कोर्ट से उम्रकैद की सजा होने के बाद शुक्रवार की रात करीब नौ बजे जिला जेल पहुंचे पूर्व मन्त्री गायत्री प्रजापति बहुत भावुक थे। जेल के भीतर पहुंचे गायत्री फफक कर रो पड़े। जेल प्रशासन ने उन्हें जेल अस्पताल पहुंचाया। जेल अस्पताल के प्रभारी डिप्टी जेलर के अलावा दो जेलजर्मी सुरक्षा में लगाये गए हैं। गायत्री केजीएमयू के डॉक्टरों के निर्देश पर काफी समय से जेल अस्पताल में भर्ती हैं। गायत्री को डायबिटीज, पेशाब, सिर दर्द और कमर दर्द समेत कई दिक्क़तें पहले से हैं। जेलर अजय राय के मुताबिक पूर्व मंत्री गायत्री की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
नाबालिग से गैंगरेप में अंतिम सांस तक उम्रकैद
गायत्री प्रसाद प्रजापति एवं उसके दो सहयोगी अशोक तिवारी एवं आशीष शुक्ला को एमपी/ एमएलए कोर्ट ने शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने इन्हें सामूहिक दुराचार एवं नाबालिक के साथ दुष्कर्म के प्रयास के मामलों में दोषी माना है। तीनों को अंतिम सांस तक उम्रकैद की सजा के साथ ही दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि सभी आरोपियों के विरुद्ध सामूहिक दुराचार एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत पूर्ण रूप से अपराध सिद्ध होता है। दोषियों द्वारा किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का है जिसका समाज पर व्यापक असर पड़ता है। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि आजीवन कारावास जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के नैसर्गिक जीवन के शेष के लिए कारावास से होगा। इस प्रकार अब इन तीनों आरोपियों को अपना शेष जीवन जेल में गुजारना होगा।
सुनवाई के समय सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता एसएन राय एवं विशेष अधिवक्ता रमेश कुमार शुक्ला का तर्क था कि सर्वोच्च न्यायालय के 16 फरवरी 2017 को दिए गए आदेश के बाद गौतम पल्ली थाने में 18 फरवरी 2017 को सपा सरकार के समय खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा, चंद्रपाल, रूपेश्वर उर्फ रुपेश एवं आशीष कुमार के विरुद्ध दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने धारा 376 डी, 354ए(1), 509, 504, 506 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 5जी धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया था।