भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में निष्ठा और संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी में तरजीह का संदेश दिया है। वहीं मिशन-2024 की रणनीति को साधते हुए पार्टी ने दलित और ब्राह्मण प्रत्याशी को परिषद भेजने का फैसला किया है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने भी जातीय गणित साधने की कोशिश की है लेकिन प्रत्याशी चयन में पार्टी को आजम खान के साथ ही राम गोपाल खेमे की चिंता भी नजर आती है।
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनावों के दौरान और उससे पहले संगठन में बेहतर काम करने वाले दयाशंकर मिश्र दयालु, बलिया के दानिश आजाद अंसारी, जसवंत सैनी, नरेंद्र कश्यप और जेपीएस राठौर को मंत्री बनाकर साफ संदेश दे दिया था कि उन्हें भविष्य में विधान परिषद भेजा जाना है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के मजबूत जाट चेहरे चौधरी भूपेंद्र सिंह समेत सातों मंत्रियों को पार्टी ने परिषद भेजकर कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि पार्टी संगठन में कड़ी मशक्कत के जरिये ही सरकार तक जाने की राह खुलती है। कहना गलत न होगा कि जसवंत सैनी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन थे और नरेंद्र कश्यप भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं। सूत्रों की मानें तो दोनों ने चुनाव के दौरान पिछड़ा वर्ग को पार्टी से जोड़ने के लिए काम किया था। उनके इसी परिश्रम का उन्हें इनाम देकर मंत्री बनाया था और अब परिषद भेजा है।
इसके इतर पार्टी ने कन्नौज से पूर्व विधायक रहे बनवारी लाल को परिषद भेजकर दलितों को संदेश देने की कोशिश की है। गौरतलब है कि पार्टी ने कन्नौज से हाल ही में विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी जीत हासिल की है। पार्टी ने समाजवादी पार्टी के इस गढ़ से तीन बार से लगातार वर्ष 2007, वर्ष 2012 और 2017 में चुनाव जीतने वाले अनिल दोहरे को हराकर कन्नौज सुरक्षित सीट पर कब्जा किया है। पार्टी ने यहां से दलितों के दोहरे समाज को संदेश देने की कोशिश की है। बनवारी लाल दोहरे भाजपा से वर्ष 1991, 1993 और फिर 1996 में विधायक रहे थे। विधानसभा चुनाव 2022 में चर्चा थी कि उन्हें पार्टी उतार सकती है लेकिन पूर्व आईपीएस असीम अरुण के जरिये पार्टी ने बड़ा दांव चला और सपा को हराने में कामयाब रही।