भाजपा के चक्रव्यूह में सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खां का दुर्ग चकनाचूर हो गया। क्योंकि, इस चुनाव में भले ही आसिम राजा प्रत्याशी थे लेकिन, चुनाव आजम बनाम सरकार था। पूरे चुनाव प्रचार में यह नजारा दिखाई दिया था। सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खां वर्ष 2019 में भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा नाहटा को पराजित कर पहली बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। यह बात अलग है कि योगी सरकार ने शिकंजा कसा और आजम खां पत्नी-बेटे के साथ 26 फरवरी 2020 को जेल चले गए लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव में आजम खां ने जेल से चुनाव लड़ा और रामपुर से दसवीं बार विधायक चुने गए। जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। अब जब यहां उप चुनाव है तो आजम ने अपने बेहद करीबी आसिम राजा को प्रत्याशी बनाया था। उनके मुकाबले भाजपा से पूर्व एमएलसी घनश्याम सिंह लोधी प्रत्याशी थे।
आजम अपने करीबी को जिताने और अपनी परंपरागत सीट को काबिज रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे थे। रोजाना सभाएं हो रही थीं। आसिम को राजा बनाने की अपील कर रहे थे तो दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी को विजय बनाने के लिए भाजपा ने प्रदेश सरकार के तमाम मंत्रियों, डिप्टी सीएम यहां तक की मुख्यमंत्री तक को चुनाव प्रचार में उतार दिया था। प्रचार के दौरान हालात ये हो गए थे कि चुनाव आजम बनाम सरकार लगने लगा था। हर किसी की जुबां पर यही बात थी।
जेल से छूटने के बाद आजम ने एकजुट की थी पूरी टीम
करीब 27 माह जेल में रहने के चलते आजम की टीम पूरी तरह से बिखर चुकी थी लेकिन, पूर्व मंत्री एवं शहर विधायक आजम खां ने जेल से आने के बाद फिर टीम को एकजुट करना शुरू किया। आजम खां ने खुद हर तहसील में जाकर जनसभाएं की। अंतिम दिन तो उन्होंन हेलीकाप्टर से तीन सभाएं कीं। हर जगह आजम ने अपना दर्द सुनाया और भावनात्मक अपील की। इसके बाद जब पोलिंग वाले दिन मतदान कम हुआ, तो आजम खां ने प्रशासन पर सीधे-सीधे हमला बोल दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की चेतावनी दी।