रिपोर्ट :-खुशबू मिश्रा
कानपुर में साइबर ठगों ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के सेवानिवृत्त डीजीएम रमेश चंद्र और उनकी पत्नी को 69 दिन डिजिटल नजरबंद रखा और 53 लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने वीडियो कॉल के माध्यम से खुद को पुलिस और सुप्रीम कोर्ट का अधिकारी बताया और धमकाकर पैसे वसूल किए।
कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र में स्थित रानीघाट के उपवन अपार्टमेंट में रहने वाले रमेश चंद्र और उनकी पत्नी एक बड़ा साइबर फ्रॉड का शिकार बने। रमेश चंद्र उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) में सेवानिवृत्त डीजीएम हैं। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं, जिनमें एक अमेरिका में और दूसरा नोएडा में पढ़ाई कर रहा है।

मामला अक्टूबर का है जब रमेश चंद्र और उनकी पत्नी सुबह 10 बजे लाजपत नगर स्थित गुर्जर हॉस्पिटल डायलिसिस कराने गए थे। तभी उनके मोबाइल पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी और सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रस्तुत किया। ठगों ने दावा किया कि रमेश के नंबर का सिम निकालकर मुंबई में एक 19 वर्षीय युवती को परेशान किया जा रहा था और उसने आत्महत्या कर ली है। इसके बाद ठगों ने रमेश चंद्र से कहा कि जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के मनी लांड्रिंग मामले में उनका नाम भी आया है।
ठगों ने रमेश और उनकी पत्नी को डराने और नियंत्रण में रखने के लिए 69 दिनों तक डिजिटल नजरबंदी की। उन्होंने 24 घंटे वीडियो कॉल चालू रखकर हर गतिविधि पर नजर रखी। ठगों ने लगातार धमकियां दी और रमेश चंद्र और उनकी पत्नी से कुल 53 लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने उन्हें मुंबई बुलाने का झांसा दिया, लेकिन असमर्थता जताने पर घर में ही नजरबंद करने की धमकी दी।

एडीसीपी सेंट्रल अर्चना सिंह ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है और ठगों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। जांच में यह भी सामने आया कि ठगों ने जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल का नाम लेकर झूठे आरोप लगाए और सुप्रीम कोर्ट का नकली सेटअप दिखाया। रमेश चंद्र ने बताया कि ठगों ने उनके बैंक खाते, चेक बुक और एटीएम का गलत इस्तेमाल करने के बहाने पैसे मांगने शुरू किए। उन्होंने परिवार को डराया और लगातार मानसिक दबाव डाला। ठगी के दौरान ठगों ने रमेश और पत्नी को बार-बार धमकाया और डराया। यह मामला साइबर क्राइम का गंभीर उदाहरण है, जिसमें डिजिटल तकनीक और फर्जी कॉल के जरिए लोगों से बड़ी रकम ठगी गई।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह घटना दर्शाती है कि साइबर अपराध अब पारंपरिक रूप से सीमित नहीं हैं। डिजिटल माध्यमों और वीडियो कॉल के जरिए अपराधी लोगों को मानसिक रूप से डराकर बड़ी रकम वसूल रहे हैं। इस प्रकार के अपराधों से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहना और किसी भी अज्ञात कॉल या संदेश पर भरोसा न करना आवश्यक है।

पुलिस ने कहा है कि वे ठगों के नेटवर्क की तह तक जांच करेंगे। रमेश चंद्र और उनकी पत्नी को मानसिक और कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। यह घटना न केवल कानपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में साइबर फ्रॉड और डिजिटल अपराध की गंभीरता को उजागर करती है।
अंततः, यह मामला चेतावनी है कि साइबर अपराध से बचाव के लिए सावधानी और जागरूकता अत्यंत जरूरी है। डिजिटल सुरक्षा और साइबर जागरूकता से ही ऐसे फ्रॉड से बचा जा सकता है। पुलिस की कार्रवाई और जांच जारी है और उम्मीद है कि दोषियों को जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।