योगी सरकार (Yogi Government) के तीसरे मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) में सबका साथ, सबका विकास फार्मूले को मूर्त रूप दिया गया है. ये विस्तार उस वक्त हो रहा है, जब विधानसभा चुनाव को करीब 5 महीने ही बचे हैं. कैबिनेट विस्तार से भाजपा ने लोगों में समरसता का संदेश और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर दिया है. नए मंत्रियों में ज्यादातर चेहरे युवा हैं. सामाजिक समीकरण को अगर देखें, तो एक सवर्ण जाति से ब्राह्मण, तीन ओबीसी, एक अनुसूचित जनजाति और दो अनुसूचित जाति के नेताओं को मंत्री बनाया गया है. चुनाव के ठीक पहले भाजपा के इस गुगली से विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
सूत्र बताते है कि इन नए मंत्रियों को क्षेत्र में भेजकर पार्टी केंद्र की मोदी और योगी सरकार की उपलब्धियों और सरकारी योजनाओं से मिलने वाले फायदे की जानकारी जनता के बीच में लेकर जाएंगे. उधर पार्टी कास्ट पॉलिटिक्स भी साधने में जुटी है. उधर, समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग भदौरिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को हार का डर ऐसा सता रहा है कि रात में उसकी नींद टूट जाती है. साढ़े चार में बीजेपी ने जनता के लिए कोई काम नहीं किया. अब पांच महीने कुल सरकार को बचे है. ऐसे में जनता को बताएंगे क्या. सपा नेता भदौरिया आगे कहते हैं कि भाजपा ने जातीय समीकरण को साधने की कोशिश करते हुए नए मंत्री बना दिए. उन्होंने कहा कि आप पूरा मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्री बदल दीजिए इससे सपा को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, जनता 2022 में भाजपा को सत्ता से हटाकर ही दम लेगी.
मंत्रिमंडल विस्तार 6 महीने नहीं बल्कि 6 साल के लिए
वहीं बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से सभी क्षेत्रों और जातियों का प्रतिनिधित्व देने का काम किया है, उससे विपक्षी परेशान हो गए हैं. यह मंत्रिमंडल विस्तार 6 महीने नहीं बल्कि 6 साल के लिए है क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव बाद भी सरकार भाजपा की ही बनेगी, इसमें किसी प्रकार का कोई संशय किसी को नहीं होना चाहिए. त्रिपाठी ने कहा कि नए मंत्री नई ऊर्जा के साथ योगी आदित्यनाथ की गरीब कल्याण योजनाओं को आगे ले जाने में पूरी तन्मयता के साथ काम करेंगे. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूरे मंत्रिमंडल ने पूरी जवाबदेही के साथ निष्ठा और लगन से उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया है.