प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया। मोदी सरकार के इस फैसले का सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी नेता तक स्वागत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री की यह घोषणा सियासी रूप से काफी अहम है, क्योंकि अगले साथ पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
दिल्ली से सटी सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या भी इन्हीं दो राज्यों से सबसे अधिक है। ऐसे में प्रधानमंत्री की यह घोषणा बीजेपी के लिए यूपी में सत्ता बचाने में मदद तो कर ही सकती है, साथ ही पंजाब की राजनीति में भी पांव फैलाने में मददगार साबित हो सकती है।
पंजाब में बीजेपी के विस्तार की खुली राह
पंजाब में किसानों के आक्रोश का सामना कर रही भगवा पार्टी के लिए साल भर पुराने आंदोलन का खत्म होना एक बड़ी राहत है। कृषि कानूनों ने न केवल शिरोमणि अकाली दल के साथ अपने 24 वर्षीय चुनावी गठबंधन को तोड़ दिया था, बल्कि ग्रामीण पंजाब में सिख किसानों के क्रोध का का भी सामना करना पड़ा था। अब, भाजपा को मोदी के इस फैसले का लाभ उठाने की उम्मीद है। आपको बता दें कि इससे कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार द्वारा करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने का ऐलान किया गया था।
भाजपा-कैप्टन के साथ आने से बनेगा नया समीकरण
कृषि कानूनों को निरस्त होने से हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री पद और कांग्रेस पार्टी से इस्ताफी देने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह और भाजपा के बीच चुनावी गठजोड़ का रास्ता खुल गया है। कैप्टन ने पंजाब लोक कांग्रेस की एक नई पार्टी बनाई है। उन्होंने भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे के संकेत भी दिए हैं। हालांकि कैप्टन की पार्टी अभी काफी नई है, लेकिन पंजाब के ग्रामीण और शहरी इलाकों में उनका राजनीतिक दबदबा और अपील है। वे असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में कर सकते हैं।
पश्चिमी यूपी में कम होगा किसानों का गुस्सा
किसान आंदलोन का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी काफी हद तक देखने को मिला। तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी की हिंसा में चार किसानों के मारे जाने के बाद यह और उग्र हुआ। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। तीनों कृषि कानूनों और किसानों के नाम पर योगी और मोदी सरकार को घेरने की योजनाओं में अब विपक्षी पार्टी को बदलाव लाना होगा। विपक्षी दल यूपी के इस हिस्से में किसान आंदोलन से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे थे। प्रधानमंत्री के ऐलान के साथ ही अब यह मुद्दा ही खत्म गया है।