चुनाव आयोग द्वारा पिछले सप्ताह चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने से पहले कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ ‘ब्राह्मणों में गुस्सा’ है। भगवा पार्टी के लिए इसे एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा था। चुनावों की घोषणा के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले तीन मंत्रियों ने दो दिनों में योगी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद यूपी बीजेपी में ‘विद्रोह’ की चर्चा शुरू हो गई है।
स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान ने योगी सरकार से इस्तीफा यह कहते हुए दिया कि उत्तर प्रदेश में दलितों, पिछड़े वर्गों, बेरोजगार युवाओं, किसानों और छोटे और मध्यम व्यापारियों की उपेक्षा की जा रही है। दोनों के इस्तीफे का लहजा लगभग एक जैसा ही था। हालांकि, ट्विटर पर लोगों ने इसके लिए मजे भी लिए। इसके अलावा आज एक और मंत्री धर्म सिंह सैनी ने भी इस्तीफा दे दिया।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विटर के जरिए तीनों ‘बागी’ मंत्रियों का अपनी पार्टी में स्वागत किया है। इन तीनों पूर्व मंत्रियों के लिए ट्वीट में सम्मान के भाव थे। अखिलेश ने अपने संदेश में “सामाजिक न्याय” की बात कही है।
आपको बता दें कि 1990 के दशक की शुरुआत में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार में सामाजिक न्याय की पकड़ थी, जिसमें अखिलेश यादव के पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का उदय हुआ। उन्होंने उत्तर प्रदेश के चुनावों में ओबीसी को वोट बैंक के रूप में प्रमुखता दी। अतीत की कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग ने समाजवादी पार्टी के ओबीसी-मुस्लिम निर्वाचन क्षेत्र और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दलित वोट बैंक को रास्ता दिया।