पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में दिसंबर 2020 में करक मंदिर को उपद्रवियों ने तोड़ डाला था। अब हमले में शामिल 11 धार्मिक नेताओं सहित 123 लोगों पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान अखिल पाकिस्तान हिंदू परिषद के कोष से किया जाएगा। पाकिस्तान में इसे दोनों समुदाय के बीच धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने की तरह से देखा जा रहा है। लेकिन पाकिस्तान के बाहर पूरी दुनिया में इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के धजिय्यां उड़ाने की तरह से देखा जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा आरोपित भरें जुर्माना
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने खैबर-पख्तूनख्वा सरकार की आपत्तियों के बावजूद प्राथमिकी में नामजद आरोपितों से फिर से मंदिर निर्माण के लिए वसूली का आदेश दिया था। प्रशासन को पता चला था कि हिंदू मंदिर को तोड़ने में स्थानीय ने स्थानीय मौलवी शामिल थे जो मंदिर के पुनर्निर्माण में भी दिक्कतें दे रहे थे।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए स्थानीय हिंदू नेता ने कहा है कि हमारा समुदाय पूरी तरह से असहाय है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कहने के बावजूद स्थानीय अधिकारियों ने मौलवियों के डर से मंदिर को फिर से बनाने में हमारी मदद करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में हम इन मौलवियों को और ज्यादा क्रोधित नहीं करना चाहते हैं। यही कारण है कि हम हिंदू परिषद के कोष से जुर्माना भरने का फैसला लिया है।
लेकिन डर के कारण हिंदू ही भर रहे जुर्माना
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कुल 3.03 करोड़ का जुर्माना लगाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंदुओं ने अब तक 2.68 लाख रुपये जमा कर लिए हैं। बता दें कि सभी 123 आरोपी को 26 अक्टूबर तक अपने हिस्से का जुर्माना जमा करना था। एक ऐसी भी लिस्ट तैयार की गई है जहां उन लोगों के नाम लिखे गए हैं कि अगर वह जुर्माना नहीं जमा करते हैं तो उनकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी।
रिपोर्ट बताती है कि जिले के टॉप अधिकारियों ने स्थानीय मौलवियों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने मंदिर को लेकर कहा था कि मंदिर के सामने ‘हिंदू मंदिर’ जैसा कुछ नहीं लिखा जाएगा। इस सबके साथ ही पुलिस प्रशासन ने एक बार फिर आरोपितों को 14 दिनों के अंदर जुर्माना जमा करने को कहा है। इसके साथ यह भी कहा है कि ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी।