गहरा घाव बन गया और वह सड़क पर गिर पड़े। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
बेटी को स्कूल छोड़कर लौटते समय हुआ हादसा
मूलरूप से उमरपुर हरिबंधनपुर निवासी संदीप तिवारी प्रतिदिन की तरह सुबह अपनी दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बेटी मन्नत को सेंट पैट्रिक स्कूल छोड़ने गए थे। बेटी को छोड़कर वह जैसे ही वापस लौट रहे थे, उनकी बाइक शास्त्री ब्रिज के पास पहुँची ही थी कि ऊपर से लटक रहा खतरनाक चाइनीज़ मांझा उनके गले में फँस गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मांझा इतनी तेज था कि गर्दन पर गहरा कट बन गया और वह तत्काल बाइक सहित सड़क पर गिर पड़े। राहगीरों ने समझा कि सामान्य दुर्घटना है, लेकिन जब उनकी गर्दन से तेज रक्तस्राव देखा, तो सभी सन्न रह गए।

सूचना मिलते ही राहगीरों ने एंबुलेंस बुलाई और उन्हें तेजी से जिला अस्पताल पहुँचाया, लेकिन डॉक्टरों ने प्रयासों के बावजूद उन्हें मृत घोषित कर दिया। कुछ ही मिनटों में यह खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई और संदीप के घर पर कोहराम मच गया। उनकी पत्नी और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
प्रतिबंध के बाद भी धड़ल्ले से बिक रहा चाइनीज़ मांझा
यह कोई पहला हादसा नहीं है। शहर में चाइनीज़ मांझे की बिक्री पर प्रशासन कई बार पाबंदी लगा चुका है। फिर भी यह जानलेवा धागा बाज़ारों में खुलेआम बिक रहा है — चाहे त्योहार हों या सामान्य दिन। हर साल कई लोग इस मांझे की वजह से घायल होते हैं, कई पक्षियों की मौत होती है, और हर बार प्रशासन सिर्फ औपचारिक कार्यवाई कर आगे बढ़ जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि—
“दुकानों पर छिपाकर चाइनीज़ मांझा बेचा जाता है। पुलिस छापेमारी करती है, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर बिक्री शुरू हो जाती है।”

संदीप तिवारी की मौत से उनका परिवार टूट गया है। उनकी पत्नी ने रोते हुए कहा कि “अगर यह मांझा बिकना बंद होता, तो मेरे पति आज जिंदा होते।” सोशल मीडिया पर भी लोगों का आक्रोश उमड़ पड़ा है। बड़ी संख्या में नागरिक प्रशासन से सवाल कर रहे हैं कि प्रतिबंध के बावजूद यह खतरनाक धागा कैसे बिक रहा है? आखिर क्यों हर साल कई घरों के चिराग इसी मांझे के कारण बुझ जाते हैं?
हादसे के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने बयान जारी करते हुए कहा “चाइनीज़ मांझा पूरी तरह प्रतिबंधित है। मामले की जांच के लिए टीम गठित की गई है। जिन दुकानदारों के पास प्रतिबंधित मांझा पाया गया, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन जल्द ही विशेष अभियान चलाकर पूरे जिले में मांझे की बिक्री पर निगरानी बढ़ाएगा।

हादसे ने फिर उठाए गंभीर सवाल
संदीप तिवारी की मौत ने प्रशासन की कार्यशैली और नियम लागू करने की व्यवस्था पर कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं—
- प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज़ मांझा कैसे बिक रहा है?
- किसकी शह पर इसे बाजार में खपाया जा रहा है?
- दुकानदारों पर की गई कार्रवाई सिर्फ औपचारिक क्यों होती है?
- क्या अगला शिकार कोई और मासूम परिवार होगा?
यह हादसा चेतावनी है कि प्रशासन को अब सतही कार्यवाई नहीं बल्कि सख्त और स्थाई कदम उठाने होंगे।