सुबह की सैर आपकी सेहत बिगाड़ सकती है। गोरखपुर की हवा चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुकी है। हवा में सर्वाधिक प्रदूषण सुबह और रात के समय है। ऐसे में अब मास्क सिर्फ कोरोना से नहीं, बल्कि प्रदूषण से बचाव के लिए भी बेहद जरूरी है।
शहर की आबोहवा इस कदर प्रदूषित है कि इससे एलर्जी व अस्थमा पीड़ित लोगों के साथ-साथ सामान्य लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वरिष्ठ पर्यावरणविद डॉ. सिराज वजीह बताते हैं कि आर्द्रता बढ़ने और तापमान में कमी होने पर प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है जबकि दोपहर के समय तापमान अधिक होने पर स्तर कम हो जाता है। वहीं विन्ध्यवासिनी पार्क मे नियमित व्यायाम करने के लिए जाने वाले वरिष्ठ नागरिक डॉ. आरके गुप्ता बताते हैं, सुबह के समय कभी-कभी सांस लेने में थोड़ी दिक्कत होती है। इसकी वजह प्रदूषण है। टहलने के बाद घर पर जब टिश्यू पेपर से चेहरे को साफ करते हैं तो पेपर काला हो जाता है।
पर्यावरण प्रदूषण को मापने के लिए सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकॉस्टिंग एंड रिसर्च (सफर) स्टेशन से बीते चार दिन के पीएम 10, पीएम 2.5 और पीएम 1 के जो आंकड़ें सामने आ रहे हैं वह खतरनाक संकेत देते हैं। अधिकतर दिनों में सुबह चार बजे से सात बजे तक पीएम 10 का पैमाना 500 के आंकड़ें को पार कर चुका है। हालांकि तापमान बढ़ने के साथ इसमें कमी देखी गई है। सबसे कम प्रदूषण दोपहर एक बजे है। इस दौरान पीएम-10 का आंकड़ा 100 से 120 के बीच है। जबकि सबसे अधिक प्रदूषण रात 10 बजे है। इस समय पीएम 10 का स्तर 936.89 दर्ज किया गया है।
शहर के वरिष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएन अग्रवाल ने बताया कि एलर्जी या अस्थमा की दिक्कत है तो इस हवा में टहलने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। स्ट्रोक पड़ सकता है। अधिक उम्र वाले लोगों, सांस के रोगियों कापी परेशानी हो सकती है। ऐसे में कोशिश करें घर के अंदर ही व्यायाम करें। बाहर निकलने से बचें।
इंसान के बाल से भी 70 गुना पतला होता है पीएम-1
वायु प्रदूषण के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और पीएम-10 को माना जाता है लेकिन अब तक एक महत्वपूर्ण और बेहद खतरनाक कण को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिसे पीएम-1 कहा जाता है। पीएम 2.5 इंसान के बाल की मोटाई की तुलना में लगभग 30 गुना महीन है जबकि पीएम 1 इंसान के बाल की तुलना में 70 गुना अधिक पतला है।