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बजट में केन्द्र की घोषणाओं पर अखिलेश ने कसा तंज, किसान टैबलेट का क्या करेंगे, ओढेंगे या बिछाएंगे?

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि चुनाव से पहले भाजपा ने जुमले और सपने बेचे, सरकार बनने के बाद अब वह जमीन से लेकर जमीर तक बेचने पर आमादा हो गई है। लगता है राजनीतिक दल के रूप में भाजपा का रूपांतरण ट्रेडिंग कंपनी के रूप में हो गया है। उसका काम विपक्षी विधायकों की खरीद फरोख्त और राष्ट्रीय सम्पत्तियों को चंदघरानों को देकर रकम एकत्र करना रह गया है।

मंगलवार को जारी बयान में अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में लोगों के लिए अच्छा कुछ भी नहीं है। बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी बजट में माइक्रोस्कोप लगाकर भी किसी के लिए अच्छे दिन नहीं ढूंढ पा रहे हैं। पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त सेस, यूरिया सब्सिडी और पोषण आधारित सामग्री पर सब्सिडी आवंटन में भारी कटौती कृषि विनाशक नीतियों का परिचायक है।

भाजपा सरकार की तमाम घोषणाएं सिर्फ रोकड़ा बटोरने की कोशिश साबित होंगी। भाजपा समझती है कि किसानों का दिल खेती में नहीं, टैबलेट में बसता है। वित्तमंत्री ने अपना बजट भाषण इस बार टैबलेट से ही पढ़ा था। आखिर किसान उनके टैबलेट का क्या करेंगे, उसे ओढेंगे या बिछाएंगे? कृषि एवं सहायक क्षेत्रों के लिए मात्र 2.02 प्रतिशत आंवटन बढ़ाकर प्रधानमंत्री कहते हैं उनके दिल में है किसान-गांव। इससे बड़ा किसानों का क्या उपहास होगा?

मनरेगा का बजट हो गया कम 
हकीकत यह है कि मनरेगा के मद में आंवटन 30 प्रतिशत कम कर दिया गया है। ग्रामीण परिवारों पर इससे बड़ा दबाव बढ़ेगा। इस बजट में किसी सुधार की शुरूआत नहीं की गई है। सीमा शुल्क, जीएसटी कानून का ढांचा पूरी तरह अतार्किक है। भारत सरकार उन राज्यों को झांसे में लेना चाहती है जहां चुनाव होने हैं। जहां चुनाव नहीं होने है उनकी उपेक्षा कर दी गई है।

दाम बढ़ने से आम आदमी संकट में 
बजट के बाद मध्यम वर्ग को बड़ा झटका लगेगा क्योंकि सामान्य चीजो के दामों में बाजार में बढ़ोत्तरी होना स्वाभाविक है। कपड़ा, मोबाइल-चार्जर, फ्रिज, एसी के दाम बढ़ाकर सरकार ने आम आदमी को ही संकट में फंसा दिया है।

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