यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था Barabanki स्थित श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRMU) से, जहाँ LLB कोर्स की बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता न होने, कथित अवैध फीस वसूली और छात्रों की निलंबन को लेकर ABVP कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कम‑से‑कम 25 ABVP कार्यकर्ता और पांच पुलिसकर्मी घायल हुए, और छात्र आक्रोशित हो उठे।
इस घटना को लेकर सरकार ने IG‑Ayodhya रेंज और Barabanki डिविजन के कमिश्नर को छानबीन का जिम्मा सौंपा, जबकि प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए कुछ पुलिस अधिकारियों को लाइन हाज़िर भी किया।
विवादित बयान: गुंडा कहा और आग भड़क गई
इसी बीच, कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मीडिया से कहा कि “ABVP के गुंडों पर पुलिस ने सही लाठी बरसाईं”, और उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर गुंडागर्दी होगी तो पुलिस कार्रवाई करेगी—इस बयान से ABVP कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश फैल गया।
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प्रदर्शन: लखनऊ में विरोध की ज्वाला
देर रात—3 सितंबर की रात—लखनऊ के हजरतगंज स्थित मंत्री राजभर के सरकारी आवास के बाहर ABVP कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया:
- पुतला दहन किया गया
- गेट पर चढ़कर नारेबाजी की गई
- पत्थरबाजी और पुलिस से धक्का-मुक्की हुई; कई कार्यकर्ता और पुलिसकर्मी घायल
- छात्रों ने माफी की मांग की; चेतावनी दी कि माफी न हुई तो आंदोलन तेज किया जाएगा
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और तंज
- सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने प्रदर्शनकारियों पर पत्थरबाजी और गाली-गलौज का आरोप लगाया और इसे अति‑पिछड़े वर्ग का अपमान करार दिया। उन्होंने प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग भी की।
- समाजवादी पार्टी (सपा) सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बीजेपी को “बेवफा” बताया—साथ ही कहा कि “उनके हाथ-पैर ठंडे पड़ गए हैं और चेहरा पीला हो गया है”—जो मंत्री राजभर पर तंज था।
प्रशासन की प्रतिक्रिया: कार्रवाई और जांच
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर संज्ञान लिया और आदेश दिए:
- CO सिटी हर्षित चौहान को हटाया गया; Kotwali SHO RK Rana, SI Gajendra Singh और कॉन्स्टेबल Vinod Kumar को लाइन हाज़िर कर दिया गया।
- IG‑Ayodhya रेंज और Barabanki मंडलायुक्त को जांच की जिम्मेदारी दी गई।
विपक्ष का समर्थन और राजनीतिक विस्तार
- सपा छात्र इकाई और NSUI ने ABVP का समर्थन किया, लखनऊ के राजभवन के सामने भी प्रदर्शन किए।
- सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घायल छात्रों के लिए मुआवजे और बेहतर उपचार की मांग की।
निष्कर्ष और आगे का रास्ता
यह मामला सिर्फ एक छात्र‑प्रदर्शन नहीं, बल्कि यूपी में सियासी समीकरण, जनभावना और सरकार‑छात्र संगठन के रिश्तों की पड़ताल है। SRMU की मान्यता, ABVP के संगठनात्मक सम्मान, और मंत्री‑प्रशासन के बीच असंतुलन—तेन पर केंद्रित यह घटना आगे भी सुर्खियों में बनी रहेगी।