कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रदेश का सबसे लंबा रनवे वाला (3.2 किमी लंबा व 45 मीटर चौड़ा) एयरपोर्ट है। एप्रन पर चार बड़े हवाई जहाज खड़े हो सकते हैं। इसके रनवे की क्षमता 8 फ्लाइट (4 आगमन व 4 प्रस्थान) प्रति घंटा है। एयरपोर्ट पर दिन ही नहीं रात में भी उड़ान संभव बनाने की कोशिश हो रही है। इसकी अंतरिम पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग 3600 वर्गमीटर में बनी हुई है। इसकी पीक ऑवर पैसेंजर क्षमता 300 यात्री प्रति घंटे हैं। यह एयरपोर्ट 589 एकड़ में 260 करोड़ रुपये की लागत से बना है। इसके क्रियाशील होने के साथ ही पर्यटन विकास, निवेश, रोजगार का बड़ा प्लेटफॉर्म तैयार हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को इसका उद्घाटन करते हुए इसे दशकों की आशाओं और आकांक्षाओं का परिणाम बताया। दरअसल, इस एयरपोर्ट को लेकर पिछले 26 वर्षों से राजनीति हो रही थी। पीएम के हाथों एयरपोर्ट के उद्घाटन ने न सिर्फ राजनीति के उस खेल को खत्म किया, बल्कि पूर्वांचल के समग्र विकास के पहिए को गति भी पकड़ाने का जरिया बना है। प्रधानमंत्री ने कुशीनगर के जरिए सूबे को तीसरे इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सौगात दे दी है।
कुशीनगर के सामरिक महत्व को देखते हुए ब्रितानी हुकूमत ने 1945-46 में हवाई पट्टी निर्मित की। लेकिन इस पर राजनीति 90 के दशक में शुरू हुई, 5 सितम्बर, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने हवाई पट्टी के जिर्णोद्धार कार्य का शिलान्यास किया। अगले ही महीने कांग्रेस सरकार में तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री गुलाम नबी आजाद ने 10 अक्तूबर, 1995 को टर्मिनल का शिलान्यास किया। टर्मिनल बिल्डिंग तीन साल में बन कर तैयार भी हो गई,दो रडार लगे। साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का वादा किया और मार्च 2010 को जमीन अधिग्रहण का अध्यादेश जारी किया लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ी। 2013 में सपा सरकार हवाई अड्डा के निर्माण के लिए निविदा आमंत्रित लेकिन सूबे की कानून व्यवस्था को कोई आगे नहीं आया। 2014 में वर्ष सपा सरकार ने 163 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया। मई, 2015 में जमीन एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया को दी गई।
2017 में आए मुख्यमंत्री योगी, फिर लगे पंख
साल 2017 में पूर्व बहुमत से सूबे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आई सरकार ने कुशीनगर इंटरनेशनल हवाई अड्डा के निर्माण में गहरी रुचि दिखाई। केंद्र व प्रदेश सरकार के बीच कई दौर की बैठकों के बाद ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए 5 मार्च 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार और एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया के बीच एमओयू हस्ताक्षरित हुआ। 10 अक्तूबर 2019 को प्रदेश सरकार ने इस एयरपोर्ट को एयरपोर्ट अथारिटी को हैंडओवर किया। 24 जून, 2020 को केंद्रीय कैबिनेट ने इसे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट घोषित कर 22 फरवरी, 2021 को डीजीसीए लाइसेंस भी दे दिया।
पूर्वांचल को कई और योजनाओं की सौगात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों बुधवार को इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन, राजकीय मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास और 12 अन्य विकास परियोजनाओं की सौगात मिली है। इसी के साथ पूर्वांचल विकास की नई उड़ान भरने को तैयार हो गया है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट से तथागत भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली का ऐतिहासिक गौरव और समृद्ध होगा तो यहां बनने जा रहा मेडिकल कॉलेज 40 लाख लोगों के जीवन में संजीवनी सरीखा उपहार होगा। इसके साथ ही बाढ़ सुरक्षा, सड़क व ज्ञानालयों से जुड़ी परियोजनाएं जिले की खुशहाली बढ़ाएंगी।