खनऊ से सटे बाराबंकी में अजब मामला देखने को मिला…यहां मौजूद एक मस्जिद को आनन फानन में जिला प्रशासन ने तोड़ दिया…और मलबा तक गायब कर दिया…जिला प्रशासन का कहना है कि मस्जिद अवैध थी तो वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड की दलील है कि मस्जिद करीब सौ साल पुरानी थी जिसके दस्तावेज वक्फ बोर्ड में मौजूद है…इस घटना के बाद से मस्जिद के जिम्मेदार और जिला प्रशासन के बीच खीच तान शुरु हो गई जिसमें कई लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा भी दर्ज कराया गया है…
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक ये मस्जिद अवैध जमीन पर बनी थी…मुस्लिम समाज के जिम्मेदारों का दावा है कि ये मस्जिद सौ साल पुरानी थी… जिसको लॉकडाउन में प्रशासन ने भारी फोर्स के साथ तुड़वा कर मलबा नदी में फेंकवा दिया… वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि दशकों से तहसील वाली मस्जिद के नाम दर्ज है…
दरअसल कुछ महीनों पहले योगी सरकार ने फैसला लेते हुए आदेश जारी किया था कि सड़क किनारे मौजूद किसी भी तरह के धार्मिक स्थलों को तोड़ा जाएगा…जिसके बाद पूरे प्रदेश में कई मंदिर और मस्जिदों को चिन्हित किया गया…जिसमें बाराबंकी में रामसनेही घाट के तहसील के पास मौजूद मौजूद मस्जिद का नाम भी आ गया…और प्रशासन ने आनन फानन में जेसीबी के सहारे 17 मई को मस्जिद को गिरा दिया गया…जिस वक्त मस्जिद को गिराया जा रहा था उस वक्त भारी पुलिस बल मौके पर तैनात था..वहीं मस्जिद कमेठी का आरोप है कि अधिकारियों ने सिर्फ अपनी जिद की वजह से मस्जिद के खिलाफ कार्रवाई की है…जो कि सरासर गलत है…
बाराबंकी में मस्जिद गिराने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है…मस्जिद के मुतवल्ली का साफ कहना है कि ये मस्जिद 100 साल पुरानी थी…और इसके कागजात सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज है…बावजूद इसके अवैध करार देते हुए कार्रवाई की गई जो गलत है…
आपको जानकर हैरानी होगी जो लोग भी मस्जिद के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं उन सभी के खिलाफ जिला प्रशासन मुकदमा दर्ज करवा दिया गया…
100 साल पूराने मस्जिद को क्यो तोड़ दिया…
Khursheed Khan Raju
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