रिपोर्ट :- खुशबू मिश्रा
मध्य प्रदेश के रायसेन और सीहोर जिलों के बीच मिडघाट–बुधनी रेलवे ट्रैक पर एक तेज रफ्तार ट्रेन की टक्कर से एक बाघ की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा रातापानी वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में हुआ, जो लंबे समय से बाघों का महत्वपूर्ण आवास और वन्यजीव गलियारा रहा है। हादसे के बाद वन विभाग और वन्यजीव कार्यकर्ताओं में गहरी नाराज़गी है। विभाग का आरोप है कि रेलवे को बार-बार इस रूट पर ट्रेन गति 20 किमी/घंटा रखने की सख्त चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसकी अनदेखी करने के कारण फिर एक बाघ की जान चली गई।

मध्य प्रदेश के रायसेन और सीहोर जिले की सीमा पर स्थित मिडघाट–बुधनी रेलवे ट्रैक पर रविवार देर रात एक बड़ा वन्यजीव हादसा हुआ, जहाँ तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने से एक बाघ की मौत हो गई। घटना रातापानी वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में हुई, जो बाघों का सक्रिय आवागमन मार्ग माना जाता है। हादसे के तुरंत बाद वन विभाग ने रेलवे प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि इस संवेदनशील रूट पर पूर्व में कई बार गति सीमा 20 किमी प्रति घंटा निर्धारित करने के निर्देश दिए गए थे, जिनका पालन नहीं किया गया। लगातार होती घटनाओं ने एक बार फिर वन्यजीव सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वन विभाग का आरोप: रेलवे की लापरवाही
वन अधिकारियों ने रेलवे पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। बीते महीनों में विभाग ने कई बार चेतावनी दी थी कि –
- यह सक्रिय बाघ गलियारा है
- ट्रेनों की गति अधिकतम 20 किमी/घंटा रखी जाए
- अंधे मोड़ों, घने जंगल वाले हिस्सों और रात के समय सतर्कता बढ़ाई जाए
लेकिन रेलवे प्रशासन ने गति सीमा का पालन नहीं किया। इसी कारण यह दुर्घटना हुई, जो टाली जा सकती थी।

लोको पायलट पर कार्यवाई की मांग
वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने इस घटना को कानूनी अपराध मानते हुए लोको पायलट के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। उनका कहना है कि जब यह क्षेत्र “संवेदनशील वन्यजीव मार्ग” के रूप में घोषित है, तब गति सीमा तोड़कर रेल चलाना कानून का उल्लंघन है।
असम केस का उदाहरण और संभावित कार्यवाई
वन विभाग अब असम की तरह कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।असम में कुछ साल पहले हाथियों की मौत के बाद वन विभाग ने:
- संबंधित ट्रेन इंजन जब्त किया था
- और रेलवे कर्मचारियों पर केस दर्ज किया था
मध्य प्रदेश वन विभाग भी इसी तरह की कार्यवाई पर विचार कर रहा है, ताकि भविष्य में रेलवे सावधानी बरते और वन्यजीवों की मौतें रोकी जा सकें। रातापानी अभयारण्य और उसके आसपास के क्षेत्र MP-Tiger Corridor का हिस्सा हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस ट्रैक पर कई बाघों की जान ट्रेन से कट चुकी है। इससे दो बड़ी चिंताएँ सामने आती हैं:
- परिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान
- मानव-वन्यजीव संघर्ष का बढ़ना

अगर रेल प्रशासन संवेदनशील गलियारों में ट्रैक-मेंटेनेंस, स्पीड-कंट्रोल और मॉनिटरिंग सिस्टम लागू नहीं करता, तो आने वाले वर्षों में यह समस्या और गंभीर हो सकती | बुधनी–मिडघाट रेलवे ट्रैक पर बाघ की मौत कोई सामान्य घटना नहीं है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण में बढ़ती चुनौतियों का प्रतीक है। यदि रेलवे प्रशासन संवेदनशील गलियारों में सुरक्षा उपाय अपनाने में विफल रहता है, तो आने वाले समय में मध्य प्रदेश के बाघों की आबादी पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इस घटना ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि विकास और संरक्षण में संतुलन बनाना अत्यंत आवश्यक है — और इसके लिए कड़ी कार्रवाई और मजबूत नीतियाँ अब समय की मांग हैं।