दूसरों की सेवा करना एक नेक काम है। इससे जरूरतमंदों को सहारा मिलता है और सेवा करने वाले के मन को तसल्ली मिलती है। मगर सेवा करना आसान काम नहीं है। अक्सर बुजुर्गों की देखभाल करने वालों के पास खुद अपने लिए वक्त नहीं बचता, ऐसे में उनमें भी कई मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। एक हालिया अध्ययन की मानें तो कुछ माइंडफुलनेस ऐप्लीकेशन इन समस्याओं से बचा सकते हैं। नए शोध के अनुसार जो लोग याददाश्त की कमी से जूझ रहे बुजुर्गों की देखभाल करते हैं कुछ और माइंडफुलनेस थेरेपी में संलग्न होकर अपने अवसाद, तनाव और चिंता को काफी कम कर सकते हैं। वह इस बात के प्रति जागरुक रह सकते हैं कि फिलहाल आसपास क्या हो रहा है।
ऐप का इस्तेमाल प्रभावी पाया गयाः
यह अध्ययन एजिंग एंड मेंटल हेल्थ में प्रकाशित हुआ है। इसमें ‘माइंडफुलनेस कोच’ नाम के एक ऐप की व्यवहारिकता, स्वीकार्यता और उपयोगिता की जांच की गई। यह मोबाइल ऐप लोगों को माइंडफुलनेस का अभ्यास करने के तरीके सिखाने के लिए बनाया गया है। दूसरों की देखभाल करना बेहद तनावपूर्ण हो सकता है। साथ ही इसमें समय भी काफी खर्च हो सकता है। रटगर्स स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में स्वास्थ्य व्यवहार विभाग से जुड़ी व एक प्रशिक्षक एलिसा कोजलोव ने कहा कि देखभाल करने वालों के पास कई बार खुद अपने लिए समय की कमी हो जाती है।
अधिकांश बार उनके पास अपने लिए ऐसी सर्विस की तलाश करने का वक्त नहीं होता, जिनकी उन्हें जरूरत हो सकती है, जैसे कि चिकित्सा या अन्य थेरेपी। हालांकि, हमारे अध्ययन में देखा गया कि कुछ रणनीतियां बनाकर, जैसे कि माइंडफुलनेस कोच जैसे ऐप का इस्तेमाल आदि देखभाल करने वालों के व्यस्त जीवन में मददगार हो सकती हैं। यह तरीका उनकी मानसिक सेहत में सुधार करने में बेहद प्रभावी पाया गया है।
चिंता और तनाव से बचने के सुझाव देते हैं ऐपः
जिन बुजुर्गों को चिकित्सा सहायता या अन्य सहारे की जरूरत होती है आमतौर पर अवैतनिक देखभाल करने वाले लोग उनकी मदद करते हैं। यह अक्सर परिवार के सदस्य, रिश्तेदार या दोस्त होते हैं और दिनभर बुजुर्गों की जरूरतों की तसल्ली करते हैं। दरअसल माइंडफुलनेस कोच ऐप माइंडफुलनेस थेरेपी एक खास तकनीक है। यह यूजर को तनाव और अवसाद के लक्षणों को कम करने के लिए साइकोएजुकेशन, दवाओं का सुझाव देती है। यह थैरेपी यूजर को माइंडफुलनेस एक्सरसाइज के जरिए अपने तनाव और चिंता को नियंत्रित रखने में मदद करती है। इस ऐप को अनुभवी मामलों के विभाग में नेशनल सेंटर फॉर पीटीएसडी रिसर्च में एक टीम द्वारा बनाया गया था।
जिम्मेदारियों की चिंता कम हुईः
शोधकर्ताओं ने याददाश्त की कमी से जूझने वाले बुजुर्गों की देखभाल कर रहे लोगों पर माइंडफुलनेस थेरेपी के तुलनात्मक सकारात्मक प्रभाव का पता लगाया। इसके लिए उन्होंने देखभाल करने वालों के नमूनों का आठ सप्ताह से अधिक समय तक अध्ययन किया। इसके जरिए उन्होंने देखभाल करने वालों पर पड़ने वाले बोझ, उनके चिंता और अवसाद के स्तर, ऐप्लीकेशन इस्तेमाल करने के कुल समय, अनुभव और संतुष्टि के स्तर का आकलन किया। उन्होंने पाया कि जैसे-जैसे देखभाल करने वाले ऐप के साथ अधिक जुड़े, उनके चिंता, तनाव, अवसाद और देखभाल करने वाले के बोझ में कमी आई। अध्ययन में शामिल प्रोफेसर पॉल डबरस्टीन का कहना है कि मोबाइल एप्लिकेशन दरअसल बढ़ी हुई जिम्मेदारियों और तनाव वाले लोगों को रोगी केंद्रित उपचार प्रदान करते हैं।