प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानून वापसी की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने चुनावी मैदान में किसानों के अन्य मुद्दों को हवा देने की रणनीति बनाई है। सपा प्रमुख रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी कर रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव अपनी जनसभाओं और रैलियों में उपज की खरीदारी, यूरिया-डीएपी की किल्लत, डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी, महंगाई जैसे मुद्दों के जरिये किसानों की सहानभूति बटोरने की हर संभव कोशिश करेंगे। यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
सपा रणनीतिकारों ने किसानों की उक्त मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश के सियासी पारे को गर्म रखने का फैसला किया है। जिससे भाजपा इसका राजनीतिक फायदा उठाने में कामयाब न हो सके। सपा नेताओं का मानना है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी है और वह एमएसपी पर कानून नहीं बनाएगी, क्योंकि ऐसा होने पर आढ़तियों, व्यापारियों-कॉरपोरेट जगत को नुकसान और किसानों को फायदा होगा। सात दशकों में एमएसपी पर कानून बनाने पर सभी सरकारें कन्नी काटती रही हैं।
सपा के एमएलसी व राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने ‘हिन्दुस्तान’ से कहा कि किसान भाजपा के बहकावे में नहीं आएंगे। प्रधानमंत्री नेंद्र मोदी 15 लाख रुपये, हर साल दो करोड़ नौकरियां, किसानों की आय दोगुनी करने सहित तमाम वादे किए थे, जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया। इसलिए जनता व किसान उन पर भरोसा नहीं करते हैं।
साजन ने आशंका जताई कि केंद्र सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बनाएगी और सपा अब इस लड़ाई को आगे लेकर जाएगी। कॉरपोरेट सेक्टर कृषि बुनियादी ढांचे जैसे निजी मंडियां, वेयर हाउस, प्राइवेट रेलवे लाइन आदि में भारी निवेश कर चुके हैं। इसलिए केंद्र सरकार नए रूप में काले कृषि कानून लाने का प्रसास करेगी।