मध्य प्रदेश के बाद, यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए हिंदी भाषा की पाठ्य पुस्तक पेश करने के लिए तैयार है। चिकित्सा शिक्षा अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार ने एक तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है जो तीन विषयों पर एमबीबीएस हिंदी पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा कर रहा है। इनमें जैव रसायन, शरीर रचना और चिकित्सा शरीर विज्ञान शामिल हैं। बता दें कि हाल ही में पूर्वोत्तर के हिस्से के रूप में एमपी में यही शुरू किया गया। इसके अलावा अन्य एमबीबीएस पाठ्यपुस्तकों का हिंदी में अनुवाद किया जा रहा है और उक्त समिति इस अनुवाद की जांच करेगी।
एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए, यूपी के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक श्रुति सिंह ने कहा कि लगभग एक महीने पहले, समिति का गठन किया गया था, और मेरठ में स्थित एक सरकारी मेडिकल कॉलेज से इन पुस्तकों को पहले अपनाने की उम्मीद है। हालांकि, उन्होंने कहा कि लॉन्च की तारीख सत्र, और अन्य तौर-तरीकों को अभी चाक-चौबंद किया जाना है। उन्होंने कहा कि अभी तक हिंदी की पाठ्यपुस्तकें केवल एमबीबीएस छात्रों तक ही सीमित रहेंगी।
उन्होंने कहा कि इस कदम से छात्रों, विशेष रूप से हिंदी-माध्यम पृष्ठभूमि वाले छात्रों को अपनी भाषा में अवधारणाओं और प्रक्रियाओं को आसानी से समझने में मदद मिलेगी। चिकित्सा शिक्षा के अतिरिक्त निदेशक एनसी प्रजापति ने कहा कि पैनल चिकित्सा शब्दावली का अनुवाद और पाठ्यपुस्तकें हटाने की कोशिश नहीं कर रहा है। संपूर्ण पाठ का अनुवाद करना संभव नहीं है। इसके अलावा, यह चीजों को छात्रों के लिए जटिल बना देगा।
हालांकि कोशिश की जा रही है कि एमबीबीएस के लिए अब हिंदी में किताबें लाई जाएं। इनकी शुरुआत राजकीय कॉलेजों से की जाएगी। योगी सरकार ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है और जल्द इसपर मुहर लग सकती है।