प्रधानमंत्री बनने का मुलायम सिंह यादव का सपना भले ही अब दूर हो गया हो लगता हो लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऊंचाई उन्होंने हासिल की, वो वाकई किसी भी नेता के लिए एक सपना ही होता है. आज उनका जन्मदिन है. 82 साल पहले 22 नवंबर 1939 के दिन उत्तर प्रदेश के इटावा के सैफई गांव में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने अपने बल पर राजनीति का एक बड़ा और लंबा सफर तय किया.
मुलायम सिंह यादव राजनीति में आने से पहले टीचर के तौर पर काम करते थे. वो पहलवानी के अखाड़े में भी उतरा करते थे. उन्हें दंगल का बहुत शौक था. उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वो राजनीति में आएंगे लेकिन मधु लिमये, राज नारायण और राम सेवक यादव के साथ रहने की वजह से वो भी नेता बन गए.
रातों रात खेल हुआ और पीएम की गद्दी हाथ से सरक गई
अपने राजनीतिक करियर वह 09 बार जेल गए. उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब उन्हें सबकी सहमति से पीएम पद पर बिठाने की तैयारी हो गई. शपथ ग्रहण का समय तक तय हो चुका था. सुबह 08.00 बजे शपथ होनी थी. लेकिन मामला बिगड़ गया. घर पर हजारों लोगों की भीड़ जुट गई. दरअसल ये बात 1996 की है. लेकिन पर्दे के पीछे से रातोंरात खेल हो गया.
तब मुलायम रक्षा मंत्री बने
बताया जाता है कि लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके नाम पर सहमति नहीं दी, जिसकी वजह से मुलायम पीएम बनते-बनते रह गए थे. अगले दिन एचडी देवगौड़ा को पीएम पद की शपथ दिलाई गई. देवगौड़ा मिली-जुली सरकार में पीएम बने थे. इस सरकार को बीजेपी ने समर्थन दिया. मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बनाया गया. हालांकि ये सरकार जल्दी ही गिर गई.
60 के दशक में लोहिया के संपर्क में आए
मुलायम सिंह 60 के दशक में समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के संपर्क में आए. 1967 में वह पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. यहीं से मुलायम सिंह की पॉलिटिक्स में एंट्री हुई थी.
अब सबसे बड़ा सियासी परिवार
79 साल पहले आज ही के दिन साल 1939 में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था. उनका परिवार पहले बेशक राजनीति राजनीति से न जु़ड़ा हो. लेकिन आज उनके परिवार के कण-कण में राजनीति बसती है. देश में उनके परिवार से बड़ा राजनीतिक परिवार शायद ही हो.
भाई, भतीजा, बेटा और बहू हर कोई ब्लॉक और पंचायत स्तर से लेकर संसद तक प्रतिनिधित्व कर रहा है. आज मुलायम जहां खड़े हैं बेशक वो पायदान राजनीति में काफी ऊंचा है लेकिन उनकी उड़ान ज़मीन से शुरू हुई थी. जो काफी विस्तारित दिखाई देती है.