बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) के लखनऊ कार्यालय पर आजाद भारत पार्टी (Azad Bharat Party) का बहुजन समाज पार्टी में विलय हो गया. इस विलय के साथ ही हजारों की संख्या में वाल्मीकि समाज, सोनकर समाज, निषाद, कश्यप समाज के साथ युवा कार्यकर्ताओं ने बसपा की सदस्यता ले ली. उन्होंने बसपा को और भी मजबूत करने के लिए पूर्व मंत्री नकुल दुबे के नेतृत्व में सतीश चंद्र मिश्र से मुलाकात कर बसपा पार्टी को 2022 में चुनाव जिताने और मायावती को पांचवी बार मुखयमंत्री बनाने का संकल्प लिया.
सतीश चंद्र मिश्रा ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि…भाजपा सरकार से हर समाज के लोग प्रताड़ित हैं. चाहे वह कश्यप समाज हो, वाल्मीकि समाज हो, निषाद समाज हो या सोनकर समाज हो. बहन मायावती की नजर में सभी समाज के लोग सर्वप्रथम हैं और सर्वप्रथम रहेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले चुनाव में अगर सर्व समाज हम लोगों के साथ कंधा मिलाकर चलें तो मायावती को पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने से कोई भी ताकत नहीं रोक सकती. उन्होंने कहा बहन जी कभी भी यह नहीं सोचती हैं कि हमें किस समाज ने कितना वोट दिया. बहन जी सर्व समाज का विकास करने का काम करती हैं.
2007 में बहन जी की बहुमत की सरकार बनी तो तुरंत ही 1 लाख 10 हजार लोगों को तत्काल प्रभाव से नौकरियां दी गई थीं. दलित, शोषित और वंचित समाज के मान सम्मान के लिए बहन जी ने बहुत सी बातें सुनी और मुकदमे भी झेले, लेकिन कभी पीछे नहीं हटी. उन्होंने कहा कि मैं अमेरिका के वाशिंगटन में अब्राहम लिंकन का भी स्मारक देखा हूं, लेकिन हमारे प्रदेश के स्मारकों के सामने पूरे विश्व के स्मारक छोटे दिखते हैं. इन महान हस्तियों के स्मारकों का महत्व सौ दो सौ साल बाद भी लोगों को जरूर समझ में आएगा. बहन मायावती के लखनऊ में विकास करने के बाद लोग भूल भुलैया और इमामबाड़ा जाना भूल गए और अंबेडकर पार्क और बाबा साहब अम्बेडकर और कांशीराम के स्मारकों को देखने के लिए आते हैं. महान हस्तियों के स्मारकों और पार्कों के लिए मायावती ने 110 मुकदमे झेले हैं. सभी विपक्षी पार्टियों ने स्मारकों और पार्कों के लिए विरोध किया वो चाहते थे कि इन महापरूषों के स्मारक और पार्क नहीं बने.