किसान आन्दोलन पर दुनिया में इतनी बेचैनी क्यों है?

दिल्ली आने वाली मुख्य सड़कों के बार्डर पर महीनों से बैठे किसानों का दुख- दर्द महसूस करने की जगह उन्हें नासमझ, बहका हुआ, देशद्रोही, खालिस्तान समर्थक, मौज मजे के लिए पिकनिक मनाने वाले जैसे तमगों से नवाजने की कोशिश के बाद सरकार जिस तरह से दमन की तैयारी कर रही है, वह अब दुनिया भर को चुभने के साथ ख़ुद उसे भी परेशान करने लगा है।

 

इसलिए वह गायिका रियाना (रिहाना) समेत कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के किसान समर्थन को अंतरराष्ट्रीय साज़िश का रंग देने की कोशिश से पीछे नहीं हट रही है। पर आम नागरिकों के विरोध के अधिकार का मजाक उड़ाने और शासन तथा आम किसान के बीच आठ-आठ लेयर की बाधा खड़ी करके वह एक अपूर्व काम कर रही है।

 

अभी तक दिल्ली की ऐसी किलेबन्दी कभी नहीं हुई थी, पता नहीं सोवियत शासन के दौर में कभी मास्को को भी आम लोगों से इस तरह दूर रखा गया हो। सरकार यही सन्देश दे रही है कि किसान नागरिक अधिकारों से विहीन नागरिक बनते जा रहे हैं। उनके बारे में बिना चर्चा कानून बनाने से लेकर उनको इस स्थिति में लाने तक यही चल रहा है।

Khursheed Khan Raju

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