उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जंग लगातार तेज होती जा रही है। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी जहां बीजेपी के कुछ विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किया तो वहीं बीजेपी ने बड़ा पलटवार करते हुए मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अपर्णा यादव को ही अपने पाले में कर लिया। इसके अलावा कानपुर के पूर्व कमिश्नर असीम अरुण भी खूब चर्चा में हैं जो पिछले दिनों नौकरी से वीआरएस लेकर बीजेपी में शामिल हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषक पूर्व आईपीएस असीम अरुण की राजनीतिक पारी को बीजेपी के राज्यसभा सदस्य और सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक बृजलाल के साथ जोड़कर देख रहे हैं और इस बात की चर्चा है कि यह दोनों बीजेपी को कैसे फायदा पहुंचाएंगे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण ने बीजेपी का दामन थामा है, चर्चा है कि उन्हें बीजेपी मैदान में उतारेगी। इससे पहले उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे बृजलाल भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। यह संयोग ही है कि असीम अरुण के राजनीति में आने के ऐलान के बाद ही उन्होंने राज्यसभा सांसद बृजलाल के साथ मुलाकात की एक तस्वीर ट्वीट की, जिसमें वह असीम अरुण को मिठाई खिलाते हुए नजर आ रहे हैं। इस प्रकार दो पूर्व आईपीएस अधिकारी अब बीजेपी के चर्चित नेता बन चुके हैं।
चर्चा में दोनों पूर्व आईपीएस अधिकारी:
इन विधानसभा चुनाव में बृज लाल और असीम अरुण दोनों योगी आदित्यनाथ के शासन और पिछली समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति में अंतर को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। असीम अरुण ने हाल ही में बीजेपी में शामिल होने से पहले कानपुर में पुलिस आयुक्त के रूप में कार्य किया। यूपी के डीजीपी रहे बृज लाल जो कभी मायावती के करीबी माने जाते थे, 2015 में बीजेपी में शामिल हुए और अब राज्यसभा सांसद हैं।
युवा मॉडल और दलित आइकन:
अरुण को बीजेपी द्वारा एक युवा मॉडल और दलित आइकन के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जिसमें पार्टी उन्हें आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सपा के उम्मीदवारों के साथ जोड़ रही है। इधर बृज लाल सपा उसके कार्यकाल की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर हमला करते रहे हैं। उन्होंने तो हाल ही में सपा के उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज मामलों की गणना की और विपक्षी दल पर दलित विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया।
‘अपराध के खिलाफ युद्ध के प्रतीक’
रिपोर्ट में असीम अरुण के हवाले से बताया गया है कि अपराध के हर कृत्य की निष्पक्ष जांच योगी आदित्यनाथ प्रशासन की पहचान बन गई है और अधिकारियों को सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के साथ संघर्ष के डर के बिना काम करने में मदद मिली है। यह आरोप लगाते हुए कि पिछली सपा सरकार गुंडागर्दी, भूमाफिया और गैंगस्टरों के शासन में उलझी हुई थी अरुण ने कहा कि पहले अधिकारी हमेशा दबाव में रहते थे। विधायकों द्वारा थानों में कॉल करके प्रक्रियाओं को दरकिनार करने की मांग की जाती थी। सपा शासन के दौरान कई अपराधियों को छोड़ दिया गया था।