रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
कोविड वैक्सीन को लेकर देश में नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन से जुड़े दुष्प्रभावों पर पर्याप्त पारदर्शिता नहीं दिखाई और अब गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के मामलों में वृद्धि से जनता में चिंता बढ़ रही है। सरकार की एडवाइजरी और वैक्सीन को ओटीसी उपलब्ध कराने के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं।

कोविड महामारी के दौरान किए गए वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर अब राजनीतिक और सामाजिक विवाद फिर उभरने लगे हैं। विभिन्न विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभावों पर पर्याप्त जानकारी जारी नहीं की, जबकि हाल के महीनों में कई राज्यों में न्यूरोलॉजिकल बीमारियों और हार्ट से जुड़ी समस्याओं के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि इन मामलों और कोविड वैक्सीन के बीच प्रत्यक्ष वैज्ञानिक संबंध अभी तक किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है।
विपक्ष के आरोप: “सरकार ने पारदर्शिता नहीं दिखाई”
विपक्ष का कहना है कि वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के दौरान व्यापक निगरानी और दुष्प्रभाव जांच की आवश्यकता थी, लेकिन सरकार ने इस प्रक्रिया को पर्याप्त गंभीरता से नहीं लिया। कई नेताओं ने दावा किया कि कोविड वैक्सीनेशन से पक्षाघात (paralysis), गिलियन-बारे सिंड्रोम (GBS) और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे मुद्दों को लेकर लोगों में व्यापक चिंता है।
उनका आरोप है कि—
“वैक्सीन कंपनियों से दान लेने वाली सरकार ने वैज्ञानिक पारदर्शिता कायम नहीं रखी।” हालांकि इन दावों को केंद्र सरकार ने खारिज करते हुए कहा है कि वैक्सीन सुरक्षित हैं और WHO सहित वैश्विक संस्थाओं द्वारा अनुमोदित हैं।

सरकार की एडवाइजरी और बढ़ती बहस
हाल ही में केंद्र सरकार ने एक नई एडवाइजरी जारी की, जिसमें कोविड वैक्सीन के उपयोग के संदर्भ में कुछ दुर्लभ दुष्प्रभावों की जानकारी दी गई। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने पहली बार आधिकारिक रूप से कुछ न्यूरोलॉजिकल जोखिमों का उल्लेख किया है।
सरकार का तर्क है कि यह एडवाइजरी नियमित वैज्ञानिक अद्यतन का हिस्सा है और इसका उद्देश्य पारदर्शिता कायम रखना है, न कि डर फैलाना।
इसी बीच सरकार ने कोविड वैक्सीन—कोविशील्ड, कोवैक्सीन और कॉर्बेवैक्स—को ओवर-द-काउंटर (OTC) उपलब्ध कराने की अनुमति दी, जिसे विपक्ष ने “जल्दबाज़ी का फैसला” करार देते हुए आलोचना की है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि—
- कोविड वैक्सीन ने महामारी के सबसे कठिन समय में लाखों लोगों की जान बचाई।
- दुष्प्रभाव बहुत ही दुर्लभ श्रेणी में आते हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठनों द्वारा निगरानी की जाती है।
- टीकाकरण के बाद बढ़े अधिकांश न्यूरोलॉजिकल केसों का सीधा वैज्ञानिक संबंध साबित नहीं हुआ है।
हालांकि कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि वैक्सीन के बाद दर्ज गंभीर मामलों की निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है।

सवाल और राजनीति — दोनों जारी
देश में हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और न्यूरोलॉजिकल रोगों के मामलों में वृद्धि के अनेक सामाजिक कारण हो सकते हैं—तनाव, जीवनशैली, खानपान, प्रदूषण और पोस्ट-कोविड समस्याएं भी इसकी वजह हो सकती हैं। विपक्ष अब भी वैक्सीन से संभावित जोखिमों की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहा है, जबकि सरकार इसे “राजनीतिक आरोप” बताकर खारिज कर रही है। इन विवादों ने जनता के मन में नई उलझनें पैदा की हैं। एक ओर चिकित्सा समुदाय वैज्ञानिक शोध का इंतज़ार करने की बात कह रहा है, वहीं राजनीतिक बयानों ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है।