पेइचिंग
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पैंगोंग त्सो झील पर अपने क्षेत्र में खुर्नक पर एक पुल का निर्माण कर रही है, जो झील का सबसे संकरा हिस्सा है। सूत्रों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पुल का निर्माण भविष्य में भारतीय सेना के अगस्त 2020 जैसे किसी भी ऑपरेशन का मुकाबला करने के लिए किया जा रहा है। भारतीय सेना ने एक स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देते हुए 29 और 30 अगस्त 2020 की रात को पैंगोंग त्सो दक्षिणी किनारे की ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था।
द प्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में इसके बारे में जानकारी दी। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माणाधीन पुल खुर्नक से दक्षिणी तट के बीच 180 किमी की दूरी को खत्म कर देगा। इसका मतलब है कि खुर्नक से रुडोक तक का रास्ता पहले करीब 200 किमी की तुलना में अब सिर्फ 40-50 किमी का होगा। 135 किमी लंबी पैंगोंग त्सो स्थलीय सीमा से घिरी हुई एक झील है जिसका कुछ हिस्सा लद्दाख और बाकी हिस्सा तिब्बत में है। मई 2020 में भारत और चीन के बीच तनाव की शुरुआत इसी क्षेत्र में हुई थी।
अगस्त 2020 से चीन ने लिया सबक
रिपोर्ट ने बताया कि पीएलए ने पुल से आने-जाने के लिए सड़क बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, जो जरूरत पड़ने पर सैनिकों और उपकरणों की तेजी से तैनाती के लिए एक नया मार्ग बन सकता है। माना जा रहा है कि चीन ने भारत के अगस्त 2020 की कार्रवाई से सबक लिया है और इसीलिए वह अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रहा है। चीन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं कि क्षेत्र में उसकी गतिविधियों को तेजी से बढ़ाया जा सके और बड़े पैमाने पर तैनाती की क्षमता को बढ़ाया जा सके।
संभावित ऑपरेशन का मुकाबला करने लिए बना रहा मार्ग
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि नए निर्माण के साथ पीएलए का लक्ष्य भविष्य में दक्षिणी किनारों पर भारतीय सैनिकों की ओर से किसी भी संभावित अभियान का मुकाबला करने के लिए कई मार्ग बनाना है। नवंबर में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि चीन ने तिब्बत क्षेत्र में बड़ा निर्माण किया है और सेना को 1962 जैसी युद्ध स्थिति से बचने के लिए भारत-चीन सीमा तक भारी वाहनों को ले जाने के लिए चौड़ी सड़कों की जरूरत है।